Home / वास्तुकला कला | Architectural Art

वास्तुकला कला | Architectural Art

Published by: Ravi Kumar
Updated on:
Share via
Updated on:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

वास्तुकला कला

वास्तुकला कला और विज्ञान का एक संयोजन है जो इमारतों, संरचनाओं और परिदृश्यों के डिजाइन और निर्माण से संबंधित है। यह एक बहुमुखी कला रूप है जो सौंदर्य, कार्यक्षमता और स्थायित्व को संयोजित करता है।

वास्तुकला की उत्पत्ति प्राचीन काल में हुई थी। प्राचीन मिस्र, ग्रीस और रोम में वास्तुकला का विकास हुआ था। इन संस्कृतियों में वास्तुकला का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, सजावट और शक्ति और स्थिति के प्रतीक के रूप में किया जाता था।

मध्य युग में वास्तुकला का उपयोग धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा। इस अवधि में वास्तुकला का उपयोग चर्चों और अन्य धार्मिक स्थलों को सजाने के लिए किया जाता था।

पुनर्जागरण के दौरान वास्तुकला में एक पुनर्जागरण हुआ। इस अवधि में वास्तुकला का उपयोग मानव शरीर की सुंदरता और परिपूर्णता को दर्शाने के लिए किया जाता था।

Also Read:  भारत में लिंग और समाज की स्थिति | Status of Gender and Society in India B.Ed Notes

19वीं शताब्दी में वास्तुकला में एक नई शैली का उदय हुआ, जिसे आधुनिकतावाद कहा जाता है। इस शैली में वास्तुकला का उपयोग नई तकनीकों और सामग्री का उपयोग करके नई अभिव्यक्तियों को बनाने के लिए किया जाता था।

20वीं शताब्दी में वास्तुकला में कई नई शैलियों का विकास हुआ। इन शैलियों में अभिव्यक्तिवाद, अमूर्तन और अवंत-गार्डे शामिल हैं। इन शैलियों में वास्तुकला का उपयोग नए विचारों और अवधारणाओं को व्यक्त करने के लिए किया जाता था।

आज, वास्तुकला एक जीवंत और बहुमुखी कला रूप है। वास्तुकार विभिन्न प्रकार की सामग्री और तकनीकों का उपयोग करके विभिन्न प्रकार की इमारतों और संरचनाओं का निर्माण करते हैं। वास्तुकला का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि आवास, व्यवसाय, शिक्षा, मनोरंजन और धार्मिक अनुष्ठान।

Also Read:  What is Education: Exploring the Concept and Its Relationship with Philosophy (B.Ed) Notes

वास्तुकला की कुछ प्रमुख शैलियाँ निम्नलिखित हैं:

  • प्राचीन वास्तुकला: प्राचीन मिस्र, ग्रीस और रोम में विकसित हुई वास्तुकला।
  • मध्ययुगीन वास्तुकला: ईसाई धर्म के उदय के साथ विकसित हुई वास्तुकला।
  • पुनर्जागरण वास्तुकला: 14वीं से 16वीं शताब्दी तक विकसित हुई वास्तुकला।
  • आधुनिक वास्तुकला: 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से विकसित हुई वास्तुकला।
  • अभिव्यक्तिवादी वास्तुकला: 20वीं शताब्दी की शुरुआत में विकसित हुई वास्तुकला, जो मानव भावनाओं और अनुभवों को व्यक्त करने पर केंद्रित थी।
  • अमूर्त वास्तुकला: ठोस आकृतियों और रूपों से बचने वाली वास्तुकला।
  • अवंत-गार्डे वास्तुकला: परंपरागत वास्तुकला की सीमाओं को तोड़ने पर केंद्रित वास्तुकला।

वास्तुकला के कुछ प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • आवासीय वास्तुकला: आवास के लिए इमारतों और संरचनाओं का डिजाइन और निर्माण।
  • व्यावसायिक वास्तुकला: व्यवसायों के लिए इमारतों और संरचनाओं का डिजाइन और निर्माण।
  • शैक्षिक वास्तुकला: स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए इमारतों और संरचनाओं का डिजाइन और निर्माण।
  • मनोरंजन वास्तुकला: थिएटरों, ऑडिटोरियम और अन्य मनोरंजन स्थलों के लिए इमारतों और संरचनाओं का डिजाइन और निर्माण।
  • धार्मिक वास्तुकला: चर्चों, मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए इमारतों और संरचनाओं का डिजाइन और निर्माण।
Also Read:  Importance of Women's Education and law B.Ed Notes

वास्तुकला एक महत्वपूर्ण और बहुमुखी कला रूप है। यह मानव इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। वास्तुकला का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि आवास, व्यवसाय, शिक्षा, मनोरंजन और धार्मिक अनुष्ठान।

वास्तुकला के कुछ महत्वपूर्ण तत्व निम्नलिखित हैं:

  • फंक्शन: किसी इमारत या संरचना का उद्देश्य क्या है?
  • फॉर्म: इमारत या संरचना का आकार और रूप क्या है?
Photo of author
Published by
Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

Related Posts

Leave a comment