दृष्टि अक्षमता के कारण (Causes of Visual Impairment) – दृष्टि अक्षमता के मुख्यतः तीन कारण हैं-
- प्रत्यावर्तन की अशुद्धियाँ
- आनुवंशिक और
- वातावरण।
(i) प्रत्यावर्तन की अशुद्धियाँ (Error or Refraction ) – प्रत्यावर्तन की अशुद्धियों के कारण ही दृष्टि-संबंधी अधिकांश समस्याएँ उत्पन्न होती हैं। निकट दृष्टिदोष, दूर- दृष्टिदोष और धुंधली दृष्टि सरीखे दृष्टिदोष इसका जीता-जागता उदाहरण हैं। इन सभी मामलों में प्रत्यावर्तन की अशुद्धियाँ आँख की केन्द्रीय दृष्टि तीक्ष्णता को प्रभावित करता है। इसमें मायोपिया और हाइपरोपिया जैसी विकृतियाँ कम दृष्टि वाले व्यक्तियों में होने वाली सामान्य दृष्टि विकृतियाँ है उपयुक्त शक्ति के लेंस वाले चश्मे के प्रयोग के जरिये इन दृष्टिदोषों को सुधारा जा सकता है।
(ii) आनुवंशिक (Genetic) – ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और मधुमेह के कारण वयस्क व्यक्ति दृष्टि अक्षमता के शिकार हो जाते हैं। इनमें अब तक ग्लूकोमा के कारणों का पता नहीं चल सका है। मोतियाबिंद बच्चे और बूढ़े दोनों में होते हैं। आँखों की रेटिना पर अपारदर्शक परत बन जाने से पीड़ित व्यक्ति को धुंधला दिखाई पड़ता है। बच्चों में होने वाली मोतियाबिंद को ‘कनजेनाइटल कैटरेक्ट’ कहा जाता है वहाँ मधुमेह के चलते व्यक्ति ‘डायबेटिक रेटिनोपैथी’ का शिकार हो जाता है। दृष्टि पटल में रक्त आपूर्ति अवरुद्ध हो जाने के कारण व्यक्ति की दृष्टि कमजोर पड़ने लगती है। ऐसे व्यक्तियों के दृष्टिहीन हो जाने की भी संभावना बनी रहती है।
(iii) वातावरण से जुड़े कारण (Environmental Causes) –
- पटाखा या विस्फोट की चपेट में आ जाना
- दुर्घटना
- आँख में चेचक का निकलना
- आँखों में चोट लगना
- विषाक्त कीड़े का आँख में पड़ जाना
- आँख में तेज प्रकाश का पड़ना
- सो कर या लेट कर पढ़ना
बचाव (Prevention)- भारत सरकार ने वर्ष 1976 में ‘दृष्टिहीनता का राष्ट्रीय कार्यक्रम’ की शुरूआत कर अंधापन नियंत्रण की दिशा में हस्तक्षेप किया। इसका मुख्य उद्देश्य मौजूदा दृष्टिहीनों की संख्या (1.4 प्रतिशत) से घटाकर 0.3 प्रतिशत करना था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत मोतियाबिंद का निःशुल्क ऑपरेशन, बच्चों में दृष्टिदोष का पता लगाकर उनका इलाज और नेत्रदान में मिली आँखों से पुतली प्रतिरोपण करके पुतली के अंधेपन का इलाज शामिल है। इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में चलंत इकाई का गठन भी किया गया है।
निम्नलिखित उपायों पर ध्यान देना चाहिए:
- वैयक्तिक स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना
- रक्त-संबंधियों से शादी-ब्याह करने से बचना
- हरी सब्जियों एवं विटामिन ‘ए’ युक्त फलों का सेवन करना।
- बगैर डॉक्टरी सलाह के अत्यधिक एंटीबायोटिकों के सेवन से बचनातनाव से बचना अथवा तनाव मुक्ति के उपायों को अपनाना
- सिर को चोटिल होने से बचाना
- मधुमेह से बचने के लिए उचित खान-पान का आदत डालना।
- दृष्टिदोष का पता लगते ही नेत्र चिकित्सक से परामर्श लेना ।