शिक्षा और शैक्षिक अनुसंधान के क्षेत्र में, चर एक ऐसा परिणामकारी कारक है जो विभिन्न प्रक्रियाओं और संदर्भों में परिवर्तन को प्रतिपादित करता है। इसका अर्थ है कि जब हम किसी शैक्षिक अध्ययन या प्रयोग में बात करते हैं, हम विभिन्न परियोगों या स्थितियों में एक चर को बदलते हैं और फिर उसके परिणामों को अनुसंधान करते हैं।
इस अर्थ में, चर को “परिवर्तनशील” या “बदलने योग्य” के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। इसका अर्थ है कि यह एक फैक्टर है जिसका परिणाम अलग-अलग स्थितियों या परियोगों में बदल सकता है।
यहाँ उदाहरण के रूप में, अध्ययन करने के लिए विभिन्न मात्राओं का छात्रों के शैक्षिक प्रदर्शन पर कैसा प्रभाव पड़ता है, जैसे कि अध्ययन की अवधि, शिक्षक-छात्र संबंध, शैक्षिक सामग्री का प्रकार, आदि। यह सभी चर हो सकते हैं जिनका अध्ययन किया जा सकता है और जिनका परिणाम शिक्षा के क्षेत्र में परिणाम को प्रभावित कर सकता है।
कार्टर वी. गुड द्वारा संपादित शैक्षिक शब्दकोष के अनुसार, “कोई भी विशेषता जो एक केस या परिस्थिति से दूसरे केस या परिस्थिति में बदल जाती है।”
चरों के प्रकार (Types of Variables)
चरों के प्रकार शिक्षण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण होते हैं, जो शिक्षण के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करते हैं।
(1) स्वतन्त्र चर (Independent Variable)
यह चर उस परिणाम को प्रभावित करते हैं जो अन्य चरों पर निर्भर करता है। शिक्षण प्रक्रिया में, यह शिक्षक द्वारा निर्धारित किए गए पाठ्यक्रम, विधियाँ, और प्रयोगों को संदर्भित करता है।
(2) आश्रित चर (Dependent Variable)
इस चर में अध्ययन का विषय होता है, जो स्वतन्त्र चर के प्रभाव में परिणत होता है। इसमें छात्रों के ज्ञान, कौशल, और प्रवृत्तियाँ शामिल होती हैं।
(3) हस्तक्षेप चर (Intervening Variables)
ये चर उन बाहरी तत्वों को संदर्भित करते हैं जो स्वतन्त्र और आश्रित चरों के बीच आधारभूत जुड़ाव का दायित्व निर्दिष्ट करते हैं। इसमें शिक्षण विधियों, प्रयोगों, और सामग्रियों का प्रभाव शामिल होता है।
ये चर एक साथ मिलकर शिक्षण प्रक्रिया को संपूर्ण बनाते हैं, जहां स्वतन्त्र चर द्वारा पाठ्यक्रम का निर्धारण होता है, आश्रित चर द्वारा छात्रों का अधिगम मापा जाता है, और हस्तक्षेप चर द्वारा शिक्षण प्रक्रिया की प्रभावशीलता को संज्ञान में लिया जाता है।