Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / Assessment for Learning B.Ed Notes in Hindi / मूल्यांकन प्रक्रिया के चरण | Steps in the evaluation process B.Ed Notes

मूल्यांकन प्रक्रिया के चरण | Steps in the evaluation process B.Ed Notes

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

मूल्यांकन प्रक्रिया के चरण: मूल्यांकन प्रक्रिया शिक्षण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह छात्रों की प्रगति का आकलन करने और शिक्षण को बेहतर बनाने में मदद करता है। मूल्यांकन प्रक्रिया के कुछ महत्वपूर्ण चरण निम्नलिखित हैं:

(i) उद्देश्यों का निर्धारण एवं परिभाषीकरण (Identifying and defining objectives)-

उद्देश्य का निर्धारण बच्चे की सामाजिक स्थिति, विषयवस्तु की प्रकृति और शैक्षिक स्तर को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। व्यवहार परिवर्तन के रूप में लक्ष्य तभी सफलतापूर्वक निर्धारित किया जा सकता है जब उपरोक्त तथ्यों को ठीक से समझ लिया जाए।

Also Read:  विकलांगता परीक्षण प्रक्रियाएं B.Ed Notes

मूल्यांकनकर्ता को स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए कि व्यवहारिक परिवर्तन किस रूप में और किस हद तक लाना है। इससे यह जानना आसान हो जाएगा कि व्यवहार में वांछित परिवर्तन आया है या नहीं। इसलिए, उद्देश्यों को ठीक से पहचानने और निर्धारित करने के बाद ही मूल्यांकन की ओर आगे बढ़ना चाहिए। उद्देश्यों को परिभाषित करने में विषयवस्तु एवं व्यवहार परिवर्तन दोनों को समान रूप से महत्वपूर्ण मानना आवश्यक है।

(ii) अधिगम-अनुभव की योजना बनाना (Planning the learning experiences) –

एक बार उद्देश्यों की पहचान और निर्धारण हो जाने के बाद, सीखने के अनुभव पर ध्यान देना चाहिए। सीखने के अनुभव का अर्थ है ऐसी स्थिति का निर्माण करना जिसमें बच्चा वांछित क्रिया कर सके अर्थात् उद्देश्यों के अनुरूप प्रतिक्रिया व्यक्त कर सके।

एक उद्देश्य की पूर्ति के लिए अनेक अनुभवों की योजना बनानी पड़ती है। योजना बनाते समय, बच्चे की उम्र, लिंग, पर्यावरण, सामाजिक पृष्ठभूमि आदि जैसे प्रासंगिक चर को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इसी आधार पर शिक्षण सामग्री, शिक्षण विधि, साधन एवं माध्यम की व्यवस्था की जानी चाहिए।

Also Read:  आलोचनात्मक समीक्षा एवं सोच B.Ed Notes

[catlist name=”bed-deled”]

(iii) विभिन्न उपकरणों के माध्यम से साक्षियाँ प्रदान करना (Providing evidence through various tools of evaluation) –

एक बार सीखने के अनुभव के उद्देश्य और योजना तैयार हो जाने पर, मूल्यांकनकर्ता को उपयुक्त उपकरणों के चयन या विकास की दिशा में प्रयास करना चाहिए। इन उपकरणों का उपयोग करके साक्ष्य एकत्र करें। इन साक्ष्यों के आधार पर व्यवहार परिवर्तन का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

(iv) व्यवहार परिवर्तन के क्षेत्र (Areas of change in behaviour)

चालक के जीवन में आने वाले व्यवहार परिवर्तन, मूल्यांकन के फलस्वरूप ही होते हैं। मूल्यांकन इन व्यवहार परिवर्तनों के लिये एक माध्यम का कार्य करता है। व्यवहार परिवर्तन को मुख्यतः तीन पक्षों में विभाजित किया जाता है-

Also Read:  मूल्यांकन, आकलन और माप की अवधारणा | Concept of evaluation, assessment and measurement B.Ed Notes

(a) संज्ञानात्मक पक्ष (Cognitive aspect)

यह पक्ष ज्ञान के उद्देश्य पर महत्त्व देता है। Bloom ने संज्ञानात्मक पक्ष की विवेचना करते हुए निम्न प्रकार के ज्ञान को इस पक्ष में सन्निहित किया है-

(1) विशेष तथ्यों का ज्ञान,

(2) विशिष्ट तथ्यों को प्राप्त करने की विधियों का ज्ञान,

(3) मान्यताओं एवं परम्पराओं का ज्ञान,

(4) मापदण्डों का ज्ञान,

(5) सिद्धान्तों और सामान्यीकरण का ज्ञान,

(6) घटनाओं का ज्ञान,

(7) विधियों और प्रणालियों का ज्ञान।

Steps in the evaluation process B.Ed Notes By Sarkari Diary

इस पक्ष के छः स्तर होते हैं-प्रत्यावाहन तथा अभिज्ञान, बोध, प्रयोग-विश्लेषण, संश्लेषण तथा मूल्यांकन ।

(b) भावात्मक पक्ष (Affective aspect)-

(1) ग्रहण करना,

(2) प्रतिक्रिया करना,

(3) अनुमूल्यन,

(4) विचारण,

(5) व्यवस्थापन,

(6) चरित्रीकरण।

(c) क्रियात्मक पक्ष (Creative aspect)

यह पक्ष मुख्यतः माँसपेशियों एवं आंगिक गतियों की आवश्यकता से सम्बन्धित होता है। इसे शिक्षण प्रक्रिया की दृष्टि से छः स्तरों में बाँटा जा सकता है-

(1) उत्तेजना,

(2) क्रियान्वयन,

(3) नियन्त्रण,

(4) समायोजन,

(5) स्वभावीकरण,

(6) कौशल।

व्यवहार के इन तीनों पक्षों में परस्पर समन्वय रहता है। बालक के व्यवहार का मूल्यांकन इन तीनों पक्षों के समन्वित रूप में या अलग-अलग किया जाता है।

Leave a comment