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दृष्टि अक्षम बच्चों की शिक्षा B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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दृष्टि अक्षम बच्चों को शिक्षित करने के लिए कई तरह के शैक्षिक कार्यक्रम चल रहे हैं। इनमें प्रमुख कार्यक्रम निम्नलिखित हैं :

  • विशिष्ट शिक्षा (Special Education) – दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों को विशिष्ट शिक्षा कार्यक्रम के जरिए शिक्षित किया जा सकता है। इसके लिए ऐसे बच्चों को ‘विशिष्ट ‘विद्यालय’ में नामांकन कराना होता है जहाँ उन्हें विशेष शिक्षक विशेष पाठ्यचर्या के जरिए शिक्षण-अधिगम सुविधा उपलब्ध कराते हैं। देश में ऐसे विशिष्ट स्कूलों की संख्या 3000 से भी अधिक है जिसमें करीब 400 स्कूल दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों के लिए है। कुछ स्कूलों को छोड़कर भारत के अधिकांश विद्यालयों में गैर-विकलांग बच्चों के लिए बनाए गए पाठ्यचर्या के अनुरूप ही पढ़ाई की जाती है। पाठ्यचर्या कौशल के अलावा इन विशिष्ट स्कूलों में संगीत, मनोरंजनात्मक गतिविधियों और व्यवसाय पूर्व कौशल को विकसित करने की सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।

1947 में शिक्षा मंत्रालय के अधीन एक दृष्टिहीनता संबंधी इकाई गठित की गई। दृष्टिहीन लाल आडवाणी इस इकाई के अध्यक्ष बनाए गए। इसी इकाई ने भारत में विभिन्न तरह के विकलांगों के लिए अलग-अलग राष्ट्रीय संस्थान खोले जाने की कवायद की। इस तरह स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद दृष्टिहीनों के विद्यालय की संख्या 32 से बढ़कर 400 हो गई।

1973 में भारत सरकार ने हिन्दी ब्रेल लिपि विकसित करने की कवायद शुरू का। इसी • क्रम में 1979 में राष्ट्रीय दृष्टि विकलांग संस्थान की स्थापना की गई। कालांतर में निःशक्त व्यक्ति अधिनियम 1995 के विधायन के जरिए दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों की सुनिश्चित की गई।

  • समेकित शिक्षा कार्यक्रम (Integrated Education Programme)- विभिन्न प्रकार के निःशक्तत ग्रस्त बच्चों को सामान्य विद्यालयों में सामान्य बच्चों के साथ-साथ पढ़ने-लिखने के लिए वर्ष 1974 में केंद्र सरकार ने ‘नि:शक्त बच्चों के लिए समकित शिक्षा’ योजना शुरू की। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चे सहित ऐसे सभी नि:शक्त बच्चों को मुख्य धारा में शामिल करते हुए इनकी आंतरिक प्रतिष्ठ एवं क्षमता को पहचान कर उनका सदुपयोग करना, उन्हें स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर बनाना आदि इस कार्यक्रम के तहत 50000 से अधिक निःशक्त बच्चे 15000 स्कूलों के जरिए लाभान्वित हो चुके हैं जिनमें करीब 10000 बच्चे दृष्टि अक्षमता से ग्रस्त थे । समेकित शिक्षा कार्यक्रम के तहत संसाधन मॉडल, परिभ्रामी मॉडल, संयुक्त मॉडल, को-ऑपरेटिव मॉडल एवं युग्म शिक्षण मॉडल के जरिए दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों को शिक्षण-अधिगम का प्रशिक्षण किया जाता है।
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संसाधन मॉडल एक शैक्षिक योजना है जिसके तहत दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चे का नामांकन सामान्य स्कूलों में कराया जाता है और एक विशिष्ट शिक्षक (संसाधन शिक्षक) दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ सामान्य शिक्षकों को उनके प्रति संवेदनशील बनाने के लिए स्कूल परिसर में उपलब्ध होते हैं जबकि समेकित शिक्षा परिभ्रामी मॉडल के अंतर्गत दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों का पड़ोस के उस विद्यालय में नामांकन सुनिश्चित किया जाता है जिसमें सामान्य शिक्षक के साथ-साथ परिभ्रामी शिक्षक उनकी विशेष शैक्षिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए उपलब्ध रहते हैं।

  • समावेशी शिक्षा कार्यक्रम ( Inclusive Education Programme)- समावेशी शिक्षा कार्यक्रम एक ऐसा शैक्षिक कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चे सहित सभी तरह के विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को सामान्य स्कूलों में सामान्य बच्चों के साथ-साथ पढ़ने-लिखने का मौका मिलता है। दूसरे शब्दों में इस पद्धति के अंतर्गत मुख्यधारा के स्कूलों में दृष्टि विकलांग बच्चों का समावेशन किया जाता है। इस पद्धति के जरिए सामान्य शिक्षा तंत्र की क्षमता को इतना विकसित किया जाता है ताकि यह दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा कर सके। सीमित संसाधनों से दृष्टिबाधित बच्चों को अधिकतम शैक्षिक सेवा मुहैया कराया जाता है ।
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यद्यपि समावेशी परिवेश में, सामान्य शिक्षा दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों को विशिष्ट शिक्षा देने का अपना दायित्व भले ही स्वीकार कर ले लेकिन इसके लिए प्रखंड स्तर पर विशिष्ट शिक्षकों की आवश्यकता भी महसूस की गई। कालांतर में समावेशी शिक्षा के अंतर्गत पिता और समुदाय के सदस्यों को भी शामिल किया गया। समावेशी शिक्षा के तहत प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष से दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों को तीन प्रकार की सेवाएं मुहैया करायी जाती है। इसमें सबसे जरूरी सेवाएँ विकलांग बच्चों के माता-पिता और समुदाय द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। इससे दृष्टि अक्षमताग्रस्त बच्चों और सामान्य बच्चों के बीच लगाव पैदा होता है इसलिए समावेशी शिक्षा में गैर-विकलांग बच्चों की भूमिका भी काफी अहम होती है।

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दूसरे प्रकार की सेवाओं के अंतर्गत अर्हता प्राप्त विशिष्ट शिक्षकों की सेवाएँ आती है। ये शिक्षक दृष्टि बाधित बच्चों को जरूरी अकादमिक सहायता देने के साथ-साथ सामान्य शिक्षकों को भी कंसल्टेंसी सेवा मुहैया कराता है।

तीसरे प्रकार की सेवाओं के अंतर्गत दृष्टि अक्षमता की पहचान व जाँच सेवाएँ आते हैं जिसे जिला पुनर्वास केन्द्र, स्वयंसेवी संस्थाएँ आदि एकबारगी मुहैया कराते हैं।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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