सूचना का अर्थ (Meaning of Information): सूचना केवल तथ्यों या आँकड़ों का संग्रह नहीं है; यह ज्ञान, शिक्षा, प्रशिक्षण और कौशल के माध्यम से उद्देश्यपूर्ण उपयोग में लाए जाने वाले तत्वों का समूह है। सूचना को समझने के लिए इसे चार अलग-अलग आयामों में विभाजित किया जा सकता है:

बुद्धिमत्ता (Wisdom)
“बुद्धिमत्ता, ज्ञान का सही उपयोग है। केवल जानना ही समझदारी नहीं है। कई लोग बहुत कुछ जानते हैं, और फिर भी मूर्ख ही बने रहते हैं। किसी ज्ञानी मूर्ख से बड़ा मूर्ख कोई नहीं होता। लेकिन जो अपने ज्ञान का सही उपयोग करना जानता है, वही बुद्धिमान होता है।” — चार्ल्स स्पर्जन
बुद्धिमत्ता वह ज्ञान है जो जीवन के अनेक अनुभवों से प्राप्त होता है। यह वह स्वाभाविक क्षमता है, जिससे व्यक्ति वे बातें समझ सकता है जो सामान्यतः दूसरों की समझ से परे होती हैं। यह सही और उचित निर्णय लेने की योग्यता है।
दूसरे शब्दों में, बुद्धिमत्ता का आशय है – ज्ञान और अनुभव का प्रयोग करके विवेकपूर्ण निर्णय और आकलन कर पाना।
निर्देश (Instruction)
निर्देश केवल शिक्षक और छात्र के बीच संप्रेषण तक सीमित नहीं होता। यह प्रक्रिया छात्रों को उद्देश्यों की ओर निर्देशित करने का कार्य करती है।
शिक्षण और निर्देश के बीच एक स्पष्ट अंतर है –
शिक्षण (Teaching) में निर्देश (Instruction) शामिल होता है, परंतु केवल निर्देश को शिक्षण नहीं कहा जा सकता।
इसके बावजूद, निर्देश विद्यार्थियों के संज्ञानात्मक (Cognitive), भावनात्मक (Affective) और मनोदैहिक (Psychomotor) पक्षों को प्रभावित कर सकता है।
संक्षेप में, निर्देश वह प्रक्रिया है जो छात्रों को किसी विशिष्ट उद्देश्य की ओर प्रवृत्त करती है।
शिक्षण (Teaching)
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक परिपक्व व्यक्ति और एक अल्पविकसित या कम अनुभव वाला व्यक्ति के बीच संपर्क होता है, जिसका उद्देश्य उत्तरार्द्ध के शैक्षिक विकास को सुनिश्चित करना होता है।
(H.C. Morrison, 1943) के अनुसार, शिक्षण एक प्रकार की मार्गदर्शन प्रक्रिया (Mentoring Process) है।
इसमें शिक्षक और छात्रों के बीच संवाद (Interaction) होता है, जिसके माध्यम से छात्र शिक्षण उद्देश्यों की ओर अग्रसर होते हैं।
इस प्रकार, शिक्षण का मूल तत्व शिक्षक और छात्र के बीच की आपसी सहभागिता है, जो शिक्षा की दिशा तय करती है।
कौशल (Skills)
एक शिक्षक प्रभावी शिक्षण के लिए अनेक विधियों और तकनीकों का प्रयोग करता है। इनमें शामिल हैं:
- छात्रों को प्रेरित करना
- स्पष्ट रूप से समझाना
- प्रश्न पूछना
- श्यामपट (ब्लैकबोर्ड) पर लिखना
- शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Aids) का प्रयोग आदि।
इसके अतिरिक्त, शिक्षक अशाब्दिक संकेतों का भी उपयोग करता है जैसे मुस्कुराना, सिर हिलाना, इशारे करना आदि।
इन सभी गतिविधियों को मिलाकर जो व्यवहारिक कार्यकलाप बनते हैं, उन्हें ही कौशल (Skills) कहा जाता है।