Home / Jharkhand / History of Jharkhand / संथाल विद्रोह | Santhal Revolt Notes for JSSC and JPSC

संथाल विद्रोह | Santhal Revolt Notes for JSSC and JPSC

Published by: Ravi Kumar
Updated on:
Share via
Updated on:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

Santhal Revolt – History of Jharkhand (संथाल विद्रोह)

वीरभूम, ढालभूम, सिंहभूम, मानभूम और बाकुड़ा के जमींदारों द्वारा सताए गए संथाल 1790 ई. से ही संथाल परगना क्षेत्र, जिसे दामिन-ए-कोह कहा जाता था, में आकर बसने लगे। इन्हीं संथालों द्वारा किया गया यह विद्रोह झारखंड के इतिहास में सबसे अधिक चर्चित हुआ। विद्रोह के कारणों में कृषक उत्पीड़न प्रमुख था।

संथाल जनजाति भी कृषि और वनों पर निर्भर थी, लेकिन जमींदारी प्रथा ने इन्हें इनकी ही भूमि से बेदखल करना शुरू कर दिया था।

सन् 1855 में हजारों संथालों ने भोगनाडीह के चुन्नु माँझी के चार पुत्रों-सिद्धू, कान्हू, चाँद तथा भैरव के नेतृत्व में एक सभा की, जिसमें उन्होंने अपने उत्पीड़कों के विरुद्ध लामबंद लड़ाई लड़ने की शपथ ली। उन्होंने एकजुट होकर अपनी भूमि से दीकुओं को चले जाने की चेतावनी दी। इन दीकुओं में अंग्रेज और उनके समर्थित कर्मचारी, अधिकारी तथा जमींदार आदि थे।

Also Read:  झारखंड के प्रमुख विद्रोह एवं आंदोलन | Major rebellions and movements of Jharkhand Notes for JSSC and JPSC

इसी बीच दरोगा महेशलाल दत्त की हत्या कर दी गई। चेतावनी देने के दो दिन बाद संथालों ने अपने शोषकों को चुन-चुनकर मारना शुरू कर दिया।
इस विद्रोह का मुख्य नारा था- “करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो।”

हजारीबाग में इस विद्रोह का नेतृत्व लुबाई माँझी एवं अर्जुन माँझी ने तथा वीरभूम में गोरा माँझी ने किया था। इस विद्रोह का दमन करने हेतु 7 जुलाई, 1855 को जनरल लायड को भेजा गया था।

अंग्रेजों ने इस विद्रोह के दौरान संथाल विद्रोहियों से बचाव हेतु पाकुड़ में मार्टिलो टावर का निर्माण कराया था।

संथाल विद्रोहियों ने पाकुड़ की रानी क्षमा सुंदरी से इस विद्रोह के दौरान सहायता मांगी थी।

Also Read:  BBMKU B.Ed Study Material 2024

चाँद और भैरव गोलियों के शिकार हो वीरगति को प्राप्त हुए। सिद्धू और कान्हू पकड़े गए, उन्हें बरहेट में 5 दिसंबर,1855 को फाँसी दे दी गई।

जनवरी 1856 ई. तक संथाल परगना क्षेत्र में संथाल विद्रोह को दबा दिया गया। इस संथाल विद्रोह के परिणामस्वरूप 30 नवंबर, 1856 ई. को विधिवत संथाल परगना जिला की स्थापना की गई और एशली एडेन को प्रथम जिलाधीश बनाया गया। प्रत्येक साल इस विद्रोह की याद में राज्य में ‘हूल’ अर्थात् संथाल विप्लव दिवस 30 जून को मनाया जाता है।

Leave a comment