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पाठ्यक्रम का तात्पर्य | Meaning of Curriculum B.Ed Notes by SARKARI DIARY

Published by: Ravi Kumar
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पाठ्यक्रम का तात्पर्य (Meaning of Curriculum)

शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम बनाना बहुत जरूरी है। पाठ्यक्रम के निर्माण से ही व्यवस्थित तरीकों से शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सकता है। शिक्षण कार्य लक्ष्यहीन नहीं है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य पूर्व-निर्धारित लक्ष्यों या उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए निश्चित विषय वस्तु और उसकी व्यवस्थित व्यवस्था है, जिसे पाठ्यक्रम में व्यवस्थित किया जाता है और पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है।

Meaning of Curriculum B.Ed Notes - Sarkari DiARY

पाठ्यक्रम एक व्यावसायिक या शैक्षिक कार्यक्रम होता है जिसमें विशेष विषयों पर अध्ययन किया जाता है। यह एक संरचित और स्वाधीन शिक्षा प्रक्रिया है जो छात्रों को नई ज्ञान, कौशल और अनुभव प्रदान करती है। पाठ्यक्रम विभिन्न स्तरों पर उपलब्ध होता है, जैसे कि प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक, स्नातक और स्नातकोत्तर।

पाठ्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य छात्रों को विशिष्ट ज्ञान और कौशल प्रदान करना है जो उन्हें उनके व्यावसायिक या शैक्षिक क्षेत्र में सफलता की ओर ले जाता है। यह छात्रों को नए विचारों और विचारधाराओं से परिचित कराता है और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सक्षम बनाता है।

आमतौर पर शिक्षकों के मन में इस प्रकार की धारणा प्रचलित है कि पाठ्यक्रम निर्माण में उनका कोई योगदान नहीं है। शिक्षाविद् पाठ्यक्रम तैयार करते हैं और उसके बाद पाठ्यक्रम को विद्यालयों, शिक्षकों या विद्यार्थियों पर थोप दिया जाता है, लेकिन विचार करने पर यह तथ्य सही नहीं लगता। पाठ्यक्रम विकास हेतु विभिन्न विषयों एवं गतिविधियों के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया जाता है। इन समितियों में शिक्षाविदों के साथ-साथ विषय शिक्षक भी शामिल हैं।

पाठ्यक्रम निर्माण का अर्थ

पाठ्यचर्या विकास का अर्थ: जब शिक्षा के विभिन्न उद्देश्यों एवं विद्यार्थियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विभिन्न व्यवस्थित तरीकों से योजना बनाई जाती है तो उसे पाठ्यचर्या विकास कहा जाता है। पाठ्यक्रम विकास का मुख्य उद्देश्य बच्चों को जीवन के लिए तैयार करना है। पाठ्यक्रम छात्रों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक विकास पर केंद्रित है। पाठ्यचर्या विकास में विद्यार्थी के वे सभी अनुभव शामिल होते हैं, जो उसे अपने कक्षा कक्ष, प्रयोगशाला में, विद्यालय में अन्य सह-पाठ्यचर्या संबंधी गतिविधियों के माध्यम से, खेल के मैदान में और अपने शिक्षकों और सहपाठियों के साथ विचारों के आदान-प्रदान के माध्यम से प्राप्त होते हैं। -देकर प्राप्त करता है।

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प्राचीन युग में आवश्यकता अथवा साधन दोनों ही सीमित थे। अध्यापक द्वारा अपने छात्रों को नया रूप प्रदान करने की पूर्ण स्वतन्त्रता प्राप्त थी परन्तु आज के युग में बदलती हुई परिस्थितियों में अध्यापक की महत्ता घट गई है आज अध्यापक के हाथ में पाठ्यक्रम एक अत्यन्त महत्वपूर्ण साधन है।

  • क्रो एवं क्रो के अनुसार- पाठ्यक्रम में सीखने वाले या बालक के वे सभी अनुभव निहित है जिन्हें वह विद्यालय या उसके बाहर प्राप्त करता है। वे समस्त अनुभव एक कार्यक्रम में निहित किए जाते है जो उनकी मानसिक, शारीरिक, संवेगात्मक सामाजिक, आध्यात्मिक एवं नैतिक रूप से विकसित होने में सहायता देता है।
  • माध्यमिक शिक्षा आयोग के अनुसार- पाठ्यक्रम का अर्थ केवल शास्त्रीय विषयों से नहीं है, जिनको विद्यालय में परम्परागत ढंग से पढ़ाया जाता है। बल्कि इसमें अनुभवों की सम्पूर्णता निहित है. जिनको बालक बहुत प्रकार की क्रियाओं द्वारा प्राप्त करता है, जो विद्यालय कक्षाकक्ष, पुस्तकालय, प्रयोगशाला, वर्कशॉप, खेल के मैदान तथा छात्रों एवं शिक्षकों के बीच होने वाले अगणित अनौपचारिक सम्पर्क में होती रहती है। इस प्रकार विद्यालय का सम्पूर्ण जीवन पाठ्यक्रम हो जाता है। जो बालकों में जीवन के सभी पक्षों को स्पर्श कर सकता है और सन्तुलित व्यक्तित्व के विकास में सहायता प्रदान कर सकता है।”
  • मुनरो के अनुसार- पाठ्यक्रम में वे समस्त अनुभव निहित हैं जिनको विद्यालय द्वारा शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उपयोग में लाया जाता है।
  • पेने के अनुसार- पाठ्यक्रम के अन्तर्गत वे सभी परिस्थितियाँ आती हैं, जिनका प्रत्यक्ष संगठन और चयन बालकों के व्यक्तित्व में विकास लाने तथा व्यवहार में परिवर्तन लाने हेतु विद्यालय करता है।
  • एनन के अनुसार- पाठ्यक्रम पर्यावरण में होने वाली क्रियाओं का योग है।
  • हेनरी जे. ऑटो के अनुसार- पाठ्यक्रम वह साधन है, जिसके द्वारा हम बच्चों को शिक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के योग्य बनाने की आशा करते हैं।
  • शिक्षा आयोग के अनुसार– विद्यालय की देखभाल में उसके अन्दर तथा बाहर अनेक प्रकार के कार्यकलापों से छात्रों को विभिन्न अध्ययन अनुभव प्राप्त होते है। हम विद्यालय पाठ्यक्रम को इन अध्ययन अनुभवों की समष्टि मानते हैं।
  • वाल्टर सी. के अनुसार– पाठ्यक्रम में वे समस्त अनुभव सम्मिलित हैं जिनको बालक विद्यालय के निर्देशन में प्राप्त करते है इसके अन्तर्गत कक्षाकक्ष की क्रियाएँ तथा उसके बाहर के समस्त कार्य एवं खेल सम्मिलित है।
  • बूबेकर के अनुसार- पाठ्यक्रम के अन्तर्गत विद्यालय के नियन्त्रण में सीखने वाले समस्त आते हैं। यह पाठ्यपुस्तक, पाठ्यवस्तु यहाँ तक कि अध्ययन विषय से भी अधिक है वह सम्पूर्ण स्थिति या स्थितियों का समूह है जो शिक्षक तथा विद्यालय प्रशासक को प्राप्त होता है इसके द्वारा विद्यालयों के दरवाजों से गुजरने वाले बालकों एवं युवकों के आचरण में परिवर्तन किया जाता है।
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पाठ्यक्रम के तत्व

पाठ्यक्रम में कई महत्वपूर्ण तत्व होते हैं जो छात्रों को विशेष ज्ञान और कौशल प्रदान करते हैं। ये तत्व हैं:

  1. पाठ्यक्रम का विवरण: पाठ्यक्रम का विवरण छात्रों को बताता है कि वे कौन से विषयों का अध्ययन करेंगे, कौन से पाठ होंगे और इसके लिए कौन सी पुस्तकें और सामग्री का उपयोग करेंगे।
  2. पाठ्यक्रम की व्यवस्था: पाठ्यक्रम की व्यवस्था छात्रों को बताती है कि उन्हें कितने पाठ हर हफ्ते करने होंगे, कितना समय देना होगा और किसी विषय पर कितना महत्वपूर्ण ध्यान देना होगा।
  3. पाठ्यक्रम की मान्यता: पाठ्यक्रम की मान्यता छात्रों को एक मान्यता प्राप्त कार्यक्रम में दर्ज होने की सुविधा प्रदान करती है। यह छात्रों के लिए व्यावसायिक या शैक्षिक मान्यता की प्राप्ति का माध्यम बनती है।
  4. पाठ्यक्रम की मूल्यांकन: पाठ्यक्रम की मूल्यांकन छात्रों के ग्रेड या प्रदर्शन को मापती है। यह छात्रों को उनके अध्ययन के प्रदर्शन के आधार पर मूल्यांकन करने की सुविