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प्रदर्शन विधि के गुण और दोष | Demonstration Method: Advantages and Disadvantages

Published by: Ravi Kumar
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प्रदर्शन विधि एक ऐसी शिक्षण विधि है जिसमें शिक्षक किसी वस्तु, प्रक्रिया या सिद्धांत को स्वयं प्रदर्शित करता है और छात्रों को उसे देखकर समझने का अवसर देता है। यह विधि प्रायः विज्ञान, गणित, प्रयोगशाला कार्य, तकनीकी शिक्षा आदि विषयों में प्रयोग की जाती है।

प्रदर्शन विधि के गुण निम्नलिखित हैं:

  • यह विधि छात्रों को प्रत्यक्ष ज्ञान प्रदान करती है। जब छात्र किसी वस्तु या प्रक्रिया को प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं, तो वे उसे अधिक अच्छी तरह से समझ पाते हैं।
  • यह विधि छात्रों की रुचि को बढ़ाती है। प्रदर्शन अधिक रोचक और आकर्षक होते हैं, इसलिए छात्रों को उन्हें देखने में अधिक आनंद आता है।
  • यह विधि छात्रों को सूक्ष्म प्रेक्षण का अभ्यास कराती है। प्रदर्शन के दौरान छात्रों को वस्तुओं या प्रक्रियाओं का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करना पड़ता है। इससे उनकी सूक्ष्म प्रेक्षण क्षमता का विकास होता है।
  • यह विधि छात्रों को क्रियाशील बनाती है। प्रदर्शन विधि में छात्रों को केवल देखना नहीं होता, बल्कि उन्हें स्वयं कुछ करना पड़ता है। इससे उनकी क्रियाशीलता बढ़ती है।
  • यह विधि छात्रों को समस्या-समाधान और निर्णय लेने के कौशल विकसित करने में मदद करती है।
  • यह विधि छात्रों को प्रयोगात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करती है।
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प्रदर्शन विधि के दोष निम्नलिखित हैं:

  • यह विधि सभी विषयों के लिए उपयुक्त नहीं है। कुछ विषयों, जैसे भाषा, साहित्य, समाजशास्त्र आदि में प्रदर्शन विधि का प्रयोग करना कठिन होता है।
  • यह विधि सभी शिक्षकों के लिए उपयुक्त नहीं है। प्रदर्शन विधि को सफलतापूर्वक संचालित करने के लिए शिक्षक को कुशल और अनुभवी होना चाहिए।
  • यह विधि महंगी हो सकती है। कुछ प्रदर्शनों के लिए विशेष उपकरण और सामग्री की आवश्यकता होती है, जो महंगी हो सकती है।

प्रदर्शन विधि के लाभों को देखते हुए, यह विधि शिक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि, इस विधि के दोषों को ध्यान में रखते हुए, इसका उपयोग करते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिए।

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प्रदर्शन विधि के कुछ विशिष्ट उदाहरण निम्नलिखित हैं:

  • विज्ञान कक्षा में किसी प्रयोग का प्रदर्शन
  • गणित कक्षा में किसी ज्यामितीय आकृति का निर्माण
  • तकनीकी कक्षा में किसी उपकरण का कार्यप्रदर्शन
  • व्यावहारिक प्रशिक्षण में किसी कौशल का प्रदर्शन

प्रदर्शन विधि का उपयोग करते समय शिक्षक को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • प्रदर्शन को छात्रों के स्तर के अनुरूप होना चाहिए।
  • प्रदर्शन को स्पष्ट और संक्षिप्त होना चाहिए।
  • प्रदर्शन के दौरान छात्रों को ध्यान केंद्रित करने में मदद करने के लिए उपयुक्त तकनीकों का उपयोग करना चाहिए।
  • प्रदर्शन के बाद छात्रों को प्रदर्शन के बारे में प्रश्न पूछने का अवसर देना चाहिए।
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कुल मिलाकर, प्रदर्शन विधि एक उपयोगी शिक्षण विधि है, लेकिन इसका प्रयोग करते समय उपरोक्त गुणों और दोषों को ध्यान में रखना चाहिए।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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