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शिक्षा मनोविज्ञान: परिभाषा, प्रकृति और उद्देश्य

Published by: Ravi Kumar
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शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ

शिक्षा मनोविज्ञान, मनोविज्ञान के सिद्धांतों और अवधारणाओं को शिक्षा के क्षेत्र में लागू करने वाला एक महत्वपूर्ण विषय है। यह मानव व्यवहार, उसकी मानसिक अवस्थाओं, और शिक्षा के प्रभावों का अध्ययन करता है। मनोविज्ञान की विभिन्न शाखाएँ जैसे संज्ञानात्मक मनोविज्ञान, विकासात्मक मनोविज्ञान, और सामाजिक मनोविज्ञान शिक्षा के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

स्किनर के अनुसार, “शिक्षा मनोविज्ञान उन खोजों का प्रयोग करता है जो विशेष रूप से मानव प्राणियों के अनुभव और व्यवहार से संबंधित हैं, और इन खोजों को शैक्षिक परिस्थितियों में लागू किया जाता है।”

इस प्रकार, शिक्षा मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य शिक्षा की प्रक्रियाओं में मानव व्यवहार का अध्ययन करना और उसे बेहतर बनाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से अनुसंधान करना है।

शिक्षा मनोविज्ञान: परिभाषा, प्रकृति और उद्देश्य

शिक्षा मनोविज्ञान की परिभाषाएं

स्किनर: “शिक्षा मनोविज्ञान के अंतर्गत शिक्षा से संबंधित संपूर्ण व्यवहार और व्यक्तित्व शामिल हैं।”

क्रो और क्रो: “शिक्षा मनोविज्ञान, व्यक्ति के जन्म से वृद्धावस्था तक सीखने के अनुभवों का वर्णन और व्याख्या करता है।”

नॉल और अन्य: “शिक्षा मनोविज्ञान प्रमुख रूप से शिक्षा की सामाजिक प्रक्रिया से प्रभावित होने वाले मानव व्यवहार का अध्ययन करता है।”

एलिस क्रो: “यह विज्ञान, वैज्ञानिक विधि से प्राप्त किए गए मानव प्रतिक्रियाओं के सिद्धांतों का उपयोग करता है, जो शिक्षण और अधिगम को प्रभावित करते हैं।”

शिक्षा मनोविज्ञान की प्रकृति

शिक्षा मनोविज्ञान को एक विज्ञान के रूप में देखा जाता है क्योंकि यह वैज्ञानिक विधियों का पालन करते हुए अनुसंधान करता है। यह विभिन्न तथ्यों का निरीक्षण और परीक्षण करता है और उनके आधार पर निष्कर्षों को प्रस्तुत करता है।

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वैज्ञानिक दृष्टिकोण: शिक्षा मनोविज्ञान में अध्यापक कक्षा की समस्याओं का अध्ययन करता है और उनको हल करने के लिए उचित उपायों की खोज करता है। यही कारण है कि इसे एक व्यावहारिक विज्ञान माना जाता है।

  • सॉर और टेलफोर्ड: “शिक्षा मनोविज्ञान, विज्ञान की विधियों का उपयोग करता है, जो इसे अन्य विज्ञानों के समान एक व्यवस्थित दृष्टिकोण देता है।”
  • क्रो और क्रो: “यह विज्ञान मानव व्यवहार के सिद्धांतों का उपयोग करता है और इसे शिक्षा की प्रक्रिया में लागू करता है।”

शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र

शिक्षा मनोविज्ञान की विषय-सामग्री अभी तक पूरी तरह से परिभाषित नहीं हो पाई है क्योंकि यह एक विकसित हो रहा क्षेत्र है। आर्चर का कथन इस संदर्भ में उपयुक्त है: “जब हम शिक्षा मनोविज्ञान की पुस्तकें खोलते हैं, तो हम यह नहीं जानते कि उसमें क्या सामग्री होगी।”

इस विषय के अध्ययन में विभिन्न दृष्टिकोणों से किया गया विश्लेषण महत्वपूर्ण है। विभिन्न विद्वानों ने इसके क्षेत्र को परिभाषित किया है:

  1. डगलस और हॉलैंड के अनुसार: “शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र शिक्षा में भाग लेने वाले व्यक्तियों की प्रकृति, मानसिक जीवन और व्यवहार से संबंधित है।”
  2. क्रो और को: “शिक्षा मनोविज्ञान सीखने को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों का अध्ययन करता है।”
  3. गैरिसन और अन्य: “यह छात्रों के जीवन को समृद्ध करने और शिक्षकों को शिक्षण में उन्नति करने के लिए ज्ञान प्रदान करने का कार्य करता है।”

