पाठ्यक्रम निर्माण के निर्धारित तत्व निम्नलिखित हैं:
- दार्शनिक आधार: पाठ्यक्रम का दार्शनिक आधार शिक्षा के उद्देश्यों और लक्ष्यों को निर्धारित करता है। यह शिक्षा के महत्व और उद्देश्यों के बारे में समाज के विचारों को दर्शाता है।
- मनोवैज्ञानिक आधार: पाठ्यक्रम का मनोवैज्ञानिक आधार शिक्षार्थियों की प्रकृति और अधिगम की प्रक्रिया को समझने पर आधारित है। यह शिक्षार्थियों की रुचियों, क्षमताओं और आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है।
- सामाजिक-सांस्कृतिक आधार: पाठ्यक्रम का सामाजिक-सांस्कृतिक आधार समाज की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को दर्शाता है। यह समाज में व्याप्त मूल्यों, विश्वासों और परंपराओं को ध्यान में रखता है।
- आर्थिक आधार: पाठ्यक्रम का आर्थिक आधार देश की आर्थिक स्थिति और विकास के लक्ष्यों को दर्शाता है। यह देश की आर्थिक आवश्यकताओं और संसाधनों को ध्यान में रखता है।
इन निर्धारित तत्वों के अलावा, पाठ्यक्रम निर्माण को प्रभावित करने वाले अन्य कारक भी हैं, जैसे:
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- शिक्षा की प्रचलित पद्धतियाँ
- शिक्षकों की योग्यता और अनुभव
- शैक्षिक संस्थानों की उपलब्ध सुविधाएँ
- तकनीकी विकास
राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां पाठ्यक्रम निर्माण को निम्नलिखित तरीकों से प्रभावित करती हैं:
- राजनीतिक परिस्थितियां: सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों का पाठ्यक्रम पर सीधा प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि सरकार शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना चाहती है, तो पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय एकता से संबंधित विषयों को शामिल किया जाएगा।
- सामाजिक परिस्थितियां: समाज में व्याप्त मूल्यों, विश्वासों और परंपराओं का पाठ्यक्रम पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि समाज में समानता और न्याय के मूल्यों को महत्व दिया जाता है, तो पाठ्यक्रम में इन मूल्यों को प्रतिबिंबित करने वाली सामग्री को शामिल किया जाएगा।
- आर्थिक परिस्थितियां: देश की आर्थिक स्थिति और विकास के लक्ष्यों का पाठ्यक्रम पर प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, यदि देश को कुशल श्रमशक्ति की आवश्यकता है, तो पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को अधिक महत्व दिया जाएगा।
उदाहरण के लिए, यदि किसी देश में लोकतंत्र की स्थापना हुई है, तो पाठ्यक्रम में लोकतंत्र के सिद्धांतों और मूल्यों को शामिल किया जाएगा। यदि किसी देश में आर्थिक विकास की दर तेज है, तो पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को अधिक महत्व दिया जाएगा।
इस प्रकार, पाठ्यक्रम निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जिस पर विभिन्न कारक प्रभाव डालते हैं। इन कारकों को ध्यान में रखते हुए ही एक प्रभावी पाठ्यक्रम का निर्माण किया जा सकता है।