बहु-भाषायी शिक्षण की आवश्यकता क्यों ?

भाषा न केवल व्यक्तियों की परस्पर बातचीत का उपकरण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पहचान भी है। भाषा में सामाजिक सशक्तीकरण की मौलिक विशेषता भी छिपी होती है। भारत जैसे बहु-भाषाई समाज में शान्ति और सौहार्द के लिए भी भिन्न भाषा-भाषी लोग एक-दूसरे की भाषाओं की विविधता का सम्मान करें। विशेषकर उन लोगों की जो रोजगार की तलाश में अपने मूल स्थान से अन्य स्थान पर जाते हैं और नए स्थान पर वह भाषायी अल्पसंख्यक बन जाते हैं क्योंकि उनकी भाषा बोलने वाले लोग उस स्थान पर पहले से तो होते ही नहीं या अल्प मात्रा में होते हैं। ऐसे में उस स्थान पर भाषायी बहुसंख्यक लोगों को चाहिए कि वह दूसरे भाषायी अल्पसंख्यकों की कठिनाई को अनुभव करें तथा उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार करें। उनका न केवल सम्मान करें बल्कि उनकी कठिनाई दूर करने का प्रयास करें जिससे परस्पर सम्पर्क से ज्ञान के शब्दकोष की वृद्धि तो होगी ही साथ ही विद्यालय में सौहार्द्रपूर्ण वातावरण भी निर्मित होगा।

भाषाएँ एक प्रकार से ज्ञान के शब्दकोष का भी काम करती हैं। ये वह माध्यम भी हैं जिनसे अधिकतर ज्ञान का निर्माण होता है। मनुष्य के विचार और उसकी अस्मिता में घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।

कक्षा में विभिन्न भाषाओं को पढ़ाने के उद्देश्य

जिस प्रकार उद्देश्यहीन मानव का जीवन निरर्थक है, उसी प्रकार उद्देश्यहीन भाषा का अभ्यास भी निरुपयोगी बनता है किसी भी कार्य के पीछे उद्देश्य रहते ही हैं। कक्षा में विभिन्न भाषाओं का स्थान निर्धारित करने के बाद उनके उद्देश्यों को देखना होगा-

मातृभाषा पढ़ाने के उद्देश्य-

  1. छात्रों में मातृभाषा के प्रति अभिरुचि उत्पन्न करना।
  2. छात्रों को मातृभाषा की लिपि का समग्र ज्ञान देना ।
  3. दूसरों की मौखिक और लिखित भाषा को समझने की योग्यता का विकास करना।
  4. छात्रों को मातृभाषा में लिखित एवं मौखिक अभिव्यक्तिकरण में निपुण बनाना ।
  5. छात्रों में प्रभावशाली आकर्षक शुद्ध एवं रुचिकर शैली में परिस्थिति के अनुसार भाषा का प्रयोग करने की क्षमता का निर्माण करना।
  6. लेखन शैली को समग्रता से सुचारु ढंग से आकर्षक बनाने में मदद करना।
  7. छात्रों में पढ़ने के प्रति प्रेरणा का निर्माण करना और साहित्य का रसास्वादन करने योग्य बनाना।
  8. छात्रों की भावाभिव्यक्ति को प्रभावोत्पादक बनाने में सहायता प्रदान करना।
  9. छात्राओं में उदात्त भावनाओं का विकास करना ।
  10. छात्रों में सतसाहित्य की रचना करने की योग्यता का निर्माण करना।
  11. छात्रों में नागरिकता के उत्तम गुणों का संचय करने में मदद करना।
  12. स्वाध्याय द्वारा छात्रों में साहित्यिक रुचि का विकास करना ।
  13. प्रभावी रचना शैलियों का परिचय देना, जैसे- निबन्ध लेखन, पत्र लेखन, सार लेखन संवाद लेखन आदि।
  14. छात्रों को स्वाभाविक क्रियाशीलता की ओर प्रवृत्त करना।
  15. सौन्दर्यानुभूति कराकर मनोरंजन की कला से अवगत कराना।
  16. मातृभाषा के विचित्र रूपों के बारे में सही जानकारी देना।

