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संस्कृति में जेंडर संबंधी भूमिकाओं की चुनौतियाँ और समाधान B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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संस्कृति का अर्थ

संस्कृति वह समग्र प्रणाली है जो समूह के विश्वासों, आदर्शों, विचारों, व्यवहारों, रीति-रिवाजों से बनती है। टायलर के अनुसार, संस्कृति में ज्ञान, विश्वास, कलाएं, नीति, विधि, रीति-रिवाज और समाज के सदस्यों द्वारा अर्जित योग्यताएँ शामिल होती हैं। रेडफील्ड के अनुसार, संस्कृति वह पारंपरिक ज्ञान है जो कला और उपकरणों के माध्यम से व्यक्त होता है और मानव समूह की विशेषता बन जाता है।

संस्कृति में जेंडर संबंधी भूमिकाओं की चुनौतियाँ और समाधान B.Ed Notes

संस्कृति की विशेषताएँ

मनुष्य द्वारा निर्मित वस्तुएं और विरासत

पीढ़ी-दर-पीढ़ी मानसिक संचरण

अर्जित सामाजिकता

आदर्शवाद

धीमी परिवर्तनशीलता

संस्कृति में जेंडर संबंधी चुनौतियाँ

संस्कृति में जेंडरगत सोच और व्यवहार में विभिन्न समूहों और संप्रदायों के बीच भिन्नता होती है। परन्तु अपसंस्कृति और सामाजिक विलंब के कारण निम्नलिखित समस्याएँ व्याप्त हैं, जो महिलाओं की गरिमा और प्रतिष्ठा को चोट पहुँचाती हैं:

  1. जेंडर आधारित अपराध: महिलाओं के साथ हिंसा, यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और मारपीट।
  2. लैंगिक असमानता: परिवार और समाज में महिलाओं पर घरेलू जिम्मेदारियों का एकतरफा बोझ।
  3. अधिकारों की कमी: महिलाओं और बालिकाओं की परिवार में अधिकार विहीन स्थिति।
  4. अशिक्षा और निरक्षरता: महिलाओं में शिक्षा की कमी।
  5. रोजगार के अवसरों का अभाव: महिलाओं के लिए सीमित रोजगार।
  6. मीडिया और लोकप्रिय संस्कृति की नकारात्मक भूमिका: सिनेमा, टीवी और फिल्मी गानों में महिलाओं की गलत छवि।
  7. स्वतंत्रता का हरण: बुरका, घट, पर्दा प्रथा के माध्यम से महिलाओं की स्वतंत्रता का प्रतिबंध।
  8. सामाजिक हिंसा: कुछ बर्बर संस्कृतियों में सार्वजनिक रूप से महिलाओं को पत्थर मारना।
  9. दकियानूसी विचार: बालिकाओं और महिलाओं के प्रति पिछड़े और अनुत्तरवादी सोच।
  10. नारी सशक्तिकरण के प्रति उदासीनता: नारी मुक्ति और जागृति के प्रयासों की अनदेखी।
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समाधान और सुझाव

वैश्वीकरण के कारण नारी सशक्तिकरण की जागरूकता बढ़ रही है। सरकारें, मीडिया और गैर-सरकारी संस्थाएं महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हेतु काम कर रही हैं।

सामाजिक बदलाव धीमी गति से हो रहे हैं, परन्तु सकारात्मक दिशा में हैं, जैसे कि सती प्रथा और गुलामी का अंत।

संस्कृति सुधार के लिए सरकारों को नीतिगत स्तर पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

सामाजिक जागरूकता, शिक्षा और आर्थिक सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाओं की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है।

मीडिया को महिलाओं की सही और सम्मानजनक छवि प्रस्तुत करनी चाहिए।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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