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लोक संगीत

Published by: Ravi Kumar
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लोक संगीत भारतीय संस्कृति का प्राण है। यह सदियों से चली आ रही परंपरा है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है। यह संगीत न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि यह एक ऐसी कहानी कहता है जो किसी पाठ्यपुस्तक में नहीं पाई जा सकती। यह एक समुदाय के इतिहास, संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को दर्शाता है।

लोक संगीत की विशेषताएं:

  • मौखिक परंपरा: लोक संगीत आमतौर पर लिखित नहीं होता है, बल्कि पीढ़ी दर पीढ़ी मुंह से गाकर पारित किया जाता है। इससे इसमें एक अनूठी सहजता और प्रामाणिकता आती है।

  • विविधता: भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लोक संगीत की एक विस्तृत विविधता है, प्रत्येक क्षेत्र की अपनी अनूठी शैली और लय के साथ है।

  • सामाजिक महत्व: लोक संगीत अक्सर त्योहारों, संस्कारों और अन्य सामाजिक अवसरों पर गाया जाता है। यह समुदाय को एक साथ लाने और साझा अनुभव बनाने में मदद करता है।

  • वाद्य यंत्र: लोक संगीत में पारंपरिक वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे कि ढोल, हारमोनियम, सितार, और तबला।

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कुछ प्रसिद्ध लोक गीत:

  • भोजपुरी – “लहरिया”, “दुल्हन जिया”
  • पंजाबी – “भंगड़ा”, “मलवाणी”
  • राजस्थानी – “घूमर”, “कजरी”
  • तमिल – “तेप्पाट्टम”, “कुम्मी”
  • कन्नड़ – “गोम्बेयात्तम”, “जनपद कथा”

लोक संगीत न केवल मनोरंजन का एक साधन है, बल्कि यह हमारे अतीत से जुड़ने और अपनी जड़ों को समझने का एक तरीका भी है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हम अकेले नहीं हैं, बल्कि एक बड़े समुदाय का हिस्सा हैं। हमें इस खूबसूरत परंपरा को जीवित रखना चाहिए और आने वाली पीढ़ियों को इसे पारित करना चाहिए।

 

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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