Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / वसा के कार्य एवं प्रभाव का वर्णन B.Ed Notes

वसा के कार्य एवं प्रभाव का वर्णन B.Ed Notes

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

वसा के कार्य

  • शरीर में ऊर्जा का संग्रह करना– सबसे अधिक ऊर्जा वसा से प्राप्त होती है। 1 ग्राम वसा 9 कैलोरी ऊर्जा देता है। यह शरीर में वसीय ऊतकों के रूप में जमा हो जाती है जब शरीर को अन्य किसी साधन से ऊर्जा नहीं मिलती है अर्थात् भोजन नहीं मिलता, शरीर में जमा ग्लाइकोजन भी समाप्त हो जाता है तब इन वसीय ऊतकों द्वारा ऊर्जा मिलती है। भोजन में कार्बोज तथा प्रोटीन की मात्रा अधिक होने पर वे भी शरीर में वसीय तन्तुओं के रूप में जमा हो जाते हैं। इस प्रकार वसा ऊर्जा संग्रह का उत्तम साधन है।
  • शरीर के नाजुक अंगों को सुरक्षा देना- हमारे शरीर के कोमल अंगों के ऊपर वसा की दोहरी पर्त होती है जैसे- हृदय, फेफड़े, गुर्दे आदि इन अंगों के ऊपर वसा की दोहरी पर्त उन्हें बाह्य चोटों से बचाती है।
  • शरीर के तापक्रम को नियमित करना – त्वचा के नीचे जो वसा की पर्त होती है वह हमारे शरीर में ताप अवरोधक या ऊष्मा कुचालक होने का काम करती है। इस अवरोधक के कारण शरीर तापक्रम नियमित रहता है।
  • आवश्यक वसीय अम्लों की प्राप्ति का स्त्रोत-आवश्यक वसीय अम्लों का शरीर में निर्माण नहीं होता किन्तु शरीर के स्वस्थ, त्वचाकी सुरक्षा के लिए ये आवश्यक होते हैं। वसायुक्त भोजन इनकी पूर्ति करता है।
  • प्रोटीन की बचत वसा की अनुपस्थिति में प्रोटीन ऊर्जा देने का काम करने लगती है। अत: उसका मुख्य कार्य शरीर निर्माण छूट जाता है। वसा प्रोटीन की बचत कर उसे उसके मुख्य कार्य हेतु स्वतन्त्र कर देता है।
  • पाचक रस के स्राव को कम करना-वसा शरीर के पाचक संस्था में पाचक रसों के स्राव को कम करता है जिसके कारण पाचन क्रिया धीमे होती है। विभिन्न पाचक अंगों में भोजन लम्बे समय तक बना रहता है जिससे भूख जल्दी नहीं लगती है।
  • आमाशयिक एवं आन्त्रिक अंगों को चिकना करना-यह आमाशय व आंत मार्ग को चिकनाहट देता है जिससे आँतों की माँसपेशियों के फैलने, सिकुड़ने की क्रिया ठीक प्रकार से चलती है।
  • भोजन में स्वाद तथा सुगन्ध की वृद्धि करता है।
Also Read:  बाल्यावस्था की मुख्य विशेषताएँ | Chief Characteristics of Childhood B.Ed Notes

हृदय सम्बन्धी रोग – रक्त में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाने से वह रक्त धमनियों के अन्दर जमने लगता है जिससे रक्त वाहिनियाँ सिकुड़ जाती हैं जिससे रक्त का दबाव बढ़ जाता है। रक्त का दबाव बढ़ने से रक्त संचरण पर प्रभाव पड़ता है। रक्त में 120-160 मिग्रा/ 100. मिली. के हिसाब से कोलेस्ट्रॉल होना चाहिए। इसकी अधिक मात्रा हृदय गति रोक भी देती है। मोटापे के कारण गुर्दे के चारों ओर जमा वसा की मोटी पर्तें गुर्दों के काम में भी रुकावट डालती हैं जिससे शरीर से गुर्दे द्वारा निकाले जाने वाले निरुपयोगी पदार्थ बाहर न निकलकर जमा होने लगते हैं यह स्थिति मनुष्य के लिए हानिकारक होती है।

Also Read:  सामाजिक समूह: अर्थ, परिभाषा एवं विशेषताएँ | Social Group B.Ed Notes

मोटापा दूर करने के उपाय-

  • भोजन में वसा का प्रयोग कम करें।
  • उन भोजन बनाने की विधि का प्रयोग करें जिससे वसा का प्रयोग कम हो
  • घी के स्थान पर तेल का प्रयोग करें ताकि शरीर में कोलेस्टेरॉल अधिक न पहुँचे।
  • अधिक कोलेस्ट्रॉल युक्त वसा का प्रयोग न करें।
  • भोजन में फल या फलों का रस अधिक लेना चाहिए क्योंकि इनका अम्ल वसा को नष्ट कर देता है तथा त्वचा के नीचे जमी वसा पर्त में से भी वसा को काटता है। (6) भोजन का समय निश्चित होना चाहिए। दिन भर थोड़े-थोड़े अन्तराल पर नहीं खाना चाहिए।
  • वसा के साथ-साथ भोजन में कार्बोहाइड्रेट भी कम लेने चाहिए क्योंकि कार्बोहाइड्रेट के पचने पर अतिरिक्त ग्लूकोस भी वसा के रूप में जमा होता है।
  • भोजन में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने पर ध्यान रहे कि यह प्रोटीन उन भोज्य पदार्थों से हो जिनमें वसा न हो।
  • मोटे व्यक्ति को कम-से-कम रोज 4-5 मील पैदल चलना चाहिए
  • यदि मोटापे के साथ कोई रोग और हो तो डॉक्टर से सलाह लें।
Also Read:  Curriculum Development at School Level B.Ed Notes

Leave a comment