समूह गत्यात्मक प्रक्रिया में अनेक व्यक्ति मिलकर अपना-अपना योगदान करते हैं। विद्यालयों में अनेक प्रकार के समूह होते हैं यथा-छात्र संसद, क्रीड़ा परिषद्, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक परिषद्, विज्ञान क्लब, अध्यापक परिषद्, कक्षा समूह आदि। ये सभी समूह अपने-अपने स्तर पर अपनी क्षमताओं के अनुसार प्रक्रिया में योगदान करते हैं। इन सभी समूहों के सदस्यों पर आन्तरिक एवं बाह्य परिस्थितियों का प्रभाव पड़ता है जो उनके बदलते व्यवहार में झलकता है और इस कारण समूहों के सामूहिक व्यवहार में गतिशीलता आती है। यह गतिशीलता सकारात्मक रूप ले और शिक्षा प्रक्रिया को प्रगति की ओर ले जाये. इस हेतु इनका अध्ययन करना आवश्यक होता है और यह अध्ययन ही समूह गतिकी कहलाता है। अतः इसका महत्त्व शिक्षा के क्षेत्र में समझा जा सकता है। यह अध्ययन शिक्षा प्रक्रिया में विभिन्न समूहों के सकारात्मक योगदान के लिये निम्नानुसार सहायक सिद्ध हो सकता है-
1. समूह के प्रति चेतना (Group Consciousness) –
प्रबन्धक, प्रधानाध्यापक, अध्यापक, छात्रों को विद्यालय के उद्देश्य, परम्पराएँ एवं आदर्शों को बताकर एवं एक-दूसरे के कार्यों की समीक्षा करके कर्तव्यों के प्रति सजग रखते हैं। इससे छात्रों में यह भाव पैदा होता है कि वे विद्यालय के सदस्य हैं और उनके भी कुछ कर्त्तव्य एवं अधिकार है।
2. नैतिक एवं धार्मिक शिक्षा (Moral and Religious Teaching)-
नैतिक एवं धार्मिक शिक्षा द्वारा छात्रों में सामूहिकता का भाव बराबर रखा जा सकता है।
3. समूह अध्यापन तकनीक (Group Teaching Techniques) –
सामूहिक वार्तालाप, विचार-विमर्श, सेमीनार, वर्कशॉप, सामूहिक प्रायोजना जैसे कार्यों से छात्रों में सामूहिक रूप से कार्य करने की आदत का निर्माण किया जा सकता है।
4. कलात्मक विषयों का पढ़ाना (Teaching of Aesthetic Subject)-
संगीत, क्राफ्ट, कविता आदि जैसे विषयों को सामूहिक रूप से पढ़ाना चाहिये। बड़े समूह उत्साह एवं प्रेरणा के लिये अच्छा माध्यम बन सकते हैं।
5. उत्सवों का आयोजन (Celebration of Days and Festivals) –
महापुरुषों के जन्म अथवा पुण्य तिथियों को सामूहिक रूप से मनाना, राष्ट्रीय त्यौहारों सामूहिक आयोजन, खेल दिवस, पूर्व छात्र सम्मेलन आदि को बड़े स्तर पर मनाने से छात्रों में आदर्शो के प्रति निष्ठा, सद्गुणों एवं परस्पर सहयोग की भावना का विकास होता है। समूह में रहने वाले व्यक्तियों में सहानुभूति, सहयोग, निर्देशन और अनुसरण जैसी प्रवृत्तियों क्रियाशील होती हैं।
उपर्युक्त वर्णित तथ्यों से स्पष्ट है कि समूह गतिकी के ज्ञान की सहायता से छात्रों में उत्तरदायित्व एवं कर्त्तव्य बोध का ज्ञान कराया जा सकता है और अच्छे नेतृत्व के गुणों का विकास किया जा सकता है।