Home / मूर्ति कला | Sculpture Art

मूर्ति कला | Sculpture Art

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

मूर्ति कला कला का वह रूप है जो त्रिविमीय होती है। यह कठोर पदार्थ, मृदु पदार्थ एवं प्रकाश आदि से बनाये जा सकते हैं।

मूर्तिकला एक अतिप्राचीन कला है। मूर्तिकला कला का एक रूप है जो ठोस पदार्थों को काटकर, तराशकर, खोदकर या गढ़कर आकार देती है। यह त्रिविमीय कला का एक रूप है, जिसका अर्थ है कि इसमें ऊंचाई, चौड़ाई और गहराई होती है। मूर्तिकला का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जैसे कि धार्मिक अनुष्ठानों के लिए, सजावट के लिए, या बस सौंदर्य के लिए।

Also Read:  पाठ्यक्रम के विभिन्न प्रकार (B.Ed) Notes

मूर्तिकला के प्रकार

मूर्तिकला को निम्नलिखित प्रकारों में बांटा जा सकता है:

  • धातु की मूर्तियां:
    धातु की मूर्तियां बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की धातुओं का उपयोग किया जाता है, जैसे कि तांबा, पीतल, चांदी, सोना आदि। धातु की मूर्तियां बनाने के लिए कास्टिंग, फाउंड्री, आदि तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • पत्थर की मूर्तियां:
    पत्थर की मूर्तियां बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के पत्थरों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि ग्रेनाइट, संगमरमर, बलुआ पत्थर, आदि। पत्थर की मूर्तियां बनाने के लिए ड्राइलिंग, ग्राइंडिंग, आदि तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • लकड़ी की मूर्तियां:
    लकड़ी की मूर्तियां बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की लकड़ी का उपयोग किया जाता है, जैसे कि सागौन, शीशम, महोगनी, आदि। लकड़ी की मूर्तियां बनाने के लिए कटिंग, स्लाइडिंग, आदि तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • मृदभांड कला:
    मृदभांड कला में मिट्टी से बने हुए बर्तन, मूर्तियां, आदि शामिल हैं। मृदभांड कला में विभिन्न प्रकार की तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि हाथ से बनाना, चाक पर बनाना, आदि।
  • आधुनिक मूर्तिकला:
    आधुनिक मूर्तिकला में पारंपरिक तकनीकों के साथ-साथ नई तकनीकों का भी उपयोग किया जाता है। आधुनिक मूर्तिकला में अक्सर विचित्र और अपरंपरागत रूपों का उपयोग किया जाता है।
Also Read:  शिक्षा मनोविज्ञान के क्षेत्र का वर्णन | Field of Educational Psychology B.Ed Notes

मूर्तिकला के इतिहास

मूर्तिकला का इतिहास बहुत पुराना है। मूर्तिकला के सबसे प्राचीन उदाहरण नवपाषाण काल में पाए गए हैं। इन मूर्तियों में प्रायः जानवरों और मनुष्यों के रूपों को दर्शाया गया है।

प्राचीन काल में मूर्तिकला का उपयोग धार्मिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता था। प्राचीन मिस्र, ग्रीस, रोम, भारत, आदि में मूर्तिकला का विकास हुआ। इन संस्कृतियों में मूर्तियों का उपयोग देवताओं, राजाओं, और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दर्शाने के लिए किया जाता था।

मध्यकाल में मूर्तिकला का विकास धार्मिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए जारी रहा। इस काल में मूर्तियों का उपयोग चर्चों, गिरजाघरों, आदि में किया जाता था।

Also Read:  Selection and Developing of Learning Resources - Sarkari Diary

आधुनिक काल में मूर्तिकला का विकास नए विचारों और तकनीकों के साथ हुआ है। आधुनिक मूर्तिकला में अक्सर विचित्र और अपरंपरागत रूपों का उपयोग किया जाता है।

मूर्तिकला का महत्व

मूर्तिकला एक महत्वपूर्ण कला रूप है। यह कलाकार के विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का एक तरीका है। मूर्तिकला समाज के इतिहास और संस्कृति को भी दर्शाती है।

मूर्तिकला का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों के लिए किया जाता है, जैसे कि:

  • धार्मिक और धार्मिक उद्देश्यों के लिए: मूर्तियों का उपयोग देवताओं, राजाओं, और अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दर्शाने के लिए किया जाता है।
  • सजावटी उद्देश्यों के लिए: मूर्तियों का उपयोग घरों, कार्यालयों, आदि को सजाने के लिए किया जाता है।
  • सामाजिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए: मूर्तियों का उपयोग सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को उठाने के लिए किया जाता है।

मूर्तिकला एक अमूर्त कला रूप है। यह कलाकार की कल्पना और रचनात्मकता को व्यक्त करती है। मूर्तिकला समाज और संस्कृति के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Leave a comment