शिक्षा मनोविज्ञान के कार्य

शिक्षा मनोविज्ञान के कार्यों में विभिन्न पहलुओं का समावेश है, जो शिक्षकों और छात्रों दोनों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

  1. विद्यार्थी को जानना: शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों को विद्यार्थियों की रुचियों, क्षमताओं और मानसिक विकास के बारे में जानकारी प्रदान करता है, ताकि वह शिक्षा प्रक्रिया में अधिक प्रभावी हो सकें।
  2. विषय वस्तु का चयन और आयोजन: यह निर्धारित करता है कि छात्रों को कौन सी सामग्री किस समय पर और किस तरीके से सिखाई जाए, ताकि उनका मानसिक और शारीरिक विकास ठीक से हो सके।
  3. अधिगम की कला और तकनीक सुझाना: शिक्षा मनोविज्ञान यह बताता है कि किसी विशेष विद्यार्थी के लिए कौन सी शिक्षण विधि सर्वोत्तम होगी और कैसे वह अधिक प्रभावी तरीके से सीख सकता है।
  4. उचित अनुशासन स्थापित करना: शिक्षा मनोविज्ञान अध्यापकों को रचनात्मक अनुशासन स्थापित करने में मदद करता है, जो छात्रों के व्यवहार को नियंत्रित करता है और शिक्षा प्रक्रिया को सहज बनाता है।
  5. मूल्यांकन और मापना: शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षकों को विद्यार्थियों की प्रगति और क्षमता का सही मूल्यांकन करने के लिए आवश्यक तकनीकों और उपकरणों के बारे में मार्गदर्शन करता है।
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अधिगम संबंधी कार्य

  1. अधिगम की प्रक्रिया को बेहतर बनाना: शिक्षा मनोविज्ञान विद्यार्थियों को अपने ज्ञान और क्षमताओं को समझने में मदद करता है, जिससे वे अपनी क्षमताओं के अनुसार अधिगम के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।
  2. अभिप्रेरणा और अधिगम: यह छात्रों को सिखाता है कि कैसे वे अधिगम प्रक्रिया में प्रेरित रह सकते हैं और अपनी आत्म-प्रेरणा को बढ़ा सकते हैं।
  3. समूह गतिशास्त्र और समूह व्यवहार: शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों को यह सिखाता है कि वे समूह में कैसे कार्य कर सकते हैं और समूह के अन्य सदस्यों के साथ सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं।
  4. स्मृति और संज्ञान: यह विद्यार्थियों को स्मृति और धारणा की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में मदद करता है, जिससे उनका अधिगम और भी प्रभावी हो सकता है।
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शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य

शिक्षा मनोविज्ञान के उद्देश्य विभिन्न स्तरों पर विद्यार्थियों की सहायता करना है:

  1. विद्यार्थियों के प्रति निष्पक्ष दृष्टिकोण: शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों के बारे में निष्पक्ष और सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है।
  2. शिक्षकों को मार्गदर्शन: यह शिक्षक को विभिन्न शिक्षण विधियों और उपकरणों के चयन में मदद करता है, ताकि वे विद्यार्थियों को अधिक प्रभावी तरीके से सिखा सकें।
  3. समाज और व्यक्तित्व का विकास: शिक्षा मनोविज्ञान छात्रों को सामाजिक संबंधों और व्यक्तित्व विकास में सहायक सिद्ध होता है।

शिक्षा मनोविज्ञान का महत्व

शिक्षा मनोविज्ञान के महत्व को निम्नलिखित बिंदुओं से स्पष्ट किया जा सकता है:

  1. विकासात्मक विशेषताओं को समझना: यह शिक्षा मनोविज्ञान बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास की समझ को बेहतर बनाता है।
  2. अधिगम की प्रक्रिया का सुधार: यह अधिगम की प्रक्रियाओं को प्रभावी बनाने के लिए आवश्यक विधियों और तकनीकों के बारे में मार्गदर्शन करता है।
  3. समूह गतिशास्त्र: शिक्षा मनोविज्ञान समूह के भीतर गतिशीलता और टीमवर्क की महत्ता को समझाता है, जो शिक्षा के बेहतर अनुभव में सहायक होता है।

इस प्रकार, शिक्षा मनोविज्ञान का अध्ययन न केवल अध्यापकों के लिए, बल्कि छात्रों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शिक्षा के क्षेत्र में न केवल तकनीकी रूप से, बल्कि मानविकी दृष्टिकोण से भी लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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