गीत | ||
क्र• सं• | गीत के नाम | लेखक के नाम |
8 | बोन रक्षा जीवन रक्षा | अनीता कुमारी |
9 | सेवाविक बाउँडी मेला | सुभद्रा कुमारी |
10 | जय माँय जननी | शिवनाथ प्रमाणिक |
जय माँय जननी
शिवनाथ प्रमाणिक – बैदमारा, बोकारो हिमालयेक मुकुट साजे बिस्वमोहिनीजय जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंगा गोड़-धोवे समुदरें, विंध मेखला कमअरेंकच्छ – कामरुप सोभे माँयेक हाँथेक किंकिनी.जय जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंग । गंगा काबेरिक धारा, उत्तर-दखिन चहुँ ओराकसमीर साजे माँयेक नाकेक नथुनी.जय जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंग । सीधा-सादा परिपाटी, जन-गनेक मनेक माटीमहिमा अपार माँयेक सुबदनी.जय जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंगा । बन- परिधन साजे, नाना रंगेक पइंखी राजेलहर-लहर उड़े तिरंगा निसानी.जय-जय माँ भारत, जय माँ जननी। रंग।
बोन रक्षा जीवन रक्षा
अनीता कुमारी, बिसुनगढ़, हजारीबाग कइसे बाँचतइ बोन-झारसमिन मिली करा अब बिचार… ए भाइ!कइसे बाँचतइ बोन झारगाँव-गाँवे करा सब परचार… ए भाइ!बोन हय बचावे के दरकार… ए भाइ!पानि’क सोवा हेठ गेलइ, माघ मास’ ही जेठ भेलई ।बदरी आब नाञ मँडराइ, आदरों अब हेराइ गेलई ।तीख रउद झोला अपार… ए भाइ!सब मिली करा आब बिचार… ए भाइ!कइसें बाँचतइ बोन झार… ए भाइ!झूर-झार गाछ-पात, धरतीक सिंगार हइ,गाछेक हवा रहल से, जीवन अपार हइ,हवा बिनु साँस ने संसार… ए भाइ!माँत्र के घुघा नाञ उघार… ए भाइ!कइसे बाँचतइ बोन झार… ए भाइ!किना खड़ता हाँथी- बाँदर, कहाँ जड़ता खेरहा सियारपंछी कहाँ खोंधा करता, कहाँ उड़ता पाँइख पसाइरबिरिष्ठ खोजइत लेता जान माइर… ए भाइ!निमुँहाक घार नाम उजार.. ए भाइ! कइसे बाँचतइ बोन झार… ए भाइ!
सेवाँतिक बाउँड़ी मेला
हाइरे हामर सेवाँतिक मेलाचाइरो दनेक लोक कुधाइ गेला,हाइरे हामर सेवाँतिक मेला । चढ़इते नाभइते भालामाझे-माझे बहइ नाला,नाला देखी पियास लागी गेलाहाइरे हामर सेवाँतिक मेला…. ठोनगी उठाइ पानी पिला।चढ़ते गाड़ी ठेलानाभइते बेरेक देलामाझे-माझे गाड़ी रोइक देला,हायरे हामर सेवाँतिक मेला… सारइ पतइ टिइप खालादिदी बोहनइ बुँदिया लेलाछोउवा पुता मिली सभीन खाइला,हाइरे हामर सेवाँतिक मेलाचाइरो दनेक लोक कुधाइ गेलाहायरे हामर सेवाँतिक मेला ।