मातृभाषा के रूप में हिन्दी शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित है-
- शुद्ध, सरल, स्पष्ट एवं प्रभावशाली भाषा में छात्र अपने भावों, विचारों एवं अनुभूतियों की अभिव्यक्ति कर सकें
- ज्ञान प्राप्त करने और मनोरंजन के लिए पढ़ना-लिखना सिखाना गद्य-पद्य में निहित आनंद और चमत्कार से परिचय प्राप्त कराना पुस्तकों में निहित ज्ञान भण्डार का अवलोकन कराना तथा बालक की स्वाध्यायशीलता के प्रति रुचि उत्पन्न करना मातृभाषा शिक्षण के महत्वपूर्ण उद्देश्य हैं।
- बालकों के शब्दों, वाक्यांशों तथा लोकोक्तियों आदि के भण्डार में वृद्धि करना।
- उन्हें सत्साहित्य के सृजन की प्रेरणा देना, जिससे वह अपने अवकाश के समय के सदुपयोग
- बालकों को मानव स्वभाव एवं चरित्र के अध्ययन का अवसर प्रदान करना।
उद्देश्यों का विश्लेषण
उपर्युक्त उद्देश्यों को देखने से पता चलता कि उनमें से कुछ उद्देश्य ज्ञानात्मक हैं तो कुछ कौशलात्मक कुछ रसात्मक एवं सृजनात्मक हैं तो कुछ का सम्बन्ध अभिवृत्तियों से है इस प्रकार इन उद्देश्यों को निम्नलिखित पाँच वर्गों में रख सकते हैं-
- ज्ञानात्मक
- कौशलात्मक
- रसात्मक
- सृजनात्मक
- अभिवृत्यात्मक
ज्ञानात्मक उद्देश्य (KNOWLEDGE AIMS)
ज्ञानात्मक उद्देश्यों का तात्पर्य है छात्रों को भाषा एवं साहित्य की कुछ बातों का ज्ञान देना। प्रायः निम्नलिखित बातों की जानकारी देना ज्ञानात्मक उद्देश्य के अन्तर्गत है-
- ध्वनि शब्द एवं वाक्य रचना का ज्ञान देना।
- उच्च माध्यमिक स्तर पर निबन्ध, कहानी, उपन्यास, नाटक, काव्यगीत, गद्यगीत आदि साहित्यिक विधाओं का ज्ञान देना ।
- रचना कार्य के मौखिक एवं लिखित रूपों का ज्ञान देना जिसमें वार्तालाप, सस्वर वाचन, अन्त्याक्षरी, भाषण, वाद-विवाद, संवाद साक्षात्कार, निबन्ध, सारांशीकरण कहानी, आत्मकथा, पत्र तार आदि सम्मिलित हैं।
- उच्चतर माध्यमिक स्तर पर छात्रों को हिन्दी साहित्य के इतिहास की रूपरेखा से भी परिचित कराना चाहिए।
ज्ञानात्मक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छात्र के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन निम्नलिखित हो-
- छात्र इन्हें पहचान सकेगा।
- वह इनका प्रत्यभिज्ञान कर सकेगा।
- वह उनके शुद्ध रूपों में त्रुटियों पकड़ सकेगा।
- वह इनके उदाहरण दे सकेगा। 5. वह इनकी तुलना कर सकेगा।
- वह इनमें परस्पर अन्तर कर सकेगा।
- वह उनका परस्पर सम्बन्ध बता सकेगा। 8. वह इनका विश्लेषण कर सकेगा।
- वह इनका संश्लेषण कर सकेगा।
- वह इनका वर्गीकरण कर सकेगा।
इत्यादि
कौशलात्मक उद्देश्य (SKILLFULNESSS AIMS)
इन उद्देश्यों का सम्बन्ध भाषा के कौशलों से है जिनमें पढ़ना-लिखना, सुनना, बोलना अर्थ ग्रहण करना आदि सम्मिलित हैं। कौशलात्मक उद्देश्यों के अन्तर्गत प्रायः निम्नलिखित बातें आती है-
