शिक्षण की परिभाषाएँ | Definitions of Teaching B.Ed Notes

शिक्षण एक जटिल प्रक्रिया है जिसे विभिन्न तरीकों से परिभाषित किया गया है। अर्थात शिक्षक के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए निम्नलिखित परिभाषाएँ अधिक सहायता करेंगी-

कुछ प्रमुख परिभाषाएँ:

  • रायबर्न: शिक्षण में तीन केंद्र बिंदु होते हैं: शिक्षक, बालक और पाठ्यवस्तु। शिक्षण इन तीनों में स्थापित किए जाने वाला संबंध है।
  • जॉन डीवी: शिक्षण अनुभवों का पुनर्गठन है जिसके द्वारा बालक में ज्ञान, कौशल, आदतों और रुचियों का निर्माण होता है।
  • एन.एल. गिल: शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा शिक्षक छात्रों में वांछित व्यवहार परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।
  • एन.सी.ई.आर.टी.: शिक्षण एक द्वि-मार्गीय अंतः क्रिया की प्रक्रिया है, जिसमें शिक्षक और छात्र दोनों सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।

शिक्षण की कुछ अन्य परिभाषाएँ:

  • शिक्षण ज्ञान, कौशल और मूल्यों को प्रदान करने की प्रक्रिया है।
  • शिक्षण छात्रों को सोचने, सीखने और समस्याओं को हल करने में सक्षम बनाने की प्रक्रिया है।
  • शिक्षण छात्रों को जीवन के लिए तैयार करने की प्रक्रिया है।

(a) शिक्षण का शब्दकोषीय अर्थ (Dictionary Meaning of Teaching)

(1) Dictionary of Psychological and Psychoanalytical Terms- इस शब्दकोष के अनुसार दूसरे को सीखने में मदद करने की प्रक्रिया को शिक्षण कहते हैं। “The art of assisting another to learn (which includes) providing of information (instruction) and of appropriate situations, conditions or activities designed to facilitate learning.”

(2) World Book Encyclopaedia के अनुसार- शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे को ज्ञान, कौशल तथा अभिरुचियों को सीखने या प्राप्त करने में सहायता करता है।” “The process by which one person helps others achieve knowledge, skills and aptitudes.”

(3) The Little Oxford Dictionary के अनुसार- ज्ञान प्रदान करना, कौशल का विकास के करना. अनुदेशन देना, पाठ पढ़ाना तथा उन्हें उत्साहित करना शिक्षण का अर्थ है।” “Impart knowledge or skill, give instruction or lessons, instil and inspire with.”

(b) विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रदत्त परिभाषाएँ (Definitions Given by Experts) गेज (Gage)-

‘शिक्षण एक प्रकार का पारस्परिक प्रभाव है जिसका उद्देश्य है दूसरे व्यक्ति के व्यवहारों वांछित परिवर्तन लाना।”

“Teaching is an act of interpersonal influence aimed at changing the ways in which other person can or will behave.”

रायन्स (Ryans) – “दूसरों को सीखने के लिए दिशा निर्देश देने तथा अन्य प्रकार से उन्हें निर्देशित करने की प्रक्रिया को शिक्षण कहा जाता है।”

“Teaching is concerned with the activities which are concerned with the guid- ance or direction of the learning of others.”

स्किनर (Skinner)- “शिक्षण पुनर्बलन की Contingencies का क्रम है।” “Teaching is the arrangement of contingencies of reinforcement.”

स्मिथ  (Smith)- “शिक्षण का उद्देश्य निर्देशित क्रिया है।” “Teaching is a goal directed activity.”

जेम्स एम0 थाइन (James M. Thyne) – “समस्त शिक्षण का अर्थ है सीखने में वृद्धि करना।” “All teaching is the promotion of learning.”

क्लार्क (Clarke, 1970) – “शिक्षण वह प्रक्रिया है जिसके प्रारूप तथा संचालन की व्यवस्था इसलिए की जाती है जिससे छात्रों के व्यवहारों में परिवर्तन लाया जा सके।” “Teaching process is designed and performed to produce change in student behaviour.”

बर्टन (Burton) ने शिक्षण को अधिगम हेतु उद्दीपन, मार्ग प्रदर्शन तथा दिशाबोध कहा है। बैन (Bann) इसे प्रशिक्षण कहता है। रायबर्न (Ryburn) इसे एक ऐसा सम्बन्ध मानता है जो छात्रों को उनकी शक्तियों के विकास में सहायता देता है।

के० पी० पाण्डेय के अनुसार- “Teaching is an influence-directed activity……….It is influencing the learner with a specific content structure.”

एडमंड एमीडन (Edmond Amidon)- शिक्षण एक अन्तःप्रक्रिया है, जिसमें मुख्यतः कक्षा वार्ता होती है, जो शिक्षक व छात्रों के मध्य कुछ परिभाषित की जा सकने वाली क्रियाओं के माध्यम से घटित होती है।”

“Teaching is an interactive process, primarily involving classroom talk which takes place between teacher and pupil and occurs during certain definable activities.”

मौरीसन (H. C. Morrison) – “शिक्षण एक परिपक्व व्यक्तित्व तथा कम परिपक्व के मध्य आत्मीय या घनिष्ट सम्बन्ध/सम्पर्क है जिसमें कम परिपक्व को शिक्षा की दिशा की ओर अग्रसित किया जाता है।”

“Teaching is an intimate contact between a more mature personality and a less mature one which is designed to further the deduation of the later.”

डॉ. एस. पी. कुलश्रेष्ठ (1999) के शब्दों में कहा जा सकता है कि शिक्षण, प्रक्रियाओं की एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें एक व्यक्ति दूसरे को ज्ञान प्रदान करने के लिये शिक्षण के कार्य को सम्पन्न करने के लिए अनेक प्रकार की क्रियायें करता है और छात्रों के व्यवहार में आत्मीयता के साथ वाँछित परिवर्तन लाने का प्रयास करता है।

शिक्षण की विशेषताएं:

  • शिक्षण एक उद्देश्यपूर्ण प्रक्रिया है।
  • शिक्षण एक द्वि-मार्गीय अंतः क्रिया की प्रक्रिया है।
  • शिक्षण एक गतिशील प्रक्रिया है।
  • शिक्षण एक निरंतर प्रक्रिया है।

शिक्षण के प्रकार:

  • औपचारिक शिक्षा
  • अनौपचारिक शिक्षा
  • निरौपचारिक शिक्षा

शिक्षण के उद्देश्य:

  • ज्ञान प्रदान करना
  • कौशल विकसित करना
  • मूल्यों का विकास करना
  • छात्रों को जीवन के लिए तैयार करना

निष्कर्ष:

शिक्षण एक जटिल और बहुआयामी प्रक्रिया है जिसके विभिन्न पहलू हैं। शिक्षण की कोई एक परिभाषा नहीं है जो सभी पहलुओं को पूरी तरह से समाहित कर सके। शिक्षण की विभिन्न परिभाषाएँ हमें इस प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने और उसकी प्रभावशीलता को बढ़ाने में मदद करती हैं.

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