सामान्य बोलचाल की भाषा में शारीरिक शिक्षा का अर्थ प्रायः शारीरिक क्रियाओं अथवा गतिविधियों से लिया जाता है। वस्तुतः शारीरिक शिक्षा के अर्थ एवं प्रत्यय में परिवर्तन युगीन परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार होता रहा है, परन्तु फिर भी शारीरिक शिक्षा के मूल अर्थ को संक्षेपतः व्यक्त करते हुए कहा जा सकता है कि शारीरिक शिक्षा वह शिक्षा है जो स्वस्थ शारीरिक विकास हेतु विविध आंगिक क्रियाओं एवं कार्यक्रम द्वारा दी जाती है जो न केवल बालक के शारीरिक पक्ष को ही प्रबल व पुष्ट वही बनाती है बल्कि इससे उसके व्यक्तित्व के अन्य पक्ष यथा मानसिक, संवेगात्मक, सामाजिक एवं नैतिक पक्ष भी सुविकसित होते हैं।
जे. पी. थामस के अनुसार– शारीरिक शिक्षा शारीरिक गतिविधियों द्वारा बालक के समग्र व्यक्तित्व विकास हेतु दी जाने वाली शिक्षा है।