कक्षा प्रबन्ध की जटिल प्रक्रिया को साधारण रूप से अथवा सरलता से नहीं समझा जा सकता है। कक्षा प्रबन्धन हेतु कुछ सामान्य सिद्धान्त हैं जिनको कक्षा प्रबन्धन हेतु व्यवस्थित रूप से समझा जा सकता है इनका अभ्यास किया जा सकता है तथा परिस्थिति के अनुसार इन्हें कक्षा प्रबन्धन हेतु प्रयुक्त किया जा सकता है। यद्यपि वह पूर्ण नहीं हैं फिर भी वह कक्षा प्रबन्धन की समस्याओं को सुलझाने के लिए तथा अध्यापक को विशिष्ट ध्यान हेतु अध्यापक के लिए सहायक होते हैं।
कक्षा प्रबन्धन के सामान्य सिद्धान्त (General Principles of Classroom Management)-
शिक्षा प्रबन्धन के मुख्य सिद्धान्त निम्नलिखित हैं-
- जब विद्यार्थी कक्षा के नियमों को समझ लें तथा उन्हें स्वीकार कर लें तो वह उनका अनुसरण करें।
- कक्षा प्रबन्धन में इस तथ्य का ध्यान रखना चाहिए कि उसमें नियंत्रण पर ही बल न दिया जाये बल्कि इस तथ्य पर भी ध्यान दिया जाये कि विद्यार्थियों को अधिक से अधिक समय उत्पादन क्रिया-कलापों में व्यतीत हो ।विद्यार्थियों में न केवल बाह्य नियंत्रण का विकास अपितु उनमें आन्तरिक नियन्त्रण का विकास करना भी अध्यापक का लक्ष्य होना चाहिए।
- यदि विद्यार्थियों को उनकी रूचियों तथा योग्यताओं के अनुसार अर्थपूर्ण कार्यों में लगाया जाये तो उनको कम अनुशासन सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है
कक्षा प्रबन्धन में विशिष्ट सिद्धान्त (Specific Principles of Classroom Management-
शिक्षा प्रबन्धन के विशिष्ट अधिनियम निम्नलिखित हैं-
- विलम्ब तथा अवरोध कम-से-कम हो
- व्यवस्थित पाठ तथा स्वतंत्र क्रिया-कलापों का नियोजन ।
- यदि नियम आवश्यक हों तो स्पष्ट नियम बनाये जायें।
- प्रयत्नों को प्रोत्साहन दें तथा
- संकेत पुनर्बलन तथा उपयुक्त व्यवहार का प्रयोग विद्यार्थियों को उत्तरदायित्व महसूस करने दें।
नियम प्रत्येक परिस्थिति में लागू नहीं होते, फिर भी इस तथ्य का ध्यान रखना कि तात्कालिक परिस्थिति में कैसे और कम अनुदेशन दिये जायें और विद्यार्थियों के अच्छे व्यवहार का वर्णन करना तथा उन्हें अच्छे व्यवहार हेतु पुरस्कृत करना जिससे उन्हें ज्ञात हो कि उन्हें क्या करना चाहिए अथवा कैसा व्यवहार करना चाहिए और वह अच्छे व्यवहार करने हेतु प्रेरित हो।
इन सामान्य विशेषताओं के अतिरिक्त अध्यापक का व्यवहार भी कक्षा में अच्छे वातावरण की उत्पत्ति तथा समय तथा प्रयत्नों के अधिकाधिक सउपयोग में सहायक होता है ।