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सीखना | Learning B.Ed Notes by SARKARI DIARY

Published by: Ravi Kumar
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सीखना (Learning)

भारतीय परंपरा में माना जाता है कि सीखने की प्रक्रिया बच्चे के मां के गर्भ से आते ही शुरू हो जाती है और यह सीखना मृत्यु तक जारी रहता है। हमारे यहां कहा गया है- ”यावज्जीवमधिते विप्रः” अर्थात् विद्वान जीवन भर सीखता रहता है। सीखने का न तो कोई निश्चित समय है और न ही कोई निश्चित स्थान। मनुष्य माता-पिता, भाई-बहन, मित्र, नेता, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक संस्थाओं, परिचित-अपरिचित सभी से कुछ न कुछ सीखता रहता है।हम मनुष्य अन्य प्राणियों से भी सीखते हैं इसलिए कहा है-

सीखना Learning (B.Ed Notes) - Sarkari DiARY

हम उनसे भी कुछ सीखते हैं जो इंसानों से अलग हैं और चींटियों और मधुमक्खियों की मेहनत से, इन नदियों से, इन पहाड़ों से, इस आकाश से, इस सूरज से, इस चाँद से, इन पेड़-पौधों से, फल-फूलों से।

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सीखना – अर्थ और परिभाषाएँ

सीखना क्या है ?

विचार करने पर हम पाएंगे कि अनुभव के माध्यम से व्यवहार में परिवर्तन ही ‘सीखना’ है। उदाहरण के लिए। किसी बच्चे का खौलते गर्म पानी में हाथ डालना एक स्वाभाविक क्रिया है। उसका हाथ जल गया और वह रोने लगा, लेकिन हाथ जलने के अनुभव के आधार पर दोबारा उबलते गर्म पानी में हाथ न डालना- यह सीखा हुआ काम है। इस प्रकार पिछला अनुभव बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन लाता है।

इस तथ्य को सामने रखते हुए प्रेसी एवं रॉबिन्सन ने अपनी एक पुस्तक में कहा है- सीखना एक अनुभव है, जिसके कारण कार्य में परिवर्तन या समायोजन होता है तथा व्यवहार के नये तरीके अपनाये जाते हैं।

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सीखने की परिभाषाएँ

विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने सीखने की अलग-अलग परिभाषाएँ दी हैं। उनके अवलोकन से पता चलता है कि किसी ने एक पहलू को अधिक महत्व दिया है, किसी ने दूसरे पहलू को अधिक महत्व दिया है। प्रमुख परिभाषाएँ नीचे दी गई हैं –

(1) कुप्पूस्वामी- सीखना एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा एक जीवधारी किसी परिस्थिति में अपनी अन्तःक्रिया के परिणामस्वरूप व्यवहार की एक नवीन विधि अपनाता है।

(2) क्रो तथा क्रो- आदतों को, ज्ञान को और अभिवृत्तियों को अर्जित करना ही सीखना है।

(3) रॉबर्ट गेगने- मनुष्य की क्षमताओं में परिवर्तन ही सीखना है।

(4) स्किनर- व्यवहार को उत्तरोत्तर ग्रहण करने की प्रक्रिया ही सीखना है।

(5) वुडवर्थ- नया ज्ञान और नई प्रतिक्रियायें इन्हें अर्जित करने की प्रक्रिया को सीखने की प्रक्रिया कहते हैं।

(6) गेट्स और साथी- “अनुभव के आधार पर व्यवहार को रूपान्तरित करना ही सीखना है।

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(7) मेकगियोक- अभ्यास के फलस्वरूप कार्य में परिवर्तन ही सीखना है।

(8) क्रोनबैक- अनुभव के परिणामस्वरूप व्यवहार में परिवर्तन ही सीखना है।

इन परिभाषाओं के आधार पर सीखने में दो मुख्य बातें पाई जाती हैं-

  1. अनुभव प्राप्त करना, ज्ञान को अर्जित करना, अभ्यास करना।
  2. इनके फलस्वरूप व्यवहार का रूपान्तरण या व्यवहार में परिवर्तन।
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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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