स्मृति का अर्थ, परिभाषाएँ एवं विशेषताएँ | Meaning, Definitions and Characteristics of Memory B.Ed Notes

स्मृति (Memory)

व्यक्ति के जीवन में याददाश्त बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। स्मृति के बिना व्यक्ति के लिए अपना जीवन सुचारु रूप से चलाना कठिन हो जाता है। स्मरण शक्ति की कमी के कारण उच्च स्तरीय मानसिक कार्य नहीं हो पाते। सीखने की प्रक्रिया में स्मृति की आवश्यकता होती है। तभी सीखना सार्थक है। जबकि अर्जित ज्ञान एवं पूर्व अनुभवों को इस प्रकार सुरक्षित रखना चाहिए कि आवश्यकता पड़ने पर उनका उपयोग किया जा सके। मनोविज्ञान के क्षेत्र में बनाए रखने और पुनरुत्पादन करने की क्षमता को ‘स्मृति’ के रूप में जाना जाता है। प्रायः स्मृति शब्द के स्थान पर स्मरण या रिमेंबरिंग का भी प्रयोग किया जाता है।

स्मृति का अर्थ (Meaning Of Memory)

सामान्यतः आवश्यकता पड़ने पर सीखी हुई विषय वस्तु या क्रिया को याद करने की शक्ति को स्मृति कहते हैं। मनोविज्ञान की भाषा में याददाश्त एक मानसिक प्रक्रिया है जो किसी न किसी हद तक हर जीव में पाई जाती है। मनोवैज्ञानिकों ने बताया कि जब कोई व्यक्ति किसी वस्तु, स्थान या व्यक्ति आदि को देखता है या अपनी किसी अन्य इंद्रिय के माध्यम से कोई अनुभव प्राप्त करता है, तो उनके प्रतीक या संकेत कोड के रूप में उसके अचेतन मन में जमा हो जाते हैं। है। उनके दृष्टिकोण से, स्मृति अचेतन मन में संग्रहीत इन अनुभवों को आवश्यकता पड़ने पर चेतन मन में लाने की प्रक्रिया है।

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स्मृति की परिभाषाएँ (Definitions Of Memory)

हिलगार्ड तथा एटकिन्सन के अनुसार- पूर्व में सीखी गयी प्रतिक्रियाओं के कुछ लक्षणों को वर्तमान अनुक्रिया में व्यक्त करना ही स्मरण है।
“To remember means to show in present response some signs of earlier learned responses.” -Hilgard and Atkinson

वुडवर्थ के अनुसार- पूर्व में सीखे गए ज्ञान का प्रत्यक्ष उपयोग ही स्मृति है। “Memory consists in remembering what has previously been learned.” –Woodworth

आइजेन्क के अनुसार- स्मृति प्राणी की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह पूर्व में सम्पन्न अधिगम प्रक्रियाओं में सूचना एकत्रित करता है तथा विशिष्ट उत्तेजनाओं के प्रत्युत्तर देने में इन सूचनाओं को पुनः प्रस्तुत करता है।

“Memory is the ability of an organism to store information from earlier learning process (experience, retention) and reproduce that information in answer to specific stimuli.” -H. J. Eysenck

रायबर्न के अनुसार- अपने अनुभवों को सचित रखने और उनको प्राप्त करने के कुछ समय बाद चेतना के क्षेत्र में पुन लाने की जो शक्ति हमने होती है, उसी को स्मृति कहते है।

“The Power that we have to store our experiences and to bring than into field of consciousness sometime after the experience have occurred, is termed memory.” -Rayburn

जेम्स के अनुसार- स्मृति उस घटना या तथ्य का ज्ञान है. जिसके बारे में हमने कुछ समय तक नहीं सोचा है, पर जिसमें हमको यह चेतना है कि हम उसका पहले विचार या अनुभव कर चुके हैं।

“Memory is the knowledge of an event, or fact, of which meantime we have not been thinking, with the additional consciousness that we have thought or experienced it before.” -James

स्टाउट के अनुसार- स्मृति एक आदर्श पुनरावृत्ति है। “Memory is the ideal revival.”

मैक्डूगल के अनुसार- स्मृति से तात्पर्य अतीत की घटनाओं की कल्पना करना और इस तथ्य को पहचान लेना कि ये अतीत के अनुभव है। “Memory implies imaging of events as experienced in the past and recognizing them as belonging to one’s own past experience.” McDougall.

रॉस के अनुसार- स्मृति एक मिश्रित प्रक्रिया है जिसमें मन स्थिति, उनका प्रतिधारण तथा अपने पीछे मन स्थितियों को छोड़ जाने वाले अनुमों का अनुस्मरण सम्मिलित रहता है।

“Memory then is a complex process involving the establishment of dispositions, their retention, and the recalling of the experiences that have left the dispositions behind than.” –Ross

अच्छी स्मृति की विशेषताएँ (Characteristics Of Good Memory)

स्टाउट ने अच्छी स्मृति के अग्रलिखित लक्षण बताए हैं-

1. शीघ्र सीखना (Quick Learning)- अच्छी स्मृति की पहली विशेषता शीघ्र याद होना या सीखना है। जो व्यक्ति किसी बात को एक बार पढ़कर या सुनकर सीख जाता है या याद कर लेता है, उसकी स्मृति अच्छी समझी जाती है।

2. उत्तम धारण शक्ति (Good Retention)-अच्छी स्मृति की दूसरी विशेषता है, विना दोहराए किसी बात या विषय को अधिक दिन तक याद रखना जो बालक या व्यक्ति, किसी सीखी हुई याद की हुई बात को जितने अधिक दिनों तक स्मरण रख सकता है, उसकी स्मृति उतनी ही अच्छी होती है।

3. शीघ्र पुन स्मरण (Quick Recall)- अच्छी स्मृति का एक तीसरा गुण है, शीघ्र पुनःस्मरण । जिस व्यक्ति को किसी सीखी हुई या याद की हुई बात शीघ्र याद आ जाती है, उसकी स्मृति अच्छी होती है। परीक्षा की दृष्टि से स्मृति की इस विशेषता का विशेष महत्व है।

4. शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान (Quick and Accurate Recognition)- अच्छी स्मृति की चौथी विशेषता है, शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान। अच्छी स्मृति के लिए शीघ्र पुन स्मरण ही नहीं वरन् किसी बात को शीघ्र एवं स्पष्ट पहचानना आवश्यक है। जब तक पुनस्र्मरण की हुई और विचारों को शीघ्र एवं स्पष्ट पहचान नहीं लेते हैं, तब तक कार्य करने में सफलता नहीं मिलती। उदाहरणार्थ, परीक्षा देते समय एक प्रश्न का उत्तर देने के लिए मस्तिष्क में कई विचार आते हैं। जब तक यह स्पष्ट रूप से शीघ्र नहीं पहचान लेते कि कौन-से विचार अमुक प्रश्न के अनुकूल है, नियत समय के अन्दर उत्तर लिखने में असमर्थ रहते हैं।

5. अनावश्यक चातों का विस्मरण (Forgetting the Meaningless Things)- अच्छी स्मृति की पाँचवीं विशेषता है, अनावश्यक या व्यर्थ बातो को भूल जाना। जो बालक या व्यक्ति व्यर्थ की बातों को भूल जाते हैं और उपयोगी बातों को याद रखते हैं, उनकी स्मृति अच्छी मानी जाती है। अनावश्यक बातें याद रखने से पुनः स्मरण, धारण, पहचान आदि में बाधा उत्पन्न होती है।

6. उपादेयता (Serviceability)- उपादेयता अच्छी स्मृति की छठवीं विशेषता है। इसके अनुसार अच्छी स्मृति वहीं होती है, जो समय पर उपयोगी सिद्ध हो। उदाहरणार्थ, परीक्षा देते समय यदि पहले याद की हुई बातें उसे क्रमानुसार याद आती जाती है और वह उन्हें लिखने में सफल हो जाता है तो उसकी स्मृति को अच्छा कहा जाता है।

स्मृति के प्रकार (Types of Memory)

स्टाउट के अनुसार प्रत्येक विषय तथा अनुभव के लिए पृथक् स्मृति होनी चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति की विभिन्न विषयों की स्मृति अलग-अलग होती है। कुछ लोगों की नामों की स्मृति बहुत खराब होती है तथा कुछ की अच्छी होती है। कुछ लोगों की गणित की स्मृति अच्छी होती है और कुछ लोगों की इतिहास की। स्मृति के प्रमुख प्रकार अग्रवत् भी कहते हैं। इसमें तथ्यों को बार-बार दोहराकर याद करने का प्रयत्न किया जाता है। यह एक प्रकार की यांत्रिक स्मृति है। इसमें बिना जाने-बूझे तथ्यों को रटा जाता है।

1. आदत्यजन्य स्मृति (Habitual Memory)- आदत्यजन्य स्मृति को रटने वाली स्मृति के बिना समझना तथा प्रयोग करना आवतजन्य स्मृति है।

2. वास्तविक स्मृति (Real Memory)- यह स्मृति व्यक्ति के विवेक तथा बुद्धि पर आधारित होती है। इसमें स्वतन्त्र रूप से विचारों का साहचर्य होता है तथा विगत घटनाओं के प्रतिबिम्ब अथवा मानसिक चित्र सम्मिलित होते हैं, जैसे-बालक ने न्यूटन के नियमों को पढ़ा, समझा और आत्मसात् किया।

3. तात्कालिक स्मृति (Immediate Memory)- इस स्मृति में प्राय: याद की हुई सामग्रियों को तत्काल सुना देते हैं। यह अधिक दिनों तक टिकने वाली स्मृति नहीं होती। इस स्मृति का प्रयोग प्रायः विद्यार्थी परीक्षाकाल में करते हैं। जो कुछ रात में याद करके जाते हैं, उसे दूसरे उत्तर पुस्तिकाओं में लिख देते हैं। इसका विकास आयु के साथ होता है। दिन परीक्षा भवन में

4. स्थायी स्मृति (Permanent Memory)- यह स्मृति अधिक दिनों तक स्थायी रहती है। इसमें भूलने की गुंजाइश कम रहती है। इस प्रकार की स्मृति बालकों की अपेक्षा वयस्कों में अधिक पायी जाती है।

5. सक्रिय स्मृति (Active Memory)- इस स्मृति में व्यक्ति जानबूझकर कुछ तथ्यों को धारण करता है और उनकी पुनस्मृति आवश्यकता पड़ने पर प्रयास के साथ करता है। यह स्मृति व्यक्ति की चेतनावस्था में सदैव रहती है और इसका प्रयोग भी बराबर होता रहता है।

6. निष्क्रिय स्मृति (Passive Memory)- हमारे मस्तिष्क में कुछ सीखे हुए तथ्य निष्क्रिय रूप से पड़े रहते हैं और इसके पुनस्मृति में विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता।

7. इन्द्रिय अनुभव स्मृति (Sense Impression Memory)- विभिन्न ज्ञानेन्द्रियाँ भिन्न-भिन्न प्रकार की अनुभूतियाँ मस्तिष्क में ले आती है। उनसे सम्बन्धित किसी अनुभव की याद उन्हीं के माध्यम से आती है। जैसे-इमली को देखकर खट्टापन जिह्वा द्वारा प्राप्त अनुभूति के रूप में याद आता है।

8. वैयक्तिक स्मृति (Personal Memory) – इस स्मृति का सम्बन्ध स्वयं व्यक्ति के अनुभवों से होता है। व्यक्ति अपने जीवन की बहुत-सी संकटपूर्ण परिस्थितियों को याद करता है तथा यह मी पुनस्मृति करता है कि उस परिस्थिति विशेष में किसने सहायता की थी और किसने धोखा दिया था।

9. अवैयक्तिक स्मृति (Impersonal Memory)- यह स्मृति व्यक्ति के बाहर अन्य ऐसी बातों और वस्तुओं से सम्बन्धित होती है जो व्यक्ति के अनुभव क्षेत्र में प्रत्यक्ष रूप से नहीं आती।

10. शारीरिक स्मृति (Physical Memory)- कोई शारीरिक कार्य बार-बार करने से तत्सम्बन्धी अंग क्रिया को स्वयं याद कर लेते हैं और क्रिया उन अंगों के द्वारा बिना बुद्धि का प्रयोग किए भी होने लगती है, जैसे अभ्यास से उंगलियो का टाइप करना।

11. यांत्रिक स्मृति (Mechanical Memory)- जब कोई व्यक्ति किसी कार्य को बार-बार करता है तो यह उसकी आदत में परिणत हो जाता है अर्थात् बार-बार कार्य करने से शरीर को उस कार्य को करने की आदत पड़ जाती है। फिर पुनः वह कार्य करने के लिए विशेष प्रयत्न नहीं करना पड़ता। मोटर ड्राइवर बिना स्मरण किए उन्हीं यंत्रों को दबाता है जो उसने सीख लिए है।

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