Home / Article / किशोरा अवस्था एवं संवेदना | Adolescence and sensitivity

किशोरा अवस्था एवं संवेदना | Adolescence and sensitivity

Published by: Ravi Kumar
Updated on:
Share via
Updated on:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

किशोरावस्था एक महत्वपूर्ण विकासात्मक चरण है जिसमें बच्चे अपने शरीर, मन, और व्यक्तित्व में तेजी से बदलावों से गुजरते हैं। इस दौरान, संवेदना भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

किशोरों की संवेदना आमतौर पर अधिक तीव्र होती है। वे अपने आसपास की दुनिया को अधिक गहराई से अनुभव करते हैं, और उनकी भावनाएं अधिक तीव्र होती हैं। यह बदलाव कई कारकों के कारण होता है, जिनमें हार्मोनल परिवर्तन, मस्तिष्क विकास, और सामाजिक अनुभव शामिल हैं।

किशोरावस्था में संवेदना के कुछ सामान्य लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • भावनाओं की तीव्रता: किशोरों की भावनाएं अक्सर अधिक तीव्र होती हैं, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक हों। वे खुशी, उदासी, क्रोध, और भय को अधिक तीव्रता से महसूस करते हैं।
  • भावनाओं की अस्थिरता: किशोरों की भावनाएं अक्सर अस्थिर होती हैं। वे एक क्षण में खुश हो सकते हैं, और अगले क्षण उदास या गुस्से में हो सकते हैं। यह भावनात्मक अस्थिरता हार्मोनल परिवर्तनों और मस्तिष्क विकास के कारण होती है।
  • भावनाओं का अधिक व्यक्तिगत अर्थ: किशोरों के लिए, भावनाएं अधिक व्यक्तिगत अर्थ लेती हैं। वे अपनी भावनाओं को अपने व्यक्तित्व और पहचान का एक हिस्सा मानते हैं।
Also Read:  New Delhi: The Heart of India

किशोरावस्था में संवेदना के कई सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। सकारात्मक प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • भावनाओं की अधिक गहराई: किशोरों को अपनी भावनाओं को अधिक गहराई से अनुभव करने की क्षमता होती है। यह उन्हें दूसरों की भावनाओं को बेहतर ढंग से समझने और अपने जीवन के बारे में अधिक गहन तरीके से सोचने में मदद कर सकता है।
  • सृजनशीलता और अभिव्यक्ति: किशोरावस्था में भावनाओं की अधिक तीव्रता रचनात्मकता और अभिव्यक्ति को बढ़ावा दे सकती है। किशोर अपने भावनाओं को संगीत, कला, लेखन, और अन्य रचनात्मक माध्यमों के माध्यम से व्यक्त कर सकते हैं।

नकारात्मक प्रभावों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • भावनाओं का प्रबंधन करना मुश्किल: किशोरों के लिए अपनी तीव्र और अस्थिर भावनाओं को प्रबंधित करना मुश्किल हो सकता है। यह भावनात्मक विकार, व्यवहार संबंधी समस्याओं, और आत्म-विनाशकारी व्यवहार का कारण बन सकता है।
  • समस्या समाधान करने में कठिनाई: किशोरों को अपनी भावनाओं के आधार पर निर्णय लेने में कठिनाई हो सकती है। यह उन्हें समस्याओं को हल करने और अपने जीवन में सार्थक लक्ष्यों को प्राप्त करने में बाधा डाल सकता है।
Also Read:  New approaches (methods) of teaching

किशोरावस्था में संवेदना को समझना और उसका प्रबंधन करना महत्वपूर्ण है। माता-पिता और शिक्षकों को किशोरों की भावनाओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए, और उन्हें अपने भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करने में मदद करनी चाहिए।

यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो किशोरों को अपनी संवेदना को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं:

  • अपनी भावनाओं को पहचानें: अपनी भावनाओं को पहचानना और उनका नाम देना महत्वपूर्ण है। यह आपको अपनी भावनाओं को समझने और उनका प्रबंधन करने में मदद करेगा।
  • अपनी भावनाओं को व्यक्त करें: अपनी भावनाओं को स्वस्थ तरीके से व्यक्त करना महत्वपूर्ण है। आप अपने दोस्तों, परिवार, या थेरेपिस्ट से बात करके अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं।
  • अपनी भावनाओं से दूर रहें: कभी-कभी, अपनी भावनाओं से दूर रहना आवश्यक हो सकता है। आप शारीरिक गतिविधि, कला, या संगीत जैसे गतिविधियों के माध्यम से अपनी भावनाओं से दूर रह सकते हैं।
Also Read:  Individual Differences: Meaning, Definition, Types and Causes

यदि आप एक किशोर हैं और अपनी भावनाओं से निपटने में कठिनाई कर रहे हैं, तो मदद लेना महत्वपूर्ण है। आप अपने माता-पिता, शिक्षक, या एक विश्वसनीय वयस्क से बात कर सकते हैं। आप एक थेरेपिस्ट या काउंसलर से भी मदद ले सकते हैं।

Leave a comment