शिक्षक एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है जो छात्रों को ज्ञान और उनकी विकास की दिशा में मार्गदर्शन करता है। शिक्षकों का महत्व और उनकी विशेषताएँ शिक्षा के क्षेत्र में अविश्वसनीय होते हैं। इस लेख में, हम शिक्षकों की महत्वपूर्ण विशेषताओं पर विचार करेंगे।
ज्ञानवान: एक अच्छा शिक्षक हमेशा ज्ञानवान होता है। वह अपने विषय में माहिर होता है और नवीनतम शिक्षा तकनीकों को अपनाने के लिए सदैव तत्पर रहता है। ज्ञानवान शिक्षक छात्रों को सही और सटीक ज्ञान प्रदान करते हैं जो उनके विकास के लिए आवश्यक होता है।
उत्साही: शिक्षकों का उत्साह और प्रेरणा छात्रों को अधिक से अधिक उनके लक्ष्यों की ओर प्रेरित करता है। एक उत्साही शिक्षक छात्रों को बेहतरीन प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित करता है और उन्हें आत्मविश्वास प्रदान करता है।
संवेदनशील: शिक्षकों को छात्रों की भावनाओं को समझने और समर्थन करने की क्षमता होनी चाहिए। एक संवेदनशील शिक्षक छात्रों के साथ संवाद करता है, उनकी समस्याओं को समझता है और उन्हें सही दिशा में प्रेरित करता है।
सख्त: एक अच्छा शिक्षक सख्त होता है लेकिन न्यायपूर्ण भी। वह छात्रों को नियमों और अनुशासन का महत्व समझाता है और उन्हें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है। सख्त शिक्षक छात्रों को जिम्मेदारी की भावना और स्वाधीनता का महत्व सिखाते हैं।
उदार: शिक्षकों को उदार होना चाहिए, जो छात्रों की भिन्नताओं को समझते हैं और उन्हें समान ध्यान देते हैं। वे छात्रों को समर्थन करते हैं और उन्हें अपनी स्वतंत्रता के लिए समय देते हैं।
शिक्षकों की ये विशेषताएँ उन्हें एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण स्थान देती हैं शिक्षा के क्षेत्र में। वे छात्रों के जीवन में एक मार्गदर्शक की भूमिका निभाते हैं और उन्हें सफलता की ओर ले जाते हैं। शिक्षकों का महत्व और उनकी विशेषताओं को मान्यता देना चाहिए ताकि हम समाज में शिक्षा को सुधारने के लिए सक्रिय रह सकें।
शिक्षण की निम्नांकित विशेषताएँ परिलक्षित की गयी-
1. शिक्षण अधिगम की क्रिया को प्रभावशाली तथा व्यवस्थित बनाता है।
2. शिक्षण की समस्त प्रक्रियाओं का आधार मनोविज्ञान है।
3. शिक्षण के दो प्रमुख अंग हैं- (1) सीखने वाला तथा (2) सिखाने वाला।
4. शिक्षण और अधिगम की परिस्थितियों में सम्बन्ध स्थापित करता है।
5. शिक्षण का कार्य ज्ञान प्रदान करना है।
6. शिक्षण मार्गदर्शन करता है।
7. शिक्षण बनाये रखता है।
8. शिक्षण का अर्थ अधिगम तथा शिक्षण की समस्त प्रक्रियाओं के संगठन से सम्बन्धित है।
9. शिक्षण छात्रों में उत्सुकता जाग्रत करता है। 10. शिक्षण कला एवं विज्ञान दोनों ही है।
11. शिक्षण एक कौशल युक्त क्रिया है।
12. शिक्षण में सांकेतिक, क्रियात्मक तथा शाब्दिक व्यवहार निहित रहते हैं।
शिक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से छात्रों के व्यवहारों में वांछित परिवर्तन लाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रकार की क्रियाएँ सम्पादित की जाती है। इन क्रियाओं के फलस्वरूप शिक्षण और सिखाने वाली परिस्थितियों में सम्बन्ध स्थापित हो जाता है।