स्वास्थ्य को अंग्रेजी में Health कहते हैं। Health का अर्थ है स्वस्थता की स्थिति अर्थात् शारीरिक तथा दिमागी क्रियाएँ संतुलित तथा सुचारु हो सकें। सबसे प्रथम स्वास्थ्य की अवधारणा यही थी कि ‘स्वास्थ्य अर्थात्, रोगों की अनुपस्थिति’ यदि शरीर में कोई रोग है, तो वह व्यक्ति अस्वस्थ होगा। बदलते समय ज्ञान-विज्ञान से स्वास्थ्य की अवधारणाएँ बदलीं । स्वास्थ्य के साथ शारीरिक मानसिक, सामाजिक तथा सांवेगिक स्थितियों को भी जोड़ा गया।
यदि आप शारीरिक रूप से अस्वस्थ हैं, तो मानसिक, सामाजिक, सांवेगिक स्थितियाँ भी असन्तुलित हो जाती हैं। देश के स्वस्थ नागरिक अपने देश की खुशहाली उन्नति के लिए आवश्यक है। विदेशों में स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता है। भारत में अभी भी स्वास्थ्य का स्थान आवश्यक आवश्यकताओं में नहीं आया है। उदाहरणस्वरूप विदेशों में दाँतों का निरीक्षण बचपन से करवाया जाता है, भारत में जब तक दाँतों में तकलीफ नहीं हो जाती, व्यक्ति दन्त, चिकित्सक के पास नहीं जाता है। स्वास्थ्य की अवधारणा को बदलने में सरकार का इस ओर ध्यान आकर्षित करने में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का बहुत बड़ा हाथ है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य की निम्न परिभाषा दी है–
“Health is a state of complete physical mental and social being and not merely the absence of discase or infirmity.
अर्थात् मनुष्य की पूर्ण रूप से शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक स्थिति है, केवल रोगों की अनुपस्थिति मात्र नहीं।
जे. एफ. विलियम के अनुसार- “स्वास्थ्य जीवन का वह गुण है जो व्यक्ति विशेष को लम्बे समय तक जीवित रहने तथा उत्तम सेवाएँ प्रदान करने योग्य बनाता है।”
“स्वास्थ्य शरीर मन या आत्मा से स्वस्थता तथा निरोग होने की अवस्था है। यह विशेषकर शारीरिक बीमारी तथा दर्द का अभाव है।”
स्वास्थ्य को केवल शरीर से जोड़कर नहीं देखना चाहिए? स्वास्थ्य का सम्बन्ध शारीरिक, मन, मस्तिष्क के स्वस्थ होने से होता है। मन मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए शरीर का स्वस्थ होना आवश्यक है क्योंकि “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। ” जो शरीर स्वस्थ तथा मस्तिष्क से स्वस्थ होते हैं, वे सांवेगिक, सामाजिक रूप से स्वस्थ तथा सन्तुलित होते हैं। वे अपना समायोजन आसानी से विषम परिस्थितियों में भी कर लेते हैं। किसी भी समाज या राष्ट्र की सबसे बड़ी पूँजी उसके स्वस्थ नागरिक होते हैं।