राष्ट्रभाषा (हिन्दी) पढ़ाने के उद्देश्य

  1. छात्रों में हिन्दी भाषा के प्रति अभिरुचि का निर्माण करना।
  2. मौखिक वार्तालाप और लिपि का सही ज्ञान देना।
  3. छात्रों के उच्चारण को सही शुद्ध बनाना।
  4. छात्रों को सस्वर वाचन में निपुण बनाना।
  5. स्तर के अनुसार छात्रों के शब्द भण्डार में क्रमशः वृद्धि करना ।
  6. शब्द भण्डार का सक्रिय प्रयोग मौखिक और लिखित अभिव्यक्ति में करने के योग्य बनाना।
  7. छात्रों में शुद्ध लेखन की योग्यता उत्पन्न करना।
  8. छात्रों में कविताओं को भावानुकूल वाचन, रसानुभूति, आनन्दानुभूति के योग्य बनाना ।
  9. अपने विचारों को क्रमबद्ध तरीके से प्रकट करने योग्य बनाना।
  10. स्तरानुकूल मुहावरों, लोकोक्तियों के माध्यम से भाषा को प्रभावशाली बनाने का ज्ञान प्रदान करना
  11. भाषा के शुद्ध प्रयोग के लिए छात्रों को व्याकरण का ज्ञान देना, छात्रों में मौन वाचन द्वारा तथ्यों को ग्रहण करने की योग्यता विकसित करना।

अन्तर्राष्ट्रीय भाषा (अंग्रेजी) पढ़ाने के उद्देश्य

अन्तर्राष्ट्रीय भाषा का गौरव अंग्रेजी भाषा को मिल चुका है, जिसका उपयोग विश्व के आमतौर पर सभी देश कर रहे हैं। इसके पढ़ाने तथा पढ़ने के उद्देश्य निम्न प्रकार हैं-

  1. छात्रों को अंग्रेजी उच्चारण के प्रति प्रेरित करना।
  2. छात्रों को अंग्रेजी लिपि का सही ज्ञान कराना।
  3. मौखिक और लिखित अंग्रेजी में अपने विचारों को सुगमता से प्रकट करने की क्षमता का विकास करना।
  4. छात्रों को शुद्ध, स्पष्ट उच्चारण के साथ प्रवाहमयी भाषा में सस्वर वाचन में निपुण बनाना।
  5. अन्तर्राष्ट्रीयत्व की भावना को जाग्रत करना।
  6. अंग्रेजी भाषा ग्रन्थालय की भाषा है, इसलिए अंग्रेजी के अनेक ग्रन्थ पढ़कर ज्ञान विस्तार बढ़ाने के लिए छात्रों की मदद करना।
  7. यह भाषा सम्पर्क भाषा है, इसके अभ्यास से दूसरे देशों के साथ आदान-प्रदान संस्कृति की पहचान कर लेने के लिए छात्रों को प्रेरित करना।
  8. इस भाषा के अध्ययन से विदेशों के आचार-विचार सभ्यता के विषय में परिचय कराना।
  9. आधुनिक शिक्षा पद्धतियों के बारे में जानकारी देना, जैसे-प्रत्यक्ष पद्धति, गॅवेस्ट पद्धति, अनुवाद पद्धति, शब्द परिवर्तन विधि, गठन विधि आदि द्वारा अंग्रेजी शिक्षा में छात्रों की अभिरुचि बढ़ाना।
  10. इस भाषा के अध्ययन से छात्रों को विदेशों में स्वतन्त्रता से भ्रमण करने के लिए प्रेरित करना।

उपरोक्त विवरण तो भारत में सामान्य भाषायी विविधता के विषय में किया है किन्तु इसके अतिरिक्त हमें भारत में एक और भी प्रकार से भाषायी विविधता के दर्शन होते हैं। भारत एक ऐसा देश है जो भाषाओं के क्षेत्र में अत्यधिक समृद्ध है। भारत की 1961 तथा 1971 की जनगणना में यहाँ की 1,652 भाषाओं को विभिन्न समूहों की मातृभाषा के रूप में स्पष्ट किया गया। वर्तमान समय में भारतीय संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं की कुल संख्या 22 है। इसके अतिरिक्त अनके भाषाएँ ऐसी हैं जिन्हें संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन उनसे सम्बन्धित लोगों की संख्या 4-5 लाख से भी अधिक है।

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