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What are the objectives of ventilation?

Published by: Ravi Kumar
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अच्छे संवातन (ventilation) का उद्देश्य है – हवा को गतिमय, शीतल और उपयुक्त मात्रा में रखना। यदि वायु के तापमान को नीचा रखने, उसकी नमी की अधिकता को रोकने और उसमें गतिशीलता उत्पन्न करने का समुचित प्रबन्ध किया गया है तो बिना किसी कुप्रभाव के कुछ सीमा तक शरीर श्वसन प्रक्रिया द्वारा उत्पन्न अशुद्धि को सहन कर सकता है। यदि विद्यालयों में वायु के प्रवेश-निकास का प्रबन्ध उपयुक्त रूप से किया जाए तो संक्रमण की सम्भावनाओं को भी कुछ सीमा तक कम किया जा सकता है। वायु के उचित प्रवेश निकास के प्रबन्ध से न केवल जीवाणुओं का नाश और वायु की अशुद्धि ही दूर होगी वरन् बच्चों का शरीर भी स्वस्थ रहेगा और वे फिर आसानी से रोग के शिकार न हो सकेंगे।

संवातन (ventilation) की विधियाँ

संवातन की संवातन (ventilation) विधियों का उद्देश्य- गन्दी हवा को दूर करना तथा ताजी शुद्ध वायु को अन्दर आने देना है।

संवातन (ventilation) विधियों के दो प्रकार हैं-

  1. प्राकृतिक
  2. अप्राकृतिक

जब प्रकृतिक में निहित शक्ति को वायु-प्रसरण के रूप में प्रयुक्त किया जाता है तो उसे ‘प्राकृतिक संवातन (ventilation)‘ कहते हैं और जब विशेष यन्त्रों के द्वारा संवातन का कार्य किया जाता है तो उसे ‘अप्राकृतिक संवातन (ventilation)‘ कहते हैं।

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प्राकृतिक संवातन (ventilation)-

विद्यालयों में अप्राकृतिक संवातन की अपेक्षा प्राकृतिक संवातन के ढंग अधिक उचित हैं। प्राकृतिक संवातन तीन प्राकृतिक शक्तियों पर निर्भर करता है

  1. गैसों का विसरण
  2. वायु क्रिया
  3. वाहन धाराएँ

विसरण गैसों की यह प्रवृत्ति होती है कि वे एक-दूसरे में मिश्रित हो जाती हैं। अतः यदि द्वार या खिड़कियाँ खुली रहती हैं तो बाहर की वायु कक्ष के भीतर की वायु से मिश्रित हो जाती है। इस प्रकार कक्ष के भीतर की वायु में भी वे तत्त्व आ जाते हैं जो बाहर की वायु में होते हैं। अतः यह भी ताजी और शुद्ध हो जाती है। इस तरह विसरण के द्वारा वायु शुद्ध होती जाती है, किन्तु इस प्रक्रिया की गति बड़ी धीमी होती है और इसका व्यावहारिक महत्त्व कम होता है।

वायु क्रिया – प्राकृतिक संवातन का एक और प्रभावशाली तरीका वायु की क्रिया पर निर्भर करता है। वायु में बहती हुई हवाएँ गैसीय उपद्रवों को अपने साथ उड़ा ले जाती हैं यदि कक्षा में आमने-सामने की दीवारों में द्वार तथा खिड़कियाँ बगल की दिशा में हाँ कक्ष वायु, ताजी वायु द्वारा बाहर निकाल दी जाती है और उसका स्थान स्वयं ले लेती है।

वाहनधाराएँ- वाहन धाराओं से तात्पर्य है— गर्म हवा को धाराओं का ऊपर की ओर तथा शीतल वायु की धाराओं का नीचे की ओर जाना। यह क्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि ताप वायु का भार कम करता है अर्थात् गर्म वायु शीतल वायु की अपेक्षा हल्की होती है और ऊपर को उठती तथा शीतल वायु आकर उसकी जगह ले लेती है। प्राकृतिक रूप से कमरों में ताजी हवा आने के लिए पर्याप्त खिड़की और अशुद्ध हवा को बाहर निकालने के लिए पर्याप्त रोशनदान होने चाहिए ।

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प्राकृतिक संचालन के लिए साधनों को तीन समूहों में जा सकता है-

  • खिड़कियाँ तथा द्वार
  • दीवार अथवा
  • छत में वायु मार्ग
  • चिमनी- चिमनी संवातन (ventilation) का सर्वोत्तम साधन है। चिमनी के ऊपर बहने वाली चिमनी के दबाव को कम कर देती है। ताजी वायु चिमनी से बाहर निकली वायु का स्थान लेने के लिए कमरे में प्रवेश करती है। यदि शीतकाल में आग जल रही है तो चिमनी के मार्ग से वायु गर्म होकर और भी तेजी से कमरे के बाहर जाती है।
  • खिड़कियाँ तथा द्वार – भारत जैसे गर्म देशों में खिड़कियाँ तथा द्वार सबसे सरल साधन हैं। ठण्डे देशों में खिड़कियों तथा द्वारों की अधिकता हानिकारक और कष्टदायक हो सकती है। वातावरण की परिस्थितियों के अनुकूल अनेक प्रकार की खिड़कियाँ बताई गई हैं।
  • दीवार अथवा छत में वायु मार्ग- ताजी वायु के भीतर आने तथा अशुद्ध वायु के बाहर जाने के निमित्त दीवार या छत में कई प्रकार के मार्ग बनाये जा सकते हैं, पर केवल उन कक्षों के लिए जिनकी छत पर कोई और कक्ष नहीं होता।
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वायु मार्ग सबसे उत्तम और उपयोगी है। यह वायु के भीतर आने और बाहर जाने दोनों के मार्ग का काम करते हैं। इसमें दो नलिकाएँ होती हैं। भीतर वाली नली वायु के बाहर जाने का मार्ग प्रस्तुत करती है और दोनों नलियों के बीच का स्थान वायु का प्रवेश मार्ग प्रस्तुत करता है।

  • अप्राकृतिक या कृत्रिम संवातन- आधुनिक काल में बड़े भवनों में, जिनमें सभा आदि के लिए बड़े-बड़े हॉल होते हैं, अप्राकृतिक संवातन प्रचलित हो गया है। परन्तु अभी उनका उतना चलन नहीं है क्योंकि उनमें व्यय बहुत होता है, साथ ही यह साधन बड़े उलझन के होते हैं और उनके खराब होने का भय बना रहता है। अप्राकृतिक संवातन निम्नलिखित दो प्रक्रियाओं में से किसी एक पर या सम्मिलित रूप से दोनों पर निर्भर करता है-
  1. वायु बाहर खींचने की प्रक्रिया ।
  2. वायु को आगे को धक्का देने की प्रक्रिया ।
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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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