ज्ञान को 21वीं सदी की प्रमुख प्रेरक शक्ति के रूप में स्वीकार किया गया है और वैश्विक मंच पर एक प्रतिस्पर्धी खिलाड़ी के रूप में उभरने की भारत की क्षमता काफी हद तक ज्ञान संसाधनों पर निर्भर करेगी। इस परिदृश्य को सामने रखते हुए और देश को आगे ले जाने के लिए ज्ञान की आवश्यकता को समझते हुए, प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जून 2006 में श्री सैम पित्रोदा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय ज्ञान आयोग (NKC) की स्थापना की थी ताकि हमारे ज्ञान से संबंधित एक कार्य योजना बनाई जा सके। संस्थानों और बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए तैयार किया जा सकता है जो भारत को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगा। इस आयोग में अध्यक्ष पित्रोदा के अलावा देश के 7 अन्य जाने-माने विशेषज्ञ सदस्य थे। इस आयोग ने 2006 में अपना काम शुरू किया था.
आयोग के विचारार्थ विषय व कार्यक्षेत्र (Thinkable Subjects and Area of Commission)
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की स्थापना 13 जून 2005 को भारत के प्रधान मंत्री के उच्च स्तरीय सलाहकार निकाय के रूप में की गई थी। आयोग के दृष्टिकोण को भारत के प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने निम्नलिखित शब्दों में व्यक्त किया था – अब संस्थान निर्माण के दूसरे चरण को शुरू करने और शिक्षा, अनुसंधान और क्षमता निर्माण के क्षेत्रों में उत्कृष्टता हासिल करने का समय है।
आयोग के विचारार्थ विषय निम्न प्रकार हैं
(1) शिक्षा व्यवस्था में उत्कृष्टता लाना ताकि वह 21वीं शताब्दी में ज्ञान की चुनौतियों का सामना कर सके और ज्ञान के क्षेत्रों में भारत के स्पर्द्धात्मक लाभ में वृद्धि कर सके।
(2) विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाओं में ज्ञान के सृजन को बढ़ावा देना।
(3) बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के क्षेत्र में कार्यरत संस्थानों के प्रबन्ध में सुधार लाना ।
(4) कृषि और उद्योग में ज्ञान के प्रयोगों को बढ़ावा देना।
5) नागरिकों को एक प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह सेवा प्रदाता के रूप में सरकार के भीतर ज्ञान क्षमताओं के प्रयोग को बढ़ावा देना और सार्वजनिक लाभ को अधिकतम करने के उद्देश्य से ज्ञान के व्यापक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना।
आयोग का कार्यकाल 2 अक्टूबर 2008 तक तीन वर्षों के लिए था जिसे 31 मार्च 2009 तक बढ़ा दिया गया। NKC की अंतिम रिपोर्ट में पिछले तीन वर्षों में आयोग द्वारा प्रस्तुत सभी सिफारिशों का पूरा पाठ शामिल है। यह अनुशंसाओं पर अनुवर्ती कार्रवाई, प्रमुख फोकस क्षेत्रों पर आधारभूत डेटा के साथ-साथ एनकेसी सलाह का विवरण भी प्रदान करता है।
आयोग का संगठन (ORGANISATION OF COMMISSION)
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग में इसके अध्यक्ष सहित आठ सदस्य शामिल हैं। सभी सदस्य अंशकालिक रूप से अपना काम करेंगे और इसके लिए कोई पारिश्रमिक नहीं लेंगे।
सदस्यों के काम में उनकी मदद में लिए कुछ तकनीकी कर्मचारी होंगे जिनका नेतृत्व सरकार द्वारा राष्ट्रीय ज्ञान आयोग के नियुक्त कार्यकारी निदेशक करेंगे। आयोग अपने कार्यों के प्रबन्ध में सहायता हेतु विशेषज्ञों को भी शामिल कर सकता है।
