भौतिक विज्ञान एक प्रायोगिक विज्ञान है। इसके सिद्धांतों और नियमों को समझने के लिए प्रयोगों का प्रयोग करना आवश्यक है। भौतिक विज्ञान शिक्षण में प्रयोगशालाओं की आवश्यकता एवं महत्व निम्नलिखित है:
- प्रयोगशाला में छात्र स्वयं करके सीखते हैं, जिससे उनका ज्ञान अधिक स्थाई हो जाता है। प्रयोगशाला में छात्र स्वयं उपकरणों का प्रयोग करके प्रयोग करते हैं। इससे उन्हें विज्ञान की अवधारणाओं को समझने में आसानी होती है और उनका ज्ञान अधिक स्थाई हो जाता है।
- प्रयोगशाला के द्वारा छात्र क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त करते हैं। प्रयोगशाला में छात्र स्वयं प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें विज्ञान की अवधारणाओं को समझने में मदद मिलती है। इससे उनका क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान भी बढ़ता है।
- प्रयोगशाला में कार्य करते समय छात्र विज्ञान के अध्ययन में अधिक रुचि लेते हैं। प्रयोगशाला में छात्र स्वयं प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें विज्ञान में आनंद आता है और वे विज्ञान के अध्ययन में अधिक रुचि लेते हैं।
- प्रयोगशाला के द्वारा छात्रों में रचनात्मक एवं अनुसन्धानात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। प्रयोगशाला में छात्र स्वयं प्रयोग करते हैं, जिससे उनमें रचनात्मकता एवं अनुसन्धानात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है।
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- छात्र विज्ञान के प्रयोग करने में आनन्द की अनुभूति करते हैं, क्योंकि प्रयोग करने से उनकी जिज्ञासाओं की सन्तुष्टि होती है। प्रयोगशाला में छात्र स्वयं प्रयोग करते हैं, जिससे उनकी जिज्ञासाओं की सन्तुष्टि होती है और उन्हें आनंद आता है।
- छात्रों को विभिन्न प्रकार की कुशलताओं का विकास होता है, जैसे-आकृति, चित्र, मॉडल बनाने की कुशलता, माप-तौल की कुशलता आदि। प्रयोगशाला में छात्र विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें विभिन्न प्रकार की कुशलताओं का विकास होता है।
- छात्रो में आगमनात्मक चिन्तन का विकास होता है। प्रयोगशाला में छात्र स्वयं प्रयोग करते हैं और प्रयोगों के परिणामों से अवधारणाओं को प्राप्त करते हैं। इससे उनमें आगमनात्मक चिन्तन का विकास होता है।
- ज्ञान की स्थिरता: प्रयोगशाला में स्वयं करके सीखने से छात्रों का ज्ञान अधिक स्थिर हो जाता है। छात्रों को जब कोई प्रयोग स्वयं करना होता है, तो उन्हें उस प्रयोग से संबंधित सिद्धांतों और नियमों को समझना होता है। इससे उनका ज्ञान अधिक गहराई से बैठ जाता है।
- क्रियात्मक एवं व्यावहारिक ज्ञान: प्रयोगशाला में छात्रों को क्रियात्मक और व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त होता है। वे प्रयोगों के माध्यम से विज्ञान के सिद्धांतों और नियमों को प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करते हैं। इससे उन्हें विज्ञान में रुचि और उत्साह बढ़ता है।
- रुचि एवं अभिरुचि का विकास: प्रयोगशाला में छात्रों की रुचि एवं अभिरुचि का विकास होता है। जब छात्र प्रयोग करते हैं, तो उन्हें विज्ञान से संबंधित विषयों में अधिक रुचि होती है। इससे उनमें विज्ञान के अध्ययन के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण विकसित होता है।
- सृजनात्मक एवं अनुसन्धानात्मक दृष्टिकोण का विकास: प्रयोगशाला में छात्रों में सृजनात्मक एवं अनुसन्धानात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है। जब छात्र प्रयोग करते हैं, तो उन्हें नए प्रयोग करने के लिए प्रेरणा मिलती है। इससे उनमें समस्या समाधान की क्षमता विकसित होती है।
इस प्रकार, भौतिक विज्ञान शिक्षण में प्रयोगशालाओं की आवश्यकता एवं महत्व अत्यधिक है। प्रयोगशालाओं के बिना भौतिक विज्ञान की अवधारणाओं को समझना कठिन है। इसलिए, सभी विद्यालयों में भौतिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का निर्माण किया जाना चाहिए।
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यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं जो भौतिक विज्ञान प्रयोगशालाओं को अधिक प्रभावी बना सकते हैं:
- प्रयोगशालाओं में उपकरणों और सामग्रियों की पर्याप्त उपलब्धता होनी चाहिए।
- प्रयोगशालाओं में प्रयोग करने के लिए छात्रों को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
- प्रयोगशालाओं में प्रयोगों का सुव्यवस्थित तरीके से संचालन किया जाना चाहिए।
- प्रयोगशालाओं में प्रयोगों के लिए आवश्यक सुरक्षा उपाय किए जाने चाहिए।
इन सुझावों के पालन से भौतिक विज्ञान प्रयोगशालाओं का अधिकतम लाभ उठाया जा सकता है।