अध्यापन या शिक्षण विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है, जिन्हें हम शिक्षण विधियों (Teaching Methods) के रूप में जानते हैं। शिक्षण विधियों का चुनाव कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि छात्रों की आयु, उनकी सीखने की शैली, विषय वस्तु, और वांछित सीखने के परिणाम।
यहां शिक्षण के कुछ सामान्य प्रकार दिए गए हैं:
- उद्देश्यों के आधार पर शिक्षण:
- संज्ञानात्मक अधिगम: इस प्रकार का शिक्षण संज्ञानात्मक पहलू या व्यवहार को विकसित और सुदृढ़ करता है।
- भावात्मक शिक्षण: इसमें भावात्मक पक्ष के विकास को महत्व दिया जाता है।
- क्रियात्मक अधिगम: इसमें व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान दिया जाता है और किसी कार्य को करने की विशिष्ट विधि सिखाई जाती है।
- शिक्षण की दृष्टि से:
- बताना: इस प्रकार के शिक्षण में अवधारणा, सिद्धांत, या विषय को बताया जाता है।
- प्रदर्शन या प्रदर्शन: किसी कार्य, प्रक्रिया या कौशल का प्रदर्शन किया जाता है।
- कार्य करना: कौशल विकसित और क्रियात्मक पक्ष को प्रमुखता दी जाती है।
- शिक्षण के स्तरों के संदर्भ में:
- स्मृति स्तर शिक्षण: जानकारी को याद रखने का प्रयास किया जाता है।
- बोध स्तर का शिक्षण: समझा जाता है कि कैसे कोई तथ्य या अवधारणा कार्यान्वित होती है।
- चिन्तन स्तर का शिक्षण: जिज्ञासा, रुचि, शोध, धैर्य आदि को वैज्ञानिक रूप से समझा जाता है।
- शासन एवं प्रशासन के अनुसार:
- एक निरंकुश शिक्षण: शिक्षक केंद्र बिंदु होता है और शिक्षार्थियों को उनकी सभी गतिविधियों का मार्गदर्शन करता है।
- लोकतांत्रिक शिक्षण: छात्र-सहकारी शिक्षा प्रणाली, जिसमें शिक्षक और छात्र दोनों की प्रमुख भूमिका होती है।
- मुक्त शिक्षण पद्धति: शिक्षा नवीनतम शिक्षा पर आधारित होती है और छात्र की रचनात्मक प्रकृति को प्रोत्साहित करती है।
- शिक्षा व्यवस्था की दृष्टि से:
- औपचारिक शिक्षण: यह शिक्षा उद्देश्यपूर्ण होती है और निश्चित पाठ्यक्रम के आधार पर की जाती है।
- अनौपचारिक शिक्षण: इसमें शिक्षण का समय, स्थान और उम्र को बंधा नहीं जाता है।
- अनौपचारिक शिक्षा: निश्चित उद्देश्यों के आधार पर शिक्षा का आयोजन किया जाता है, लेकिन कोई निर्धारित पाठ्यक्रम नहीं होता है।