नियोजन और बजट के साथ-साथ संसद सम्बन्धी कार्यों या दायित्वों को संभालने के लिए राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की नोडल (केन्द्रीय) एजेंसी योजना आयोग को बनाया गया है।
सदस्यों का विवरण-
- श्री सैम पित्रोदा (अध्यक्ष)
- डॉ. अशोक गांगुली (सदस्य) (फर्स्ट सोर्स लिमिटेड तथा ABV Pvt. Ltd. के अध्यक्ष)
- डॉ. पी. बलराम (सदस्य) (भौतिकशास्त्र के प्रोफेसर)
- डॉ. जयन्ती घोष (सदस्य) (JNU में सेंटर फार इकॉनामिक स्टडीज एंड प्लानिंग स्कूल ऑफ साइंसेज के अध्यक्ष व अर्थशास्त्र के प्रोफेसर)
- डॉ. नंदन नीलेकनी (सदस्य) (इंफोसिस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के संस्थापक)
- डॉ. दीपक नय्यर (सदस्य) (JNU में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर)
- डॉ. सुजाता रामदोराई (सदस्य) स्कूल ऑफ मैथेमेटिक्स, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च प्रोफेसर)
- डॉ. अमिताभ मट्टू (सदस्य) ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट) ।
आयोग की प्रविधि (Technique of Commission)
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग द्वारा अपनाई गई पद्धति प्रारंभ में पहचाने गए क्षेत्रों की पहचान करती है। फिर इन क्षेत्रों में कई हितधारकों की पहचान करके प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला जाता है। इसके बाद विशेषज्ञों और पेशेवरों के कार्य समूह बनाए जाते हैं। इन कार्य समूहों में आम तौर पर 5 से 10 विशेषज्ञ होते हैं और वे रिपोर्ट तैयार करने के लिए 3 से 4 महीने तक नियमित रूप से मिलते हैं और यथासंभव सर्वेक्षण भी करते हैं। ताकि मुद्दों को गहराई से समझा जा सके. इसका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
- प्रमुख चिह्नित क्षेत्रों की पहचान
- विविध हितधारकों की पहचान और क्षेत्र में प्रमुख मुद्दों को समझना।
- कार्यदलों का गठन तथा कार्यशालाओं / संगोष्ठियों का आयोजन करना, सम्बन्धित विशेषज्ञों और हितधारकों के साथ विस्तृत औपचारिक और अनौपचारिक परामर्श करना।
- प्रशासनिक मंत्रालयों और योजना आयोग के साथ परामर्श। अध्यक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री को भेजे जाने वाले पत्र के रूप में सिफारिशों को अन्तिम रूप देने के वास्ते एनकेसी में चर्चा ।
- प्रधानमंत्री को भेजे जाने वाले पत्र जिसमें सिफारिशें, प्रारम्भिक उपाय तथा NKC के समस्त व्याख्यात्मक दस्तावेजों द्वारा समर्थित वित्तीय प्रभाव आदि शामिल हैं। राज्य सरकारों, नागरिक समाज तथा अन्य हितधारियों के बीच सिफारिश का प्रसार।
- प्रधानमंत्री कार्यालय के तत्वावधान में सिफारिशों का कार्यान्वयन शुरू करना ।
- प्रस्तावों के कार्यान्वयन का समन्वय और अनुवर्ती कार्यवाही।
आयोग का प्रतिवेदन (Report of Commission)
आयोग ने अपनी सिफारिशें 4 किस्तों में प्रस्तुत की – 2006, 2007, 2008 और फिर 2009 में। इस आयोग का सम्पूर्ण प्रतिवेदन 2009 में ‘राष्ट्र के नाम प्रतिवेदन’ के नाम से प्रकाशित हुआ। इस आयोग का प्रतिवेदन 5 भागों में विभाजित है—
- ज्ञान की सुलभता (Access of Knowledge),
- ज्ञान के सिद्धान्त (Knowledge of Concepts),
- सृजन (Creation),
- अनुप्रयोग (Application).
- सेवाएँ (Services)
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली को इन्हीं पाँच वर्गों के अन्दर समझाने का प्रयास किया गया है और इसे ‘ज्ञान पंचभुज’ (Knowledge Pentagon की संज्ञा दी गई है।