Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / Physical Science Pedagogy B.Ed Notes / विज्ञान की प्रकृति: विज्ञान क्या है?

विज्ञान की प्रकृति: विज्ञान क्या है?

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

मानव स्वभाव से जिज्ञासु होता है। उसकी बुद्धि बहुत अधिक विकसित है, क्योंकि इससे वह भलीभांति निरीक्षण कर सकता है। वह उनमें परस्पर संबंध स्थापित कर सकता है और अपने परीक्षण के आधार पर भविष्य में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी कर सकता है। निरीक्षण, वर्णन, खोज और भौतिक संसार का प्रयोग कुछ और नहीं बल्कि विज्ञान है। विज्ञान का अंग्रेजी अनुवाद साइंस शब्द लैटिन शब्द SCIENTIA से बना है जिसका अर्थ है ज्ञान। इस प्रकार विज्ञान शब्द का शाब्दिक अर्थ में ज्ञान के पर्यायवाची के रूप में प्रयोग किया जाता है, परंतु प्रत्येक ज्ञान या जानकारी अनिवार्यतया विज्ञान नहीं होती है।

• डॉ0 एस. राधाकृष्णन के शब्दों में “विज्ञान लगन है, दिमागी वर्जिश है, मानसिक और अन्वेषण संबंधी परिश्रम है।”

• इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, के अनुसार “विज्ञान नैसर्गिक घटनाओं और उनके बीच संबंधों का सुव्यवस्थित ज्ञान है।”

• आइंस्टीन के अनुसार “हमारी ज्ञान अनुभूतियों की अस्त व्यस्त विभिन्नता की एक तर्कपूर्ण विचार प्रणाली निर्मित करने के प्रयास को विज्ञान कहते हैं।”

• कॉल पौपर के अनुसार, “विज्ञान निरंतर क्रांतिकारी परिवर्तन की स्थिति है और वैज्ञानिक सिद्धांत तब तक वैज्ञानिक नहीं होते, जब तक कि उन्हें आगामी अनुभव तथा प्रमाण द्वारा परिवर्तित न किया जाना निहित नहीं है।”

प्रकृति में होने वाली विभिन्न घटनाओं के रहस्य तथा कारणों को जानने के लिए सत्य की खोज का जो मार्ग अपनाया जाता है। उसे ही विज्ञान कहा जाता है, विज्ञान में क्या है? क्यों है? क्यों हुआ? कैसे हुआ? आदि प्रश्नों के कार्य कारण संबंधों की खोज की जाती है। समस्या की तरह समाधान खोजा जाता है और धीरे-धीरे ज्ञान भंडार इकट्ठा किया जाता है। जिसे आधार बनाकर आगे खोज को जारी रखा जा सकता है।

