Home / Jharkhand / Khortha / JSSC खोरठा कविता – रुसल भोला, मेंढ़ आर मानुस, देसेक जुआन, ढेशा ढेशी छोड़ JSSC CGL Khortha Notes

JSSC खोरठा कविता – रुसल भोला, मेंढ़ आर मानुस, देसेक जुआन, ढेशा ढेशी छोड़ JSSC CGL Khortha Notes

Published by: Ravi Kumar
Updated on:
Share via
Updated on:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
कविताएँ
क्र• सं• कविता के नाम कविता के लेखक
1 रुसल भोला संतोष कु• महतो
2 मेंढ़ आर मानुस शिवनाथ प्रमाणिक

रुसल भोला – श्री संतोष कुमार महतों एक दिन कानदे लागला दुरगा मांय, कसे बाम भेला हामर भोला हाय हाय । लइके आपन माल झाल झोला, कन्दे रुइस गेला हामर भोला ।  देव देवी कहे लागलथीन तोहे कैसन सती ? समहरवे नाँइ पारलहे आपन पति ।  समये कहे नाँइ देलहाक भांगेक गोला सइ खातिर रुसलथुन तोहर भोला ।  पार्वती कहला हामर परिवारेक एते बोझा वेलेन्स राखा नहम एते सोझा ।  यदि छूटत एक संगे टु जनेक वाहन  तवे जय तय जरूर एककेर जान ।  बांधलों पहिले आपन संतान मेने करलो एवे राखब पतिक मान, एहे समय छुटलय गानसाक बाहन ताकरे पेछू दोडल भोलाकमाला सैतान मूसा के कहलो भाग -भाग आपन घर मरेक कि नखो तोर तनिको डर ?  मुसा ढूकल आपत गाढायँ ।  भोलाक माला गेल सिठाय । ‘मने करलो एबे तनी सुसताइब पाटी लोरही लय भांग पिसवाइब एहे समय कालतीकेक वाहनेक बड़ी चेठा  झपट मारलय भोलाक माला नाग जेटा.  उठावल ओकरा गाछेक उपर हामर मने भेल बड़ी डर भोलाक माला उपर मआरएलआलय चोंचा करे लागलय ओकरा खेचा – बुचा । मारलो फुकरइनेक लेवदा गाछेक उपर तबे पाराइल कारतीकेक वाहन निडर ।  हामर समसया भेल गम्भीर मन के करें लागलों थीर भांग लेलो दू तोला तोवली बनावलो ओकर झटपट गोली । सन्तोष कह सुना माय पार्वती भोली,डाका भोलाक देहान गोली
मेढ आर मानुस – श्री शिवनाथ प्रमाणिक नित करा मानुसेक हितमानुस ले बड़ नखे मित।  मुदा,साइन के आर गॉइज के माटिक मेढ़ बनाइ के झलफले बिहाने नहाय के धुप दिया बाइर के टाका करजा कइर के पइसा खरचा कहर के उपासे पांठा काइट के कांइद के आर मेंमाइ के भला कि तोय मांगे हैं?  मेढ़ से कि खोजे हैं ? काहे मेढ़ बने है।  मेढेक खातिर मोरे हैं।  ककर घरै मोरी नाञ ? ककर घरै हेरी नाञ ? कहाँ बीमारी नाञ ? कहाँ फोदारी नाञ ?  एक बात जाइन ले हमर बात माइन ले  पुरानेक रीती चलिहे नाञ भूल देताक मानिहॅ नाञ  मानेक पहिले भेउ जान वाढतो तोर बुध गियान । तोज कर मासेक मान डर पुलकाक भागवान जे डरे सेहे मोरे निडर लोकनाही हरे जकर पेटे भात नाञ लुगे लेपटाइल गात नाञ  पइवें तोय हुवा इमान  ई धरतिक भगवान सेवा कर मानुस मांय मानुस ले बड़ केउ नाञ

Photo of author
Published by
Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

Related Posts

Leave a comment