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भारतीय सन्दर्भ में शिक्षक की भूमिका | Role of teacher in Indian context B.Ed Notes

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शिक्षा एक महत्वपूर्ण संसाधन है जो समाज को विकास की ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करता है। भारतीय समाज में शिक्षा का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके लिए उच्चतर शिक्षा प्रणाली का विकास किया गया है। इस प्रणाली में पाठ्यक्रमशिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है जो छात्रों को ज्ञान और संस्कृति के बारे में सिखाने का कार्य करते हैं।

Role of teacher in Indian context
Role of teacher in Indian context

पाठ्यक्रमशिक्षक एक मार्गदर्शक, प्रेरक और सहायक की भूमिका निभाते हैं। वे छात्रों को उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने के लिए दिशा देते हैं और उन्हें अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रेरित करते हैं। यह उनका कर्तव्य है कि वे छात्रों को न केवल ज्ञान और उच्चतर सोच के साथ प्रदान करें, बल्कि उन्हें नैतिक मूल्यों, सामाजिक जिम्मेदारियों और समाज सेवा के महत्व को भी समझाएं।

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भारतीय सन्दर्भ में पाठ्यक्रमशिक्षकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे छात्रों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित मंडलों में उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने की संभावनाएं प्रदान करते हैं। इसके अलावा, वे छात्रों को समाज सेवा के महत्व, राष्ट्रीय एकता, भारतीय संस्कृति और भाषा के महत्व को समझाते हैं। पाठ्यक्रमशिक्षक छात्रों को उच्चतम शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करते हैं और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में अवसरों की पहचान करने में मदद करते हैं।

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शैक्षिक प्रक्रिया त्रिमुखी है। इसके तीन आयाम है (1) शिक्षक (2) विद्यार्थी तथा (3) पाठ्यक्रम ।

शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में शिक्षक एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। उसके बिना कोई शिक्षण नहीं हो सकता। पर्याप्त ज्ञान नहीं प्रदान किया जा सकता है और विद्यार्थियों का उचित विकास सम्भव नहीं है। इस सन्दर्भ में ही पुरातन काल में भारतीय चिन्तकों ने शिक्षक को अत्यन्त आदर का स्थान दिया था। शिक्षक के महत्त्व पर बल देते हुए भगवान दास कहते हैं, “शिक्षा बीज और जड़ है, सभ्यता फूल और फल है। यदि कृषक विवेकपूर्ण है और अच्छे बीज बोता है तो समुदाय उत्तम दाने प्राप्त करता है और सम्पन्न होता है। यदि ऐसा नहीं है, यदि वह झाड़-झंकार बोता है तो जहरीले बेर मिलते हैं और बीमारी और मृत्यु फसल होती है। हमारे कृषक शिक्षक है।” स्वामी विवेकानन्द कहते हैं कि “बिना शिक्षक के व्यक्तिगत जीवन के कोई भी शिक्षा नहीं दी जा सकती है।” किसी भी शैक्षिक संगठन में मुख्य व्यक्ति शिक्षक है। उस पर ही समाज के शैक्षिक प्रयास निर्भर हैं। इसलिए यह हमारे लिए आवश्यक है कि उसकी भूमिका को समझें।

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