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प्रोटीन की कमी से होने वाले प्रभाव B.Ed Notes

Published by: Ravi Kumar
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प्रोटीन की कमी का प्रभाव प्रोटीन कैलोरी कुपोषण के नाम से जाना जाता है । आज विश्व के अविकसित राष्ट्रों की सबसे बड़ी समस्या प्रोटीन कैलोरी कुपोषण ही है इसके शिकार बच्चे होते हैं। प्रोटीन ऊर्जा कुपोषण प्रोटीन तथा ऊर्जा दोनों की कमी के कारण होता है

लक्षण- इस रोग में निम्न लक्षण दिखाई देते हैं-

  • प्रोटीन की कमी के कारण शरीर की वृद्धि में कमी आ जाती है इसलिए शरीर का वजन कम हो जाता है लम्बाई भी नहीं बढ़ती है।
  • सूजन- शरीर में ऊतकों में पानी भर जाने के कारण सूजन आ जाती है। सबसे पहले सूजन पंजों तथा पैरों पर आती है। इसके बाद शरीर के अन्य भागों जाँच, हाथ और मुँह पर सूजन आती है।
  • मुँह पर सूजन आ जाने के कारण रोगी का चेहरा चन्द्रमा के समान गोल दिखाई देने लगता है।
  • त्वचा तथा बालों में परिवर्तन – त्वचा रूखी, खुरदरी तथा चकत्तेदार हो जाती है। ये लाल रंग के चकत्ते पेट, जाँघ, पीठ पर अधिक होते हैं। बाल पतले, कड़े और कमजोर हो जाते हैं। बालों का रंग भी बदलने लगता है।
  • श्लेष्मिक झिल्लियों पर प्रभाव – श्लेष्मिक झिल्ली पर प्रभाव के कारण ओंठ सूखने लगते हैं, ओठों के किनारे फट जाते हैं, ओंठ कटने तथा पकने लगते हैं। जीभ की सतह चिकनी हो जाती है। गुदा के चारों ओर भी जख्म हो जाते हैं।
  • पाचन तन्त्र सम्बन्धी परिवर्तन-वसा युक्त पदार्थों का पाचन ठीक से न होने के कारण यकृत बढ़ जाता है, यकृत छूने पर कड़ा महसूस होता है। भूख कम हो जाती है, उल्टी तथा डायरिया की शिकायत रहती है ।
  • शरीर में एन्जाइम, हॉर्मोन्स, प्रतिपिण्ड की कमी हो जाती है जिसका प्रभाव भोजन के चयापचय पर पड़ता है।
  • शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होने लगता है इसलिए रोगी के स्वभाव में चिड़चिड़ापन और उदासीनता आ जाती है। रोग बढ़ने के साथ-साथ यह लक्षण बढ़ता जाता है ।

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