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महिला सशक्तीकरण | Women Empowerment B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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महिला सशक्तिकरण के संबंध में सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और कानूनी मुद्दों पर संवेदनशीलता और संज्ञान को जाता है। सशक्तिकरण की प्रक्रिया में समाज को पारंपरिक पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण के प्रति जागरूक किया जाता है, जो महिलाओं की स्थिति को हमेशा कमतर माना गया है। वैश्विक स्तर पर नारीवादी आंदोलनों और यूएनडीपी आदि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाओं के सामाजिक समानता, स्वतंत्रता, और न्याय के राजनीतिक अधिकारों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। महिला सशक्तिकरण भौतिक या आध्यात्मिक, शारिरिक या मानसिक, सभी स्तर पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर उन्हें सशक्त बनाने की प्रक्रिया है।

महिला सशक्तीकरण
महिला सशक्तीकरण

महिला सशक्तीकरण क्या है?

महिला सशक्तिकरण का अर्थ है कि महिलाएं शक्तिशाली बनें, जिससे वे अपने जीवन के सभी निर्णय स्वयं ले सकें और परिवार और समाज में सकारात्मक रूप से योगदान दे सकें। महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य महिलाओं को उनके वास्तविक अधिकारों को प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करना है। इसमें ऐसी शक्ति है कि महिलाएं समाज और देश में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती हैं।

महिला सशक्तीकरण के लिए दिए गए अधिकार

महिला सशक्तिकरण के लिए दिए गए अधिकारों के बारे में जानकारी देते हुए यह कहा जा सकता है कि:

  1. समान वेतन का अधिकार: समान पारिश्रमिक अधिनियम के तहत वेतन या मजदूरी में लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
  2. कार्य-स्थल में उत्पीड़न के खिलाफ कानून: यौन उत्पीड़न अधिनियम के अनुसार, किसी भी वर्किंग प्लेस पर होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का हक है।
  3. कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार: भारतीय नागरिकों का कर्तव्य है कि वे कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ उठे।
  4. संपत्ति पर अधिकार: हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत पुरुष और महिला दोनों को पुश्तैनी संपत्ति पर बराबर हक है।
  5. गरिमा और शालीनता के लिए अधिकार: आरोपी व्यक्ति के खिलाफ किसी भी चिकित्सा जांच प्रक्रिया में महिलाओं की उपस्थिति की जानी चाहिए।
  6. महिला सशक्तिकरण: महिला सशक्तिकरण का मतलब है कि महिलाओं को पारिवारिक बंधनों से मुक्त होकर अपने और अपने देश के बारे में सोचने की क्षमता विकसित की जाए।
  7. महिला श्रेष्ठता: महिलाओं को समाज में सम्मान की दृष्टि से देखा जाना चाहिए।
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भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं

भारत में महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आने वाली बाधाएं

  1. सामाजिक मापदंड:

पुरानी और रुढ़ीवादी विचारधाराओं के कारण भारत के कई सारे क्षेत्रों में महिलाओं के घर छोड़ने पर पाबंदी होती है। इस तरह के क्षेत्रों में महिलाओं को शिक्षा या फिर रोजगार के लिए घर से बाहर जाने के लिए आजादी नहीं होती। इस वातावरण में रहने के कारण महिलाएं खुद को पुरुषों से कमतर समझने लगती हैं और अपने वर्तमान सामाजिक और आर्थिक दशा को बदलने में नाकाम साबित होती हैं।

  1. कार्यक्षेत्र में शारीरिक शोषण:

कार्यक्षेत्र में होने वाला शोषण भी महिला सशक्तिकरण में एक बड़ी बाधा है। नीजी क्षेत्र जैसे कि सेवा उद्योग, साफ्टवेयर उद्योग, शैक्षिक संस्थाएं और अस्पताल इस समस्या से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। यह समाज में पुरुष प्रधानता के वर्चस्व के कारण महिलाओं के लिए और भी समस्याएं उत्पन्न करता है।

  1. लैंगिक भेदभाव:
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भारत में अभी भी कार्यस्थलों में महिलाओं के साथ लैंगिक स्तर पर काफी भेदभाव किया जाता है। कई सारे क्षेत्रों में तो महिलाओं को शिक्षा और रोजगार के लिए बाहर जाने की भी इजाजत नहीं होती है।

  1. भुगतान में असमानता:

भारत में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों के अपेक्षा कम भुगतान किया जाता है और असंगठित क्षेत्रों में यह समस्या और भी ज्यादे दयनीय है।

  1. अशिक्षा:

महिलाओं में अशिक्षा और बीच में पढ़ाई छोड़ने जैसी समस्याएं भी महिला सशक्तिकरण में काफी बड़ी बाधाएं हैं।

  1. बाल विवाह:

हालांकि पिछलें कुछ दशकों सरकार द्वारा लिए गये प्रभावी फैसलों द्वारा भारत में बाल विवाह जैसी कुरीति को काफी हद तक कम कर दिया गया है लेकिन 2018 में यूनिसेफ के एक रिपोर्ट द्वारा पता चलता है, कि भारत में अब भी हर वर्ष लगभग 15 लाख लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले ही कर दी जाती है।

  1. महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध:

भारतीय महिलाओं के विरुद्ध कई सारे घरेलू हिंसाओं के साथ दहेज, हॉनर किलिंग और तस्करी जैसे गंभीर अपराध देखने को मिलते हैं।

  1. कन्या भ्रूणहत्या:
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कन्या भ्रूणहत्या या फिर लिंग के आधार पर गर्भपात भारत में महिला सशक्तिकरण के रास्तें में आने वाले सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है।

भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए सरकार की भूमिका

भारत सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जाती है। महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है। इन्हीं में से कुछ मुख्य योजनाओं के विषय में नीचे बताया गया है।

1) बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं योजना

2) महिला हेल्पलाइन योजना

3) उज्जवला योजना

4) सपोर्ट टू ट्रेनिंग एंड एम्प्लॉयमेंट प्रोग्राम फॉर वूमेन (स्टेप)

5) महिला शक्ति केंद्र

6) पंचायाती राज योजनाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण

निष्कर्ष

भारतीय समाज में सच में महिला सशक्तिकरण लाने के लिये महिलाओं के खिलाफ बुरी प्रथाओं के मुख्य कारणों को समझना और उन्हें हटाना होगा जो कि समाज की पितृसत्तामक और पुरुष प्रभाव युक्त व्यवस्था है। जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव लाये।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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