शिक्षण कार्य की अवस्थाएँ तथा क्रियाएँ
जैक्सन (Jackson, 1966) के अनुसार, शिक्षण प्रक्रिया को वैज्ञानिक ढंग से निम्नांकित तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- पूर्व-क्रिया अवस्था (Pre-active Stage),
- अन्तः क्रिया अवस्था (Inter-active Stage
- उत्तर-क्रिया अवस्था (Post-active Stage
(1) पूर्व-क्रिया अवस्था (Pre-active Stage)
पूर्व-क्रिया अवस्था एक शिक्षण की प्रक्रिया की पहली चरण है, जिसमें शिक्षक अपने शिक्षा के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए योजना बनाता है और अधिकारिक तैयारी करता है। यह चरण शिक्षण नियोजना या योजना तैयार करने के रूप में भी जाना जाता है। शिक्षक इस समय में शिक्षा की पूरी योजना बनाते हैं, जिसमें शिक्षा के मूल उद्देश्य, पाठ्यक्रम, और शिक्षण सामग्री का चयन शामिल होता है।
इस चरण में, शिक्षक विभिन्न संदर्भों में जानकारी एवं सामग्री का अध्ययन करते हैं और शिक्षा के लिए सर्वोत्तम योजना तैयार करने के लिए उपाय निकालते हैं। उन्हें छात्रों की विभिन्न आवश्यकताओं और स्तर को ध्यान में रखकर योजना बनानी पड़ती है। इसके अलावा, शिक्षक को अपने शिक्षण के लिए सम्भावित संघर्ष बताने के लिए भी तैयार होना चाहिए ताकि वे विभिन्न प्रतिबंधों का सामना कर सकें।
इस प्रक्रिया में, शिक्षक अपने शिक्षण को पूरी तरह से योजित करने के लिए मेहनत करते हैं और आवश्यक संसाधनों को व्यवस्थित करते हैं। इस चरण में, शिक्षक अपनी शिक्षा की विकास की प्रक्रिया को समझने और उसे सफलतापूर्वक उत्तरदायी बनाने के लिए चिंतन करते हैं।
(2) अन्तःक्रिया अवस्था ( Inter-active Stage)
(3) उत्तर-क्रिया अवस्था (Post-active Stage)
उत्तर-क्रिया अवस्था शिक्षण की एक महत्वपूर्ण चरण है जो शिक्षण कार्य के समाप्त होने के बाद होता है। इस अवस्था में, शिक्षक विद्यार्थियों के सीखे गए अध्ययन सामग्री का मूल्यांकन करते हैं। मूल्यांकन का मुख्य उद्देश्य यह निर्धारित करना होता है कि शिक्षक द्वारा प्रदान की गई शिक्षा विद्यार्थियों के जीवन और विद्यार्थी विकास में कितना प्रभावी रहा है।
शिक्षक विभिन्न मूल्यांकन प्रक्रियाओं का उपयोग करते हैं, जैसे कि लिखित परीक्षण, मौलिक कार्य, प्रोजेक्ट्स, और मूल्यांकन उपकरणों का उपयोग करके। इन प्रक्रियाओं के माध्यम से, वे शिक्षा के प्रभाव को मापते हैं और विद्यार्थियों के शैक्षिक उत्कृष्टता को निर्धारित करते हैं।
उत्तर-क्रिया अवस्था के दौरान, शिक्षक भी यह निर्धारित करने का प्रयास करते हैं कि उनके शिक्षान कार्य का परिणाम कैसा रहा है, यहां तक कि छात्रों के व्यवहार में कितने परिवर्तन आया है और कैसे वे भविष्य में वांछित व्यवहार को प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, शिक्षक अपने शिक्षा कार्य को सुधारने और विद्यार्थियों की समर्थन करने के लिए निर्देशित होते हैं।
शिक्षक के निर्णय तथा क्रियायें
शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान प्रदान करना ही नहीं होता, बल्कि वह छात्रों के जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालता है। शिक्षक के निर्णय और क्रियाएं छात्रों के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
शिक्षक के निर्णयों के कुछ उदाहरण:
- पाठ्यक्रम का चयन: शिक्षक को यह निर्णय लेना होता है कि वह छात्रों को क्या पढ़ाएगा। यह निर्णय छात्रों की उम्र, क्षमता और रुचि के आधार पर लिया जाना चाहिए।
- शिक्षण विधि का चयन: शिक्षक को यह निर्णय लेना होता है कि वह छात्रों को कैसे पढ़ाएगा। विभिन्न शिक्षण विधियां उपलब्ध हैं, जैसे कि व्याख्यान, प्रदर्शन, समूह कार्य, आदि। शिक्षक को छात्रों के लिए सबसे उपयुक्त विधि का चयन करना चाहिए।
- मूल्यांकन का तरीका: शिक्षक को यह निर्णय लेना होता है कि वह छात्रों के प्रदर्शन का मूल्यांकन कैसे करेगा। विभिन्न मूल्यांकन विधियां उपलब्ध हैं, जैसे कि परीक्षा, परियोजनाएं, आदि। शिक्षक को छात्रों के लिए सबसे उपयुक्त विधि का चयन करना चाहिए।
शिक्षक की क्रियाओं के कुछ उदाहरण:
- कक्षा में व्यवहार: शिक्षक को कक्षा में अनुशासन बनाए रखना होता है और छात्रों को सीखने के लिए प्रेरित करना होता है।
- छात्रों के साथ संबंध: शिक्षक को छात्रों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने चाहिए और उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करना चाहिए।
- अपने ज्ञान और कौशल का विकास: शिक्षक को अपने ज्ञान और कौशल को लगातार विकसित करना चाहिए ताकि वह छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सके।
शिक्षक के निर्णयों और क्रियाओं के प्रभाव:
- छात्रों की सीख: शिक्षक के निर्णय और क्रियाएं छात्रों की सीख को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं। यदि शिक्षक के निर्णय और क्रियाएं उचित हैं, तो छात्र बेहतर तरीके से सीखेंगे।
- छात्रों का विकास: शिक्षक के निर्णय और क्रियाएं छात्रों के समग्र विकास को भी प्रभावित करती हैं। शिक्षक छात्रों को न केवल ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें जीवन के लिए महत्वपूर्ण मूल्य भी सिखाते हैं।
- समाज: शिक्षक के निर्णय और क्रियाएं समाज को भी प्रभावित करती हैं। शिक्षक समाज के भविष्य का निर्माण करते हैं। यदि शिक्षक छात्रों को अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं, तो समाज एक बेहतर स्थान बन जाएगा।
निष्कर्ष:
शिक्षक का कार्य महत्वपूर्ण और जिम्मेदार होता है। शिक्षक के निर्णय और क्रियाएं छात्रों के जीवन पर गहरा प्रभाव डालती हैं। शिक्षकों को अपने निर्णयों और क्रियाओं के बारे में सोच-समझकर कार्य करना चाहिए ताकि वे छात्रों को बेहतर शिक्षा प्रदान कर सकें और उन्हें अच्छे नागरिक बनने के लिए प्रेरित कर सकें।