“विज्ञान एक विषय नहीं एक व्यवहार है जिसके कई विभिन्न चरण व पद हैं जिन्हें प्राप्त करने के बाद एक मनुष्य विज्ञान की समझ बना पता है।” सामान्य रूप से देखा जाता है कि विज्ञान अध्ययन पाठ्य-पुस्तक में दी गई विषय वस्तु तक ही सीमित रह जाता है व इसका आगे की जाने वाली गतिविधियों अथवा इस ज्ञान से अपेक्षित व्यवहार से तारतम्य टूट जाता है, जिससे विज्ञान अध्ययन केवल परीक्षा पास करने पर सीमित हो जाता है। यहाँ आवश्यकता है कि विज्ञान के उद्देश्यों, इन्हें प्राप्त करने हेतु किए जा रहे प्रयासों, उपलब्ध साधनों एवं प्राप्त हो रहे परिणामों के बीच का अन्तर कम किया जाए। विज्ञान के विभिन्न पदों के मध्य इस अन्तर से अपेक्षित परिणामों में कमी आती है व अधिकतम प्रयास की आवश्यकता पड़ती है। विज्ञान एक उपक्रम है जिसमें ज्ञान किसी भी विषय-वस्तु के सामान्य स्तर अथवा साधारण स्तर से कठिन की ओर व सूक्ष्म से स्थूल की ओर चलता है। विज्ञान शिक्षण को और प्रभावी बनाने व अधिक से अधिक लोगों की समझ के स्तर में लाने के लिए जरूरी है कि इसे मनुष्य के दैनिक जीवन से व साथ ही उसके चारों ओर के पर्यावरण से जोड़ा जाए। इस अवस्था में सभी अपने चारों ओर घट रही सामान्य घटनाओं को व उसके पीछे के कारणों को जान सकेंगे। इस प्रयास का फायदा यह होगा कि सभी लोग जो क्रियाएँ लम्बे समय से बिना जाने-पहचाने लगातार करते आ रहे हैं, उसके पीछे का कारण समझ सकेंगे व इसका महत्व पता चलेगा। पाठ्य-पुस्तकों में दिए गए विभिन्न सिद्धान्तों व नियमों को भी इन अनुभवों के आधार पर देखा जा सकेगा। विज्ञान की विभिन्न प्रक्रियाओं को समझने, बच्चों में रुचि जागृत करने व इसे बनाए रखने के लिए विज्ञान को दैनिक जीवन से जोड़ना आवश्यक है जिससे कि बच्चों में खोज की प्रवृति विकसित हो व बच्चे इसके लिए अनवरत प्रयास करते रहें व सीखते रहें।

विज्ञान के बारे में

• अवलोकन विज्ञान अध्ययन का प्रथम एवं महत्वपूर्ण अंग है।

• विज्ञान हमें सिखाता है कि सूचना एवं ज्ञान का पूर्ण सदुपयोग किस प्रकार किया जा सकता है।

• गहन चिन्तन की क्षमता को बढ़ाना।

• विभिन्न विषयों एवं घटनाओं के मध्य अन्तर सम्बन्ध को समझने में सहयोग करता है।

Also Read:  जांच के क्षेत्र के रूप में विज्ञान

• हमारे चारों ओर घट रही सामान्य घटनाओं के पीछे विज्ञान छुपा है। विज्ञान की समझ हमें उन कारणों को जानने का अवसर देती है।

• विज्ञान एक ऐसा विषय है जो क्रिया करके समझने के सबसे अधिक अवसर प्रदान करता है। इसी प्रकार किया गया कार्य और कार्य करने एवं प्रयोग करने हेतु प्रेरित करता है।

• विज्ञान का एक महत्वपूर्ण भाग यह है कि विज्ञान पूर्व में निहित ज्ञान व जानकारी पर प्रश्न उठाने की प्रवृति देता है। अर्थात यह सूचना को जैसे के तैसे मान लेने के बजाय उस पर प्रश्न करके पूर्ण जानकारी प्राप्त करने व इसके बाद स्वीकार करने पर बल देता है।

• विज्ञान विभिन्न कलाओं व शिक्षण प्रक्रियाओं की सहायता से ज्ञान को कक्षा कक्ष से बाहर लाने में सहयोग करता है।

• विज्ञान यह निश्चित करता है कि सिर्फ ज्ञान ही काफी नहीं, ज्ञान निर्माण एवं ज्ञान निर्माण की प्रक्रिया भी उतनी ही आवश्यक है जितना विषय की समझ।

• विज्ञान ज्ञान निर्माण के एक आधार स्तम्भ की तरह है जिस पर अन्य विषयों की सहायता से पूर्ण ज्ञान का निर्माण किया जा सकता है।

• एकल मस्तिष्क सम्पूर्ण ज्ञान एक बार में प्राप्त नहीं कर सकता, अतः विज्ञान इसे चरणबद्ध रूप से प्राप्त करने का माध्यम है।

Also Read:  भौतिक विज्ञान पाठ्यक्रम की नवीनतम प्रवृत्तियों का वर्णन करें।

Leave a comment