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बाल्यावस्था में विकास | Development in Childhood B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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बाल्यावस्था में शिक्षा बच्चे की मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास को प्रभावित करती है। यह उन्हें ज्ञान, अनुशासन और नैतिक मूल्यों की सीख देती है। बाल्यावस्था में शिक्षा के अनेक लाभ होते हैं। यह बच्चे को अच्छे विचारों, सोचने की क्षमता और समस्याओं को हल करने की क्षमता प्रदान करती है। बाल्यावस्था में शिक्षा बच्चे के सामाजिक और भाषाई विकास को बढ़ाती है। इसके अलावा, बाल्यावस्था में शिक्षा के उदाहरणों में बच्चों को सामाजिक ज्ञान, नैतिक मूल्यों की सीख, अनुशासन, स्वच्छता के महत्व, स्वास्थ्य और हाइजीन के बारे में जागरूकता दी जाती है।

बाल्यावस्था में विकास | Development in Childhood B.Ed Notes

बचपन की शुरुआत शैशवावस्था के तुरंत बाद होती है। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बचपन ‘बच्चे का निर्माणकारी काल’ है। इस चरण में, बच्चे में व्यक्तिगत, सामाजिक और शिक्षा से संबंधित कई आदतों, व्यवहारों, रुचियों और इच्छाओं के पैटर्न विकसित होते हैं। इस अवधि के दौरान, बच्चों में आदतों, इच्छाओं और रुचियों के जो भी पैटर्न बनते हैं वे लगभग स्थायी हो जाते हैं और उन्हें आसानी से नहीं बदला जा सकता है। सामान्यतः बचपन मानव जीवन का 6 से 12 वर्ष के बीच का समय होता है जिसमें बच्चे के जीवन में स्थिरता आने लगती है और वह आगे के जीवन के लिए तैयारी करने लगता है। शिक्षा शुरू करने के लिए बचपन की यह उम्र सबसे उपयुक्त मानी जाती है।

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बाल्यावस्था में विकास:

बाल्यावस्था (early childhood) जीवन का वह महत्वपूर्ण चरण होता है जो जन्म से लेकर 6 वर्ष की आयु तक होता है। इस अवधि में बच्चे का तेजी से शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास होता है।

यहाँ बाल्यावस्था में विकास के कुछ पहलू दिए गए हैं:

शारीरिक विकास:

  • बच्चे का वजन और लंबाई तेजी से बढ़ता है।
  • उनकी हड्डियां मजबूत होती हैं और मांसपेशियां विकसित होती हैं।
  • वे बैठना, रेंगना, खड़ा होना और चलना सीखते हैं।
  • उनकी इंद्रियां विकसित होती हैं और वे दुनिया को देखना, सुनना, सूंघना, चखना और छूना सीखते हैं।

मानसिक विकास:

  • बच्चे वस्तुओं को पहचानना, उनकी आवाजों को समझना और संवाद करना सीखते हैं।
  • वे अपने आसपास की दुनिया के बारे में curious होते हैं और चीजों को explore करना चाहते हैं।
  • वे सोचना, सीखना और समस्याओं को हल करना सीखते हैं।
  • उनकी कल्पना और रचनात्मकता विकसित होती है।
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सामाजिक और भावनात्मक विकास:

  • बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना सीखते हैं, जैसे खुशी, उदासी, गुस्सा और डर।
  • वे अपने देखभाल करने वालों के साथ लगाव का बंधन बनाते हैं।
  • वे दूसरों के साथ खेलना और बातचीत करना सीखते हैं।
  • वे आत्म-विश्वास और स्वतंत्रता विकसित करते हैं।

बाल्यावस्था में विकास को प्रभावित करने वाले कारक:

  • अनुभव: बच्चे जो अनुभव करते हैं, वह उनके सीखने और विकास को आकार देता है।
  • पर्यावरण: बच्चे का घर, परिवार, समुदाय और स्कूल उनके विकास को प्रभावित करते हैं।
  • पोषण: बच्चे को स्वस्थ भोजन और पोषण की आवश्यकता होती है।
  • शिक्षा: बच्चे को शिक्षा और सीखने के अवसरों की आवश्यकता होती है।

बाल्यावस्था में विकास को बढ़ावा देने के तरीके:

  • प्यार और देखभाल: बच्चे को प्यार, देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
  • खेल: खेल बच्चे के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
  • पढ़ना: पढ़ना बच्चे के भाषा और संज्ञानात्मक विकास को बढ़ावा देता है।
  • बातचीत: बच्चे से बातचीत करना उसके भाषा और सामाजिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • शिक्षा: बच्चे को शिक्षा और सीखने के अवसर प्रदान करना।
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यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है:

  • प्रत्येक बच्चा अलग-अलग होता है और अपने तरीके से विकसित होता है।
  • यदि आप किसी बच्चे के विकास के बारे में चिंतित हैं, तो आपको किसी विशेषज्ञ से बात करनी चाहिए.

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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