विभिन्न प्रकार के दृष्टि दोष

अपवर्तन की अशुद्धि के चलते मनुष्य में सामान्यतया चार तरह के दृष्टिदोष पाये जाते हैं:

  • दूर दृष्टिदोष farsightedness
  • निकट दृष्टिदोष nearsightedness
  • प्रेसबायोपिया presbyopia
  • आस्टिग्मेटिज्म astigmatism

ये सभी किसी न किसी दृष्टि अक्षमता के लिए जिम्मेवार हैं। कम दृष्टि वालों में दूर दृष्टिदोष और निकट दृष्टिदोष अवश्य पाया जाता है।

  1. दूर दृष्टिदोष (Farsightedness)- दूर दृष्टिदोष को हाइपरमेट्रोपिया या हाइपरोपिया भी कहा जाता है। दूर दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति दूर की चीजों को तो स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन उसे नजदीक की चीजें स्पष्ट रूप से नहीं दिखती हैं। नेत्र गोलक के छोटा होने के चलते ऐसा होता है। नेत्र गोलक अपने अक्ष पर चिपटा हो जाता है जिसके चलते क्षेत्र के लेंस का फोकल लेन्थ बढ़ जाता है। लिहाज निकट बिन्दु (25cm) पर रखी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनने की बजाए रेटिना के पीछे बनती है। इसी के चलते व्यक्ति नजदीक की चीजों को स्पष्ट नहीं देख पाता है। पीड़ित व्यक्ति को उत्तल लेंस वाला चश्मा या कांटेक्ट लेंस पहनना पड़ता है ।
  2. निकट दृष्टिदोष (Nearsightedness)- निकट दृष्टिदोष को मायोपिया भी कहा जाता है। इस दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति निकट की चीजों को तो स्पष्ट रूप से देख सकता है लेकिन दूर रखी वस्तुएँ उसे स्पष्ट रूप से नहीं दिखता है। नेत्र गोलक के लम्बा होने के चलते ऐसा होता है। लिहाजा दूर बिन्दु पर रखी वस्तुओं का प्रतिबिम्ब रेटिना पर बनने की बजाए रेटिना के आगे बनती है। इसके चलते ही व्यक्ति दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है जबकि व्यक्ति निकट विन्दु पर रखी वस्तुएँ स्पष्टतः देख लेता है। अवतल लेंस वाले चश्मे या कांटेक्ट लेंस का उपयोग कर इस दृष्टिदोष को सुधारा जा सकता है ।
  3. प्रेसबायोपिया (Presbyopia- इसे वृद्धावस्था का दृष्टिदोष भी कहा जाता है इस दृष्टिदोष से पीड़ित व्यक्ति न तो दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख पाता है और नही निकट रखी वस्तुओं को ऐसा आँख के लेंस के कठोर हो जाने के चलते होता है। परिणामस्वरूप देखने की दूर बिन्दु सामान्य से कम हो जाती है वहीं निकट बिन्दु औसत से बढ़ जाती है। आँख के लेंस के शक्ति खो देने से लेंस कठोर हो जाता है । इस दृष्टिदोष के सुधार के लिए व्यक्ति को बाइफोकल लेंस वाला चश्मा पहनना पड़ता है।
  4. आस्टिग्मेटिज्म (Astigmatism) – कार्निया या लेंस के अनियमितता के चलते व्यक्ति ‘आस्टिग्मेटिज्म’ दोष का शिकार हो जाता है। परिणामस्वरूप किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब रेटिना पर स्पष्ट नहीं बनता है। इसलिए दूर की वस्तुएँ धुंधली दिखती है। इसके सुधार के लिए व्यक्ति को बेलनाकार लॅस वाला चश्मा पहनना होता है।
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