प्रायः किसी समस्या पर विचार करने में कुछ कठिनाई उपस्थित होती जाती है, जैसे विभिन्न उद्दीपन के कारण ध्यान बंट जाना या बहुत-से विचारों में भटक जाना आदि। इन कठिनाइयों पर विजय प्राप्त करने के लिए कुछ उपकरणों का आश्रय लेना पड़ता है जिन्हें चिन्तन के प्रमुख साधन कहा जाता है। चिन्तन के कुछ प्रमुख साधन निम्नलिखित हैं
1. प्रतिमा (Image)
व्यक्ति अपने व्यावहारिक जीवन में जिन चीज़ों को देखता है उनकी छवियाँ उसके दिमाग में बनती हैं।
ड्रेवर के अनुसार, एक छवि किसी वस्तु या वस्तुओं की अनुपस्थिति में उस वस्तु या वस्तुओं का ज्ञान है जो शुरू में हमारी इंद्रिय धारणा को निर्धारित करती है। व्यक्ति के मस्तिष्क में अलग-अलग संवेदनाओं से संबंधित अलग-अलग छवियां बनती हैं, जैसे स्पर्श, दृष्टि, श्रवण, गंध और स्वाद से संबंधित संवेदनाओं की छवियां। साधारण तथा इनमें से दृष्टि बिम्ब प्रमुख माना जाता है। कल्पनाशील सोच में हम मानसिक वस्तु की प्रकृति के अनुसार विभिन्न स्तरों के बीच अंतर कर सकते हैं, जिसका सरल रूप प्रारंभिक स्मृति छवि है।
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रॉस ने कहा है – प्रारंभिक स्मृति छवियों को वास्तविक संवेदी धारणा के विकल्प के रूप में माना जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब कोई व्यक्ति ताज महल को देखता है, तो यह एक मानसिक अनुभूति होती है, लेकिन यदि वह अपनी आँखें बंद कर लेता है, तो वह इसे फिर से देख सकता है और अब मानसिक छवि एक दृश्य है। एक छवि की आवश्यक विशेषताओं में से एक यह है कि इसे ऐसे अनुभव किया जाना चाहिए जैसे कि यह इंद्रियों के लिए मौजूद नहीं है। इन चित्रों को चिंतन का साधन कहा गया है।
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छवियों को लेकर सवाल उठता है कि सोच में उनकी भूमिका क्या है? क्या वे सोच की मध्यस्थ प्रतिक्रियाएँ हैं? कुछ मनोवैज्ञानिकों ने इसका समर्थन किया है तो कुछ ने इसका विरोध किया है. इस प्रश्न का वैज्ञानिक उत्तर देने के लिए मनोवैज्ञानिकों ने सोच में छवियों की भूमिका पर गंभीर प्रयोग किए हैं।
2. संकेत (Symbols)
चिन्तन के साधन के रूप में सकेत या प्रतीक भी सहायक होते हैं। ये चित्र, शब्द या वस्तुओं के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं। सकेत वह उद्दीपन है जो किसी अनुपस्थित वस्तु का प्रतिनिधित्व करता है। जैसे ट्रैफिक के चौराहे पर लाल या हरी बत्ती का संकेत देखने पर हम उस पर बिल्कुल भिन्न दृष्टिकोण से विचार करते हैं।
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वुडवर्थ इस उदाहरण के साथ विचार प्रक्रिया को समझाते हैं: यदि आप किसी को समझा रहे हैं कि आपकी कार दूसरी कार से कैसे टकराई, तो आप उससे यह समझाने के लिए कहें कि यह एक सड़क है और यहाँ दूसरी सड़क है। और मान लीजिए कि यह किताब मेरी कार है और दूसरी किताब दूसरी कार है। यहां गुम हुई वस्तु के लिए दो प्रकार के चिन्हों, चित्रों और शब्दों का प्रयोग किया जाता था। पुस्तक और वर्णित स्थान सड़कों के रूप में स्थिति का एक चित्र प्रस्तुत करते हैं, और ‘मेरी कार और उसकी कार’ शब्द मौखिक संकेत हैं जो एक अनुपस्थित वस्तु को दूसरे से अलग करते हैं। इस प्रकार हम देखते हैं कि शब्द और चित्र सोचने के साधन हैं।
3. भाषा (Language)
भाषा चिन्तन’ का प्रमुख साधन है। भाषा की सहायता से ही हम प्रतिमा और प्रत्यय में सम्बन्ध स्थापित करते हैं। भाषा के माध्यम से ही व्यक्ति अपने विचारों को व्यक्त करने में समर्थ हो पाता है। भाषा का प्रत्येक शब्द किसी-न-किसी प्रतिमा या प्रत्यय का निश्चित बोध चिन्ह है। जिस व्यक्ति का भाषा-ज्ञान जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक वह विचार करने में सफल हो सकता है।
4. प्रत्यय (Concept)
प्रत्यय चिन्तन का महत्वपूर्ण आधार है। प्रत्यय को संकल्पना भी कहते हैं। सामान्य प्रत्ययों के निर्माण में मस्तिष्क व्यक्तिगत प्रतिमाओं में निहित विशिष्ट गुणों को निकाल कर उनमें जो सामान्य गुण निहित होता है, उसको मिला देता है। इस प्रकार प्रत्यय के निर्माण में सामान्यीकरण और पृथक्करण का बहुत महत्व है।