शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र (SCOPE OF EDUCATIONAL PSYCHOLOGY)
शिक्षा मनोविज्ञान में मनुष्य की अभिवृद्धि, विकास एवं अधिगम सम्बन्धी सिद्धान्तों एवं नियमों और उसकी शारीरिक एवं मानसिक योग्यताओं एवं क्षमताओं के स्वरूप तथा उनकी मापन विधियों का अध्ययन किया जाता है तथा मनुष्य की शिक्षा के क्षेत्र में उनका अनुप्रयोग कर उसकी शिक्षा को प्रभावशाली बनाने की विधियों स्पष्ट की जाती है।
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अभिवृद्धि एवं विकास | मानसिक योग्यताएँ और उनका मापन | मानसिक स्वास्थ्य एवं समायोजन | व्यक्तिगत विभिन्नता | विशिष्ट बालक | समूह मनोविज्ञान | सीखना | अध्ययन विधियाँ | मापन और मूल्यांकन | शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श |
1. अभिवृद्धि एवं विकास (Growth and Development ) –
शिक्षा मनोविज्ञान में मनुष्य की शारीरिक अभिवृद्धि और शारीरिक, मानसिक भाषायी संवेगात्मक एवं सामाजिक विकास का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें मानव अभिवृद्धि तथा विकास का अध्ययन चार कालो- शैशवावस्था बाल्यावस्था किशोरावस्था और प्रौढ़ावस्था के क्रम में किया जाता है। इसमें मनुष्य के विकास में उसके वंशानुक्रम और पर्यावरण की भूमिका का अध्ययन भी किया जाता है।
2. मानसिक योग्यताएँ और उनका मापन (Mental Abilities and their Measurement) –
शिक्षा मनोविज्ञान में मनुष्य के बाह्य एवं आन्तरिक, दोनों के प्रकार के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है और इन दोनों प्रकार के व्यवहार के कारक, प्रेरक एवं नियंत्रक तत्वों का अध्ययन किया जाता है। इन तत्वों में उसकी मानसिक योग्यताओं (बुद्धि, अभिक्षमता, चिन्तन एवं तर्क आदि) का बड़ा महत्व होता है। शिक्षा मनोविज्ञान में मनुष्य की मानसिक योग्यताओं और उनके मापन की विधियों का अध्ययन वैज्ञानिक ढंग से किया जाता है।
3. मानसिक स्वास्थ्य एवं समायोजन (Mental Health and Adjustment) –
मनोविज्ञान ने स्पष्ट किया कि बच्चों की शिक्षा एवं विकास में बच्चों एवं अध्यापकों के मानसिक स्वास्थ्य एवं उनकी समायोजन क्षमता की अहम् भूमिका होती है। शिक्षा मनोविज्ञान में बालकों और अध्यापकों के मानसिक विकास में बाधक एवं साधक तत्वों का अध्ययन किया जाता है और साथ ही कुसमायोजन के कारणों • और सुसमायोजन की विधियों का भी अध्ययन किया जाता है।
4. व्यक्तिगत विभिन्नता (Individual Differences ) –
शारीरिक एवं मानसिक दृष्टि से कोई दो बालक समान नहीं होते। ऐसा क्यों होता है और इसका शिक्षा प्रक्रिया में क्या महत्व है, इन सबका अध्ययन भी इसके क्षेत्र में आता है।।
5. विशिष्ट बालक (Exceptional Children) –
प्रारम्भ में शिक्षा मनोविज्ञान में केवल सामान्य बालकों का ही अध्ययन किया जाता था। परन्तु अब इसमें विशिष्ट या अपवादी बालकों का भी अध्ययन किया जाता है, जैसे- मेघावी, पिछड़े, विकलांग, अपराधी आदि उनके व्यवहारों को नियंत्रित करने एवं उनकी शिक्षा के लिए विशिष्ट शिक्षण विधियों का विकास भी किया जाता है। आज यह सब भी उसके अध्ययन क्षेत्र में आता है।
6. समूह मनोविज्ञान (Group Psychology ) –
अब किसी भी देश में बालकों को समूह रूप में पढ़ाया जाता है। शिक्षा मनोविज्ञान में व्यक्ति के अध्ययन के साथ उसके समूह का अध्ययन भी किया जाता है, उनके समूह मन और सामूहिक क्रियाओं का अध्ययन भी किया जाता है और समूह में व्यक्ति का व्यवहार क्यों बदल जाता है और कैसे बदलता है, इस सबका अध्ययन भी किया जाता है।
7. सीखना (Learning ) –
शिक्षा मनोविज्ञान में सीखने के स्वरूप उसके कारक, प्रेरक एवं नियंत्रक तत्वों, सिद्धान्तों और नियमों का अध्ययन किया जाता है और वैज्ञानिक ढंग से किया जाता है और इसके आधार पर शिक्षण के सिद्धान्त एवं नियमों की खोज की जाती है। विभिन्न स्तर के बालको के लिए विभिन्न शिक्षण विधियों का निर्माण किया जाता है।
8. अध्ययन विधियाँ (Methods of Study ) –
अध्ययन की विभिन्न विधियों की खोज करना एवं प्रचलित विधियों में अपेक्षित सुधार करना भी इसके अन्तर्गत आता है। शिक्षा मनोविज्ञान एक नया विज्ञान है। इसमें निरन्तर विकास हो रहा है. लेकिन इसका विषय क्षेत्र सीमित नहीं है। शिक्षा मनोविज्ञान की उपयोगिता एवं विषय विस्तार पर प्रकाश डालते हुए पील महोदय ने लिखा है कि- “शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा का वह विज्ञान है जो शिक्षक को अपने शिष्यों के विकास, उनकी क्षमताओं के विस्तार एवं सीमाओं, उनकी सीखने की प्रक्रियाओं तथा उनके सामाजिक सम्बन्धों को समझने में सहायता कर सकता है।
9. मापन और मूल्यांकन (Measurement and Evaluation ) –
शिक्षा मनोविज्ञान में शैक्षिक उपलब्धि एवं विशेष योग्यता का मापन तथा बुद्धि, चरित्र, व्यक्तित्व सम्बन्धी माप के लिए विभिन्न साधनों, विधियों, परीक्षणों और सांख्यकीय कार्यों का प्रयोग किया जाता है। सीखने की प्रक्रिया में अध्यापकों को बालक की बुद्धि, व्यक्तित्व तथा विभिन्न योग्यताओं का ज्ञान आवश्यक है। इन सबका मापन शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र में आता है।
10. शैक्षिक निर्देशन एवं परामर्श (Educational Guidance and Counselling) –
शैक्षिक और व्यावसायिक क्षेत्र में विद्यार्थियों को निर्देशित करना अध्यापकों का दायित्व होता है। कक्षा में कुसमायोजित विद्यार्थियों को भी निर्देशन और मार्गदर्शन देना पड़ता है । आवश्यक है। ये सब मनोविज्ञान का अध्ययन क्षेत्र है।