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विघालय परिवेश में शिक्षक की भूमिका | Sarkari Diary Notes

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विद्यालय परिवेश में शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। शिक्षक ही छात्र के जीवन में ज्ञान, कौशल, मूल्यों और आदर्शों का बीजारोपण करते हैं। वे छात्र को एक जिम्मेदार नागरिक, एक योग्य पेशेवर और एक सफल व्यक्ति बनने में मदद करते हैं।

विद्यालय परिवेश में शिक्षक की निम्नलिखित भूमिकाएं होती हैं:

  • शिक्षा प्रदान करना: शिक्षक का सबसे महत्वपूर्ण कार्य छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है। वे छात्रों को विषय ज्ञान, व्यावहारिक कौशल और मूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं।
  • मार्गदर्शन करना: शिक्षक छात्र के विकास और सीखने में मार्गदर्शन करते हैं। वे छात्रों को उनकी क्षमताओं को पहचानने और उन्हें विकसित करने में मदद करते हैं।
  • प्रेरणा देना: शिक्षक छात्रों को सीखने के लिए प्रेरित करते हैं। वे छात्रों में आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता का विकास करते हैं।
  • मूल्यों का निर्माण करना: शिक्षक छात्रों में मूल्यों का निर्माण करते हैं। वे छात्रों को अच्छे नागरिक बनने के लिए आवश्यक मूल्यों जैसे नैतिकता, सत्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता आदि सिखाते हैं।
  • सामाजिक एकता को बढ़ावा देना: शिक्षक छात्रों में सामाजिक एकता और समावेशिता को बढ़ावा देते हैं। वे छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और पृष्ठभूमि के लोगों के साथ सम्मान और सद्भाव से रहने की शिक्षा देते हैं।
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विद्यालय परिवेश में शिक्षक की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है:

  • शिक्षक छात्र के जीवन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। वे छात्र के लिए एक प्रेरणा, मार्गदर्शक और मित्र की भूमिका निभाते हैं।
  • शिक्षक छात्र के सीखने और विकास के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे छात्र को विषय ज्ञान, व्यावहारिक कौशल और मूल्य शिक्षा प्रदान करते हैं।
  • शिक्षक छात्र को एक जिम्मेदार नागरिक, एक योग्य पेशेवर और एक सफल व्यक्ति बनने में मदद करते हैं।

आधुनिक समय में शिक्षक की भूमिका और भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। आज के छात्रों को एक तेजी से बदलती दुनिया में जीने के लिए तैयार रहना होता है। ऐसे में शिक्षकों को छात्रों को आवश्यक ज्ञान, कौशल और मूल्य शिक्षा प्रदान करने के लिए नए-नए तरीकों को अपनाना चाहिए।

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