धरती पर सबसे तेज गति से दौड़ने वाले जानवर चीते के भारत में विलुप्त होने के लगभग 75 वर्ष पश्चात् देश में उनके पुनर्वास के लिए 2022 में शुरू किए गए प्रोजेक्ट चीता का एक वर्ष 17 सितम्बर, 2023 को पूरा हुआ है। इस प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया से लाकर 8 चीतों को मध्य प्रदेश में कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष 17 सितम्बर, 2022 को अपने जन्म दिवस पर कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा था, जबकि 12 अन्य चीते द• अफ्रीका से लाकर 18 फरवरी, 2023 को कूनों नेशनल पार्क में ही छोड़े गए थे। इनमें से 6 वयस्क चीतों की मौत विगत एक वर्ष में विभिन्न कारणों से हो चुकी है। इस बीच नामीबिया से लाए गए 8 चीतों में से एक मादा चीते ने 4 शावकों को जन्म मार्च 2023 में दिया था जिनमें से तीन की मौत मई माह तक हो गई थी तथा एक शावक पूर्णतः स्वस्थ है इस प्रकार देश में चीतों के पुनर्वास के लिए शुरू किए गए प्रोजेक्ट चीता को एक वर्ष 17 सितम्बर, 2023 को पूरा हुआ है। इस उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा कूनो राष्ट्रीय पार्क में 17 सितम्बर, 2023 को किया गया तथा चीता परियोजना के सफल कार्यान्वयन पर एक रिपोर्ट भी मंत्रालय द्वारा जारी की गई।
• रिपोर्ट में बताया गया है कि इस प्रोजेक्ट की अल्पकालिक सफलता के लिए 6 मानदण्ड (Criteria) प्रोजेक्ट के लिए कार्य योजना (Action Plan) में निर्धारित किए गए थे। इनमें से 4 को पहले ही पूरा किया जा चुका है। इनमें प्रवासित चीतों के 50 प्रतिशत का जीवित रहना, (50 per cent survival of introduced Cheetah), होम रेज की स्थापना, कूनों में शावकों का जन्म (Birth of cubs in Kuno) तथा चीता ट्रेकर्स की नियुक्तियों तथा कुनो के आसपास के क्षेत्रों में भूमि के मूल्य में वृद्धि के माध्यम से स्थानीय समुदायों के राजस्व में योगदान (Contribution of revenue to the local communities directly through engagement of Cheetah trackers and indirectly by way of appreciation of land value in the surrounding areas of Kuno) शामिल हैं।
• रिपोर्ट के अनुसार अधिकांश चीते भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप अपने को ढाल रहे हैं।
• 75 वर्ष के अन्तराल के पश्चात किसी मादा चीते ने भारत की धरती पर शावकों को जन्म दिया है तथा इनमें से एक जीवित शावक अब 6 माह का है और सामान्य रूप से बड़ा हो रहा है।
• मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार प्रोजेक्ट चीता ने स्थानीय समुदाय को संगठित किया है तथा उन्हें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार द्वारा आजीविका के विकल्प प्रदान किए हैं।
• एक दीर्घकालिक परियोजना होने के नाते द. अफ्रीका/नामीबिया / अन्य अफ्रीकी देशों से 12-14 चीतों को अगले 5 वर्षों तक प्रति वर्ष और उसके पश्वात् आवश्यकता के आधार पर लाया जाएगा
• चीतों के लिए देश में अन्य वैकल्पिक स्थल गांधी सागर वन्य जीव अभयारण्य (Gandhi Sagar Wildlife Sanctuary-Gandhi Sagar WLS) तथा नौरादेही वन्य जीव अभयारण्य (Nauradchi Wildlife Sanctuary) तैयार किए जा रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार चीतों के अगले वैच को मध्य प्रदेश में ही गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य में ले जाने की योजना बनाई जाएगी।
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प्रोजेक्ट चीता: एक वर्ष पूर्ण
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