समावेशी शिक्षा वह शिक्षा होती है, जिसके द्वारा विशिष्ट क्षमता वाले बालक जैसे मन्दु बुद्धि, अन्धे बालक, बहरे बालक तथा प्रतिभाशाली बालकों को ज्ञान प्रदान किया जाता है ।
समावेशी शिक्षा के द्वारा सर्वप्रथम छात्रों के बौद्धिक शैक्षिक स्तर की जाँच की जाती है, तत्पश्चात् उन्हें दी जाने वाली शिक्षा का स्तर निर्धारित किया जाता है। अतः यह एक ऐसी शिक्षा प्रणाली है, जो कि विशिष्ट क्षमता वाले बालकों हेतु ही निर्धारित की जाती है। अतः इसे समेकित अथवा समावेशी शिक्षा का नाम दिया गया।
समावेशी शिक्षा की आवश्यकता
किसी भी शिक्षा प्रणाली का निर्धारण प्रायः बालकों की बुद्धि लब्धि, शैक्षिक योग्यता तथा शैक्षिक स्तर को ध्यान में रखकर किया जाता है। ठीक इसी प्रकार समावेशी शिक्षा का | निर्धारण भी छात्रों की बुद्धि लब्धि, शैक्षिक स्तर व योग्यताओं को ध्यान में रखकर ही किया जाता है। इस प्रकार की शिक्षा के कई स्तर होते हैं। यह स्तर बालकों के स्तरानुसार ही निर्धारित किये जाते हैं। बालकों के स्तरों को निम्नांकित रूप में वर्गीकृत किया गया है-
उपरोक्त वर्गीकरण में उल्लेखित बालकों को निम्नलिखित प्रकार से विस्तारपूर्वक वर्गीकृत किया जा सकता है-
शारीरिक रूप से भिन्न बालक (Physically Handicapped)-
वह जो कि अन्य बालकों से शारीरिक रूप से भिन्न होते हैं, वे इस श्रेणी में आते हैं जैसे-
- सांवेदिक रूप से विकलांग बालक
- गतीय रूप से विकलांग बालक तथा (c) बहुल विकलांग बालक
मानसिक रूप से विचलित बालक (Mentally Retarded Children)-
वह बालक जो कि मानसिक रूप से विचलित होते हैं, वह इस श्रेणी में आते हैं जैसे-
- प्रतिभाशाली बालक
- मन्द बुद्धि बालक तथा
- सृजनशील बालक
इस श्रेणी की विशेषता यह है कि जरूरी नहीं वह बालक, जो कि मानसिक रूप से कमजोर हों, वही इस श्रेणी में आयें वरन वह बालक जो आवश्यकता से अधिक चतुर व समझदार होते हैं वह भी इस श्रेणी में आते हैं।
सामाजिक रूप से विचलित बालक (Socially Deprived Children)-
वह बालक जो कि सामाजिक रूप से विचलित होते हैं वह इस श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं जैसे-
- सांवेगिक रूप से परेशान बालक
- असमायोजित बालक
- वचित बालक
- समस्यात्मक बालक
- बाल अपराधी
- माता-पिता द्वारा तिरस्कृत बालक ।
शैक्षिक रूप से भिन्न बालक (Educationally differ Children)-
शैक्षिक रूप से भिन्न बालकों के अन्तर्गत निम्न बालक आते हैं-
- शैक्षिक रूप से समृद्ध बालक
- शैक्षिक रूप से पिछड़े बालक
- किसी विषय विशेष को न सीख पाने वाले बालक तथा
- सम्प्रेषण बाधिक बालक ।
इस प्रकार से इन सभी बालकों को शिक्षा प्रदान करने हेतु ही समेकित अथवा समावेशी शिक्षा का प्रावधान तैयार किया गया। अतः समावेशी शिक्षा प्रणाली वह प्रणाली है, जो कि विशिष्टता ग्रहण किये बालकों हेतु तैयार की गई है।