गीत | ||
क्र• सं• | गीत के नाम | लेखक के नाम |
1 | माँदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे | सुकुमार |
2 | बोने पाकलइ सयाँ कोइर | दिनेश दिनमणि |
3 | सोहान लागे रे | शांति भारत |
माँदइर बाजे रे, बाँसी बाजे रे
सुकुमार
बोने पाकलइ सइयाँ कोइर
दिनेश दिनमणि – बाराडीह, बोकारो
(पत्नी) सइयाँ चला, चला ना हो बोने, पाकलइ सइयाँ कोइर-2
बाछी-बाछी पाकल -पाकल-2, तोरब खोइँछा भोइर
सइयाँ चाला चाला ना…
(पति) बड़ी कठिन धनी बोना के डहरा
(पत्नी) हाँसइते खेलइते संगी बिततइ डहरा
गाला मारबइ सइयाँ-2 हामिन हिया भोइर सइयाँ चला….।।
(पति) कोइरा तोरइतें जोदि काँटा गड़ल हायें
(पत्नी) काँटा काढ़बो सइयाँ हामें घरी दाँते
घावें लगइबो सइयाँ-2 पीसी बोनेक जइर
सइयाँ चला….।।
(पति) बाघा हुँड़ारा धनी, बोना गाजारें
(पत्नी) घात करले सइयाँ बिंधबई काँड़े
पीटबइ कुरथीपीटा पारास
ठेंगा तोइर सइयाँ चला….।।
(पति) कोइरा खायलें धनी, लागतउ पियास
(पत्नी) झरना केर हेमाल पानी मेटइबो पियास
दोना टिपी पानी देबो-2
सरइ पाता तोइर, सइयाँ चला….।।
(पत्नी) बोना माँझइरे सइयाँ, नाना लेखे फूला
तोहर लगी गाँथब पिया, अति सुंदर माला ।
हाम्हूँ गजब फूला, आपन खोपा भोइर,
सइयाँ चला….2
बाछी बाछी…..।।
सइयाँ चला चला ना हो….।।
(पति) धनी चालें चालें ना गे
बोनें तोर-बइ सइयाँ कोइर ।।
सोहान लागे रे
शांति भारत, चौफांद, बोकारो
सोहन लागे रे… सोहान लागे रे
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे
सोहान लागे रे….!
हरियर बोन सोभे, झरे कहीं झरना
झार बोनें गीत गुँजे, गुँजे घर के अँगना
गाछें-पातें जिनगी हाँसे, माँदइर बाजे रे-2
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे….!
सरगम बरसे सोलहो सिंगारे
रिमझिम रस चुवइ बागे बहारें
खोपें खोंसल सरइ फूल रूप साजे रे-2
धरती केर अँचरा सेहान लागे रे….!
अखरें आँकुर फुटी गीत बइन जाहे
बोली फुइट मधुर मधुर पिरित बइन जाहे
आधा रात कोयल कूके रसिक जागे रे-2
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे
सेहान लागे रे…. सेहान लागे रे
धरती केर अँचरा सोहान लागे रे-2