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समुदाय का तात्पर्य है एवं बालक की शिक्षा में समुदाय के महत्व

Published by: Ravi Kumar
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समुदाय’ का अग्रेजी रूपान्तर Community है- हम कह सकते हैं कि ‘समुदाय‘ व्यक्तियों का एक ऐसा समूह है, जो मिलकर एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे की सेवा सहायता करते हुए अपने अधिकारों का उपयोग करते हैं।

समुदाय, मनुष्यों का स्थायी और स्थानीय’ समूह है, जिसके अनेक प्रकार के और समान हित होते हैं। जहाँ कहीं भी व्यक्तियों का एक समूह सामान्य जीवन में भाग लेता है, वहीं हम उसे ‘समुदाय’ कहते हैं। जहाँ कहीं भी व्यक्ति निवास करते हैं, वहीं वे कुछ सामान्य विशेषताओं को विकसित करते हैं। उनके ढंग, व्यवहार, परम्पराएँ, बोलने की विधि इत्यादि एक से हो जाते हैं। ये सभी बातें सामान्य जीवन की प्रभावपूर्ण प्रतीक हैं। वास्तव में, ‘समुदाय’ अति विस्तृत और व्यापक शब्द है और इसमें विभिन्न प्रकार के सामाजिक समूहों का समावेश हो जाता है, उदाहरणार्थ- परिवार, धार्मिक संघ, जाति, उपजाति, पड़ोस नगर एवं राष्ट्र समुदाय के विभिन्न रूप हैं।

सभ्यता की प्रगति और इसके फलस्वरूप संसार के लोगों की एक-दूसरे पर अधिक निर्भरता हो जाने के कारण समुदाय की धारणा विस्तृत हो गयी है। धीरे-धीरे अतीत के छोटे और आत्म-निर्भर ग्रामीण समुदाय का स्थान विश्व समुदाय लेता जा रहा है। इस बड़े समुदाय के लोग समान आदर्शों, रुचियों और आवागमन तथा सन्देश के तेज साधनों के कारण अधिक पास आते जा रहे हैं ।

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अब भी हम अपने नगर या कस्बे को अपना स्थानीय समुदाय कहते हैं पर हमारे सम्बन्ध अपने देश और विदेश के लोगों से भी होते हैं। फलस्वरूप हम राज्य समुदाय, राष्ट्रीय समुदाय और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के भी सदस्य होते हैं। इस प्रकार समुदाय में एक वर्ग मील से कम का क्षेत्र भी हो सकता है या उसका घेरा विश्व भी हो सकता है। यह क्षेत्र या घेरा इस बात पर निर्भर करता है कि इसके सदस्यों में आर्थिक और राजनीतिक समानतायें हों।

गिंसबर्ग – “समुदाय सामान्य जीवन व्यतीत करने वाले सामाजिक प्राणियों का एक समूह समझा जाता है, जिसमें सब प्रकार के असीमित, विविध और जटिल सम्बन्ध होते हैं। जो सामान्य जीवन के फलस्वरूप होते हैं या जो उसका निर्माण करते हैं।”

मेकाइवर-” जब कभी एक छोटे या बड़े समूह के सदस्य इस प्रकार रहते हैं कि वे इस अथवा उस विशिष्ट उद्देश्य में भाग नहीं लेते हैं, वरन् जीवन की समस्त, भौतिक दशाओं में भाग लेते हैं, तब हम ऐसे समूह को समुदाय कहते हैं ।

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समुदाय के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिये समाज एवं समुदाय के अन्तर को नौचे स्पष्ट किया जा रहा है। प्रायः इन दोनों शब्दों को समानार्थी रूप में प्रयुक्त किया जाता है। समाज वह संगठन है जिसमें लोग एक साथ मिल-जुल कर रहते हैं। समुदाय शब्द का भी इसी अर्थ में प्रयोग किया जाता है। |

बालक की शिक्षा में समुदाय का महत्त्व-

विद्यालय या परिवार के समान समुदाय भी व्यक्ति के व्यवहार में इस प्रकार रूपान्तर करता है जिससे वह समूह के कार्यों में सक्रिय भाग ले सके, जिसका कि वह सदस्य है। हम प्रायः सुनते हैं कि बालक वैसा ही बनता है, जैसा कि समुदाय के बड़े लोग उसको बनाते हैं। सत्य है कि समुदाय बालक के व्यक्तित्व के विकास पर बहुत प्रभाव डालता है। वास्वत में समुदाय बालक की शिक्षा को प्रारम्भ से ही प्रभावित करता है। बालक का विकास न केवल घर के संकुचित वातवरण में, वर समुदाय के विस्तृत वातावरण में ही होता है। समुदाय अप्रत्यक्ष, किन्तु प्रभावपूर्ण ढंग से बालक की आदतों, विचारों और स्वभाव को मोहता है उनकी संस्कृति, रहन-सहन, बोल-चाल आदि अनेक बातों पर उसके समुदाय की छाप होती है। समुदाय का वातावरण बालक की अनुकरण की जन्मजात प्रवृत्ति पर विशेष प्रभाव डालता है। वह उन व्यक्तियों के ढंगों का अनुसरण करता है, जिनको वह देखता है, उदाहरणार्थ-यदि संगीतज्ञों के साथ रहता है, तो उनकी संगीत कुशलता से प्रभावित होता है और उसमें संगीत के लिए रुचि उत्पन्न होती है ।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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