- सुनकर अर्थ ग्रहण करना।
- शुद्ध एवं स्पष्ट वाचन करना ।
- बोलकर भावाभिव्यक्ति करना।
- धैर्यपूर्वक सुनना।
- सुनने के शिष्टाचार का पालन करना।
- ग्रहणशीलता मन स्थिति बनाए रखना।
- महत्वपूर्ण विचारों और भावों का चयन कर सकना।
- सारांश ग्रहण कर सकना।
- भाव या विचार ग्रहण कर सकना।
- वक्ता के मनोभाव समझ सकना।
- भावानुभूति कर सकना।
- अभिव्यक्ति के ढंग को समझ सकना।
- भावों, विचारों व तथ्यों का मूल्यांकन कर सकना।
इत्यादि
रसात्मक एवं समीक्षात्मक उद्देश्य
इन उद्देश्यों में दो उद्देश्य आते हैं-
- साहित्य का रसास्वादन और
- साहित्य की सामान्य समालोचना।
इन उद्देश्यों का सम्बन्ध उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं से ही है।
सृजनात्मक उद्देश्य
सृजनात्मक उद्देश्य का तात्पर्य है छात्रों को साहित्य सृजन की प्रेरणा देना और उन्हें रचना में मौलिकता लाने की योग्यता का विकास करने के लिए प्रेरित करना। इस कार्य के लिए निबंध, कहानी संवाद, पत्र, उपन्यास एवं कविता को माध्यम बनाया जा सकता है। इसके शिक्षण के समय छात्रों को मौलिकता लाने की प्रेरणा दी जा सकती है। इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छात्र से जिन योग्यताओं की अपेक्षा की जाती है, वे निम्नलिखित हैं-
- वह विषय तथा उसके अन्तर्गत भावों एवं विचारों के लिए उपयुक्त साहित्य की विधा का चयन कर सकेगा।
- वह स्वानुभूत तथा विचारों को प्रभावपूर्ण ढंग से अभिव्यक्त कर सकेगा।
- वह गृहीत व स्वानुभूत विचारों को कल्पना की सहायता से नया रूप दे सकेगा।
- वह गृहीत व स्वानुभूत भावों तथा विचारों को अपने ढंग से अभिव्यक्त कर सकेगा।
- वह विषय तथा प्रसंगों के अनुकूल भाषा एवं शैली का उपयोग कर सकेगा।
अभिवृत्यात्मक उद्देश्य
इस उद्देश्य का तात्पर्य यह है कि छात्रों में उपयुक्त दृष्टिकोण एवं अभिवृत्तियों का विकास किया जाए। हिन्दी शिक्षण के माध्यम से इस सम्बन्ध में दो उद्देश्यों की प्राप्ति होनी चाहिए-
- भाषा और साहित्य में रुचि ।
- सद्वृत्तियों का विकास।
भाषा और साहित्य में रुचि लेने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए छात्र में निम्नलिखित योग्यताओं का विकास आवश्यक है-
- पाठ्यक्रम के अतिरिक्त अन्य पुस्तकें पढ़ना ।
- अच्छी-अच्छी कविताएँ कण्ठस्थ करना ।
- कक्षा और विद्यालय की पत्रिका में योगदान देना।
- कक्षा व विद्यालय में होने वले साहित्यिक कार्यक्रमों में भाग लेना।
- विद्यालय से बाहर होने वाले साहित्यिक कार्यक्रम में भाग लेना।
- साहित्यकारों के चित्र एकत्रित करना।
- साहित्यिक महत्व की पत्रिकाएँ एकत्रित करना।
- अपना एक पुस्तकालय बनाना। 10. साहित्यिक संस्थाओं का सदस्य बनना ।