Home / B.Ed / M.Ed / DELED Notes / पाठ्यचर्या विकास के उपागम | Approaches of Curriculum Development B.Ed Notes

पाठ्यचर्या विकास के उपागम | Approaches of Curriculum Development B.Ed Notes

Last updated:
WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now

पाठ्यचर्या विकास के उपागम

पाठ्यचर्या विकास शिक्षा के महत्वपूर्ण हिस्से माना जाता है। यह विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और नैतिक मूल्यों का विकास करने में मदद करता है। पाठ्यचर्या विकास के उपागम कई तत्वों पर आधारित हैं जो नीचे विस्तार से बताए गए हैं।

आप इस बात से सहमत होंगे कि स्कूल की गतिविधियों की योजना और आयोजन समाज द्वारा निर्धारित कुछ सिद्धांतों और नियमों के आधार पर किया जाना चाहिए। शिक्षण-अधिगम गतिविधियों के माध्यम से शैक्षिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कुछ योजनाबद्ध तरीके हैं। यह आवश्यक है कि इन गतिविधियों अर्थात सीखने के अनुभवों को सावधानीपूर्वक चुना, नियोजित और कार्यान्वित किया जाए ताकि ये सीखने के अनुभव लोगों के कल्याण में योगदान दें। इसलिए, हम पाठ्यक्रम विकास में एक व्यवस्थित दृष्टिकोण का पालन करते हैं। इस दृष्टिकोण को ‘पाठ्यचर्या दृष्टिकोण’ के नाम से जाना जाता है।

Approaches of Curriculum Development B.Ed Notes - Sarkari DiARY

हम पाठ्यचर्या दृष्टिकोण को इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं – पाठ्यचर्या दृष्टिकोण का अर्थ है पाठ्यक्रम विकास और उसके कार्यान्वयन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के संबंध में निर्णय लेने के लिए उपयोग किया जाने वाला संगठन मॉडल या डिज़ाइन। इस प्रकार, पाठ्यक्रम दृष्टिकोण एक योजना है जिसका पालन शिक्षक अपने छात्रों को सीखने के अनुभव यानी गतिविधियाँ प्रदान करने के लिए करते हैं। पाठ्यक्रम का पैटर्न अर्थात डिज़ाइन पाठ्यक्रम कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप प्राप्त की जाने वाली उपलब्धियों की प्रकृति को निर्धारित करता है।

Also Read:  सांख्यिकी क्या है? शिक्षा के क्षेत्र में सांख्यिकी की उपयोगिता एवं महत्व | What is statistics? Usefulness and importance of statistics in the field of education

पाठ्यचर्या विकास के उपागम के महत्वपूर्ण तत्व

पाठ्यचर्या विकास शिक्षा के महत्वपूर्ण हिस्से माना जाता है। यह विद्यार्थियों को ज्ञान, कौशल और नैतिक मूल्यों का विकास करने में मदद करता है। पाठ्यचर्या विकास के उपागम कई तत्वों पर आधारित हैं जो नीचे विस्तार से बताए गए हैं।

1. समाजिक और सांस्कृतिक परिवेश

विद्यालयों में पाठ्यचर्या विकास का महत्वपूर्ण कारक समाजिक और सांस्कृतिक परिवेश है। विद्यार्थी अपने सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करते हैं जब उन्हें विभिन्न विषयों के माध्यम से इस बारे में सिखाया जाता है। प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर, विद्यार्थी अपने साथियों के साथ सहयोग, समझदारी, और समानता का अनुभव करते हैं। यह उन्हें समाज में सही ढंग से इंटीग्रेट होने की क्षमता प्रदान करता है।

Also Read:  Role of School Philosophy and Administration in Creating a Context for the Development of Curriculum

2. विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा

पाठ्यचर्या विकास का एक और महत्वपूर्ण पहलू विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा है। विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा में, पाठ्यक्रम विद्यार्थियों के रूचि, अभिरुचि, और गुणों के आधार पर तैयार किया जाता है। यह उन्हें अपने स्वयं के रूपांतरण की स्थिति में रखता है जिससे उन्हें अपने अध्ययन के प्रति अधिक सक्रिय और रुचिकर बनाता है। विद्यार्थी केंद्रित शिक्षा में, विद्यार्थी अपने रूचि के अनुसार विषयों का चयन कर सकते हैं और अध्ययन के दौरान अपनी रुचि को विकसित कर सकते हैं।

[catlist name=bed-deled]

3. नवीनतम शिक्षा तकनीक

पाठ्यचर्या विकास के उपागम में एक और महत्वपूर्ण कारक है नवीनतम शिक्षा तकनीक। आजकल की दुनिया में शिक्षा तकनीकों में तेजी से विकास हो रहा है और इसका असर पाठ्यक्रमों पर भी दिख रहा है। नवीनतम शिक्षा तकनीक का उपयोग करके, विद्यार्थी विभिन्न इंटरैक्टिव टूल्स, ऑनलाइन संसाधनों, और वीडियो पाठों के माध्यम से अधिक सक्रिय और रुचिकर रूप से अपने अध्ययन में शामिल हो सकते हैं। यह उन्हें अधिक समय तक ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है और उनकी समझ और स्मरणशक्ति को बढ़ाता है।

Also Read:  Behavioral : Trial and Error, Conditioning (classical and operant) and Social Learning

इन तत्वों के साथ-साथ, पाठ्यचर्या विकास शिक्षा के अन्य महत्वपूर्ण उपागमों के साथ भी जुड़ा हुआ है। इनमें शिक्षा नीतियाँ, शिक्षा के मानक, शिक्षा के उद्देश्य, और शिक्षा की विधियाँ शामिल हैं। पाठ्यचर्या विकास का उद्देश्य विद्यार्थियों के समग्र विकास को सुनिश्चित करना है ताकि वे अपने अध्ययन और जीवन में सफलता प्राप्त कर सकें।

Leave a comment