Published by: Ravi Kumar
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जब हम कोई भी काम करते हैं तो कुछ समय बाद ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब हमारी काम करने की इच्छा कम हो जाती है और हमारा शरीर शिथिल हो जाता है। परिणामस्वरूप हम पहले की तुलना में कम काम कर पाते हैं। मन और शरीर की इस स्थिति को थकान कहा जाता है। दूसरे शब्दों में थकान व्यक्ति की एक विशेष शारीरिक एवं सामाजिक स्थिति है, जिसके कारण उसकी वास्तविक कार्यक्षमता लगातार घटती जाती है। हम निम्नलिखित परिभाषाओं द्वारा ‘थकान’ के अर्थ को और अधिक स्पष्ट कर रहे हैं।
इबर के अनुसार ‘थकान का अर्थ है- कार्य करने में शक्ति के पूर्व व्यय के कारण कार्य करने की कम कुशलता या योग्यता ।
Fatigue means diminished efficiency, or ability to carry on work because of previous expenditure in doing work.” Drever: A Dictionary of Psychology
बोरिंग, लैंगफील्ड व वेल्ड के अनुसार-“थकान की सर्वोत्तम परिभाषा-निरन्तर कार्य करने के परिणामस्वरूप कुशलता में कमी के रूप में की जाती है।
“Fatigue is best defined as reduction in efficiency, resulting from continuous work.” –Boring, Langfeld and Weld
‘थकान’ मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है-
यह थकान, शरीर की वह अवस्था है जब निरन्तर शारीरिक कार्य करने के कारण शरीर की शक्ति कम हो जाती है, अंग शिथिल हो जाते हैं और व्यक्ति कार्य न करके विश्राम करना चाहता है।
यह थकान, मस्तिष्क की वह अवस्था है, जव निरन्तर मानसिक कार्य करने के कारण मस्तिष्क की ध्यान, चिन्तन आदि शक्तियाँ कम हो जाती हैं और व्यक्ति, कार्य को स्थगित करके कुछ और करना चाहता है।
टिप्पणी- शारीरिक थकान को मानसिक थकान का कारण माना जाता है। यदि व्यक्ति में शारीरिक थकान होती है, तो वह मानसिक कार्य नहीं करना चाहता है। आधुनिक व्यावहारिक मनोविज्ञान (Experimental Psychology) मानसिक थकान को नहीं मानता है।
इस सम्बन्ध में वेलेन्टाइन ने लिखा है- मानसिक थकान साधारणतः केवल बोरियत है। जब एक व्यक्ति की कार्य में रुचि बनी रहती है, तब तक वह किसी प्रकार की मानसिक थकान का अनुभव नहीं करता है।
“Mental fatigue is usually merely boredom. There is little or no mental fatigue so long as interest remains lively.” -Valentine
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थकान, चाहे शारीरिक हो या मानसिक, सीखने की प्रक्रिया में बाधा डालती है। सीखने के लिए यह आवश्यक है कि छात्र शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ हों, उनकी सीखने में रुचि और ध्यान हो, वे सीखने में सक्रिय हों और जो कुछ भी सिखाया जा रहा है उसे स्वीकार करने की स्थिति में हों। थकान की स्थिति में इन सभी की कमी हो जाती है, इसलिए सीखने की प्रक्रिया ठीक से आगे नहीं बढ़ पाती है। अत: यह ध्यान रखना आवश्यक है कि सीखने वाला मूर्ख न हो। इसके लिए शिक्षकों को पहले थकान के कारणों को जानना चाहिए और फिर उन्हें दूर करने के उपाय करने चाहिए। उन्हें शुरू से ही ऐसे उपाय करने चाहिए जिससे बच्चों को थकान न हो।
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