Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / विषय-वस्तु अथवा पाठ्यक्रम का इतिहास | History of Teaching Area B.Ed Notes

विषय-वस्तु अथवा पाठ्यक्रम का इतिहास | History of Teaching Area B.Ed Notes

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

विषय-वस्तु अथवा पाठ्यक्रम का इतिहास

ब्रिटिश काल में भारत में शिक्षा का उद्देश्य बहुत सीमित था। उस समय शासन चलाने के लिए विभिन्न वर्गों की आवश्यकता थी। उस समय पाठ्यक्रम इस प्रकार का होता था कि कार्यालयों का कार्यभार संभाला जा सके। आजादी के बाद भी वही पाठ्यक्रम चलता रहा लेकिन समय के साथ इसमें कुछ सुधार लाए गए। पाठ्यक्रम का सीधा संबंध शिक्षा के उद्देश्यों से है। पहले पाठ्यक्रम बहुत संकीर्ण था। लेकिन धीरे-धीरे सामाजिक परिवर्तन के साथ-साथ पाठ्यक्रम भी बदलता गया। एक समय था जब पाठ्यक्रम में केवल शास्त्रीय विषयों का ही बोलबाला था। जिसमें अरबी, रोमन, संस्कृत, ग्रीक आदि भाषाएँ शामिल थीं। समय बदलने के साथ-साथ इन विषयों का महत्व भी धीरे-धीरे कम होता गया।

धीरे-धीरे बदलती परिस्थितियों के कारण नये पाठ्यक्रम की आवश्यकता पड़ी। नए पाठ्यक्रम के आयोजन की वर्तमान प्रवृत्ति अलग है। वर्तमान समय में पाठ्यक्रम समस्याओं, निश्चित उद्देश्यों, रचनात्मक गतिविधियों अथवा उपयोगी अनुभवों को व्यवस्थित करता है।

History of Teaching Area B.Ed Notes - Sarkari DiARY

पाठ्यक्रम को संतुलित करने का अर्थ है कि बच्चे का विकास उसकी रुचियों या बदलते परिवेश के अनुसार होना चाहिए।

Also Read:  Sido Kanhu Murmu University (SKMU) B.Ed Study Material 2024

शिक्षा का उद्देश्यों से पाठ्यक्रम का सीधा सम्बन्ध होता है। सर्वप्रथम शिक्षा का उद्देश्य केवल Reading, Writing and Arithmetic इत्यादि का ज्ञान देना ही है। अतः पहले पाठ्यक्रम का अर्थ अत्यन्त सकुचित था पाठ्यक्रम पहले कुछ ही विषयों तक सीमित था। धीरे-धीरे परिस्थितियों के अनुसार पाठ्यक्रम बदलता गया।

आज नए पाठ्यक्रम में उन सभी विषयों अथवा गतिविधियों पर बल दिया जा रहा है जिनके द्वारा छात्रों को व्यवसाय के लिए तैयार किया जाए, जिनमें श्रम की महत्ताप्रदर्शित की जाए, जो उत्पादन में सहायक हो।

प्राचीन पाठ्यक्रम विषय प्रधान था, परन्तु नया पा ठ्यक्रम क्रिया प्रधान अथवा बाल-केन्द्रित है। अतः पाठ्यक्रम के विषय में निम्न बातों का जानना अत्यन्त आवश्यक है-

  • किसी भी एक पाठ्यक्रम को निश्चित नहीं समझा जा सकता है इसमे समय के साथ-साथ उसमें परिवर्तन करते रहना चाहिए।
  • पाठ्यक्रम में अनुसन्धान समय-समय पर करना हमारे देश में अत्यधिक आवश्यक है।
  • पाठ्यक्रम छात्रों की आवश्यकताओं से सम्बन्धित होना चाहिए।
  • प्रत्येक विषय में बहुत सी सामग्री भर देने के लिए अत्यधिक प्रयत्न नहीं होने चाहिए बल्कि अत्यन्त महत्वशाली तत्वों, जो युग से सम्बन्धित हो।
Also Read:  विद्यालय स्तर पर पाठ्यचर्या विकास B.Ed Notes

विषय-वस्तु अथवा पाठ्यक्रम का आरंभ

विषय-वस्तु अथवा पाठ्यक्रम का आरंभ बहुत साल पहले हुआ था। प्राचीन काल में शिक्षा का महत्व बहुत उच्च था और लोगों को विभिन्न विषयों पर ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा थी। उनके साथ-साथ विषय-वस्तु के विकास के लिए भी प्रयास किए गए।

[catlist name=bed-deled]

विषय-वस्तु का आरंभ शिक्षा के माध्यम से हुआ। प्राचीन काल में शिक्षा गुरु-शिष्य परंपरा में दी जाती थी और शिक्षा केंद्रों में विभिन्न विषयों पर शिक्षा दी जाती थी। इस प्रकार, विषय-वस्तु का प्रारंभ हुआ और उसका विकास शुरू हो गया।

विषय-वस्तु का विकास

विषय-वस्तु का विकास समय के साथ-साथ होता रहा है। नए-नए विषयों की खोज होती रही और उन्हें शिक्षा के रूप में शामिल किया जाता रहा। विषय-वस्तु का विकास शिक्षा के माध्यम से ही होता रहा है और यह विभिन्न शिक्षा संस्थानों के माध्यम से होता रहा है।

विषय-वस्तु का विकास विभिन्न कारणों के कारण होता रहा है। जनसंख्या का वृद्धि, तकनीकी प्रगति, विज्ञान का विकास, सामाजिक परिवर्तन आदि इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इन सभी कारणों के साथ-साथ विषय-वस्तु का विकास भी होता रहा है।

Also Read:  पाठ्यक्रम का अर्थ एवं परिभाषा || Meaning and definition of curriculum (B.Ed) Notes

विषय-वस्तु का विकास आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ और तकनीकी प्रगति के साथ भी जुड़ा हुआ है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली ने विषय-वस्तु के विकास को बढ़ावा दिया है और छात्रों को विभिन्न विषयों पर विस्तृत ज्ञान प्राप्त करने का मौका दिया है। इसके साथ ही, तकनीकी प्रगति ने विषय-वस्तु के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह छात्रों को विषय-वस्तु के अध्ययन को आसान और रोचक बनाने में मदद करती है।

सारांश

विषय-वस्तु अथवा पाठ्यक्रम का इतिहास विषय-वस्तु के विकास और प्रगति की कहानी है। इसके माध्यम से हम विषय-वस्तु की महत्वपूर्ण प्रगति को समझ सकते हैं और उसके विकास के पीछे के तत्वों को जान सकते हैं। विषय-वस्तु का विकास शिक्षा के माध्यम से होता रहा है और यह विभिन्न कारणों के साथ-साथ होता रहा है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली और तकनीकी प्रगति ने विषय-वस्तु के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

Leave a comment