शिक्षक सीखने में सुविधा लाने वाला | Teacher Learning Facilitator B.Ed Notes

शिक्षा एक मानवीय उद्देश्य है जिसका उद्देश्य हमारे समाज को बेहतर बनाना है। शिक्षा हमें ज्ञान की प्राप्ति करने का अवसर प्रदान करती है और हमें बेहतर भविष्य की ओर ले जाती है। इसके लिए, शिक्षा के विभिन्न माध्यम होते हैं और शिक्षक उन माध्यमों में सबसे महत्वपूर्ण हैं।

Teacher Learning Facilitator
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शिक्षक एक व्यक्ति होता है जो छात्रों को ज्ञान और ज्ञान के साथ-साथ नैतिक मूल्यों का भी उद्देश्य देता है। वह छात्रों के विकास और सफलता के लिए संगठित और योग्य शिक्षा प्रदान करता है। शिक्षक एक मेंटर, गुरु और मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है जो छात्रों को उनके सपनों की प्राप्ति में मदद करता है।

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शिक्षक छात्रों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका कार्यक्षेत्र सिर्फ कक्षा में ही सीमित नहीं होता है, बल्क वे छात्रों को उनकी पढ़ाई में मदद करने के लिए उनके साथ घर और समाज में भी जुड़ते हैं। शिक्षक छात्रों को न सिर्फ विषयगत ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्क उन्हें नैतिक मूल्यों, सामाजिक संबंधों, और जीवन कौशलों की भी शिक्षा प्रदान करते हैं।

शिक्षक न केवल छात्रों को विद्या देने के साथ-साथ उनके जीवन में महत्वपूर्ण गुणों को विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक अच्छा शिक्षक छात्रों को संघर्ष क्षमता, समस्या समाधान कौशल, सही निर्णय लेने की क्षमता, और आत्मविश्वास के साथ-साथ स्वतंत्रता और स्वाधीनता के साथ सोचने की क्षमता भी सिखाते हैं। शिक्षा के अभाव में समाज का उत्थान सम्भव नहीं होता, क्योंकि शिक्षक ही नई पीढ़ी को नेतृत्व करते हैं और उन्हें बेहतर भविष्य की ओर ले जाते हैं। शिक्षा में सुविधा लाने वाले शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझना चाहिए। शिक्षक छात्रों को सिर्फ ज्ञान नहीं देते, बल्कि उन्हें उनके मन के भीतर छिपी ज्ञान की खोज की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं। इस प्रक्रिया में, शिक्षक का प्रयास छात्रों को ज्ञान प्राप्त करने के लिए तैयार करता है, जो कि उनके जीवन में न केवल शिक्षा के स्तर को ऊंचा करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर और सक्षम बनाता है।

शिक्षकों के बिना शिक्षा का अर्थ खो जाता है। वे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं और नई पीढ़ी को बेहतर भविष्य की ओर ले जाते हैं। शिक्षा में सुविधा लाने वाले शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को समझना चाहिए।

सीखना शिक्षक के सहयोग से ही सम्भव होता है। शिक्षक विद्यार्थियों को ज्ञान प्राप्त करने के लिए तैयार करने के लिए प्रयत्नशील होता है। शिक्षक का प्रयास बालक को ज्ञान प्राप्त करने के लिए तैयार करना होता है।

सर आइजक न्यूटन ने आकर्षण के नियम की खोज की, जो कि पृथ्वी या किसी दूसरी वस्तु को अन्य वस्तुओं की ओर आकर्षित करती है। इस नियम की खोज में, वे सेब के गिरने के प्रक्रिया में एक नए तत्व को पहचाने, जो कि पूर्व में अनदेखा रहा है। इस तत्व को बिंदुवार शिक्षा के माध्यम से समझाया जा सकता है, जिससे छात्र नई जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। स्वामी विवेकानंद के अनुसार, हर व्यक्ति अपने आत्मशिक्षक होता है, जो उसे नए ज्ञान का अनुभव कराता है और उसे अपने अंतर्मन का गहराई से समझने में सहायता करता है।

जब एक शिक्षक विद्यार्थियों को सिर्फ रटा-रटा कर पढ़ाते हैं, तो वे उन्हें समझाने की अपेक्षा नहीं कर रहे होते। इस तरह का शिक्षण सिर्फ ज्ञान का एक स्त्रोत होता है, जो कि न तो विद्यार्थी के लिए और न ही समाज के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। शिक्षक का मुख्य कार्य होता है विद्यार्थियों के आत्म-अध्ययन की क्षमता को विकसित करना। उन्हें मूल ज्ञान के साथ-साथ सृजनात्मक विकास और श्रेष्ठता की ओर प्रेरित करना चाहिए। एक शिक्षक को निर्देशक की भाँति कार्य करना चाहिए, जिससे उन्हें विद्यार्थियों को सही मार्ग पर ले जाने में मदद मिल सके, परंतु उत्तीर्ण होने का वास्तविक काम विद्यार्थी को ही करना होता है।

सीखने को सुविधाजनक बनाने के लिए उसे निम्नलिखित पदों पर बल देना चाहिए—

1. उसे महत्त्वपूर्ण सूचना को विद्यार्थियों को प्रदान करना चाहिए। ऐसा उसे शिक्षण के प्रारम्भ में ही करना चाहिए। सूचना पाठ्यवस्तु के सम्बन्ध में होनी चाहिए जिसे विद्यार्थियों को इस प्रकार से देना चाहिए कि उनका कौतूहल जाग्रत हो जाये और उन्हें अधिक ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा मिल जाये।

2. शिक्षक को विद्यार्थियों को आत्म अध्ययन के लिए पुस्तकें, नक्शे, प्रयोगशाला सामग्री इत्यादि प्रदान करनी चाहिए।

3. शिक्षक यह भी ध्यान में रखें कि विद्यार्थियों को सरल से कठिनाई के क्रम में पाठ्य सामग्री से परिचित कराया जाये।

4. शिक्षक को विद्यार्थियों को आत्म मूल्यांकन करने की क्रिया से अवगत कराना चाहिए ताकि वह स्वयं ही यह जान सकें कि कितना ज्ञान अर्जित किया है।।

5. शिक्षक को बालक के सीखने का मूल्यांकन सूची बनाकर करना चाहिए ताकि वह यह जान सकें कि बालक ने कितना सीखा है। यह प्रक्रिया उसे अपने शिक्षण के मूल्यांकन में भी सहायता पहुँचायेगी।

6. शिक्षक को विद्यार्थी को जो ज्ञान उसने प्राप्त किया है उसे नई स्थितियों में प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इस बात पर भी बल दिया जाना चाहिए कि शिक्षक अपनी शिक्षण क्रियाओं की योजना उपयुक्त प्रकार से बनाये ताकि विद्यार्थी को सीखने की सुविधा प्राप्त हो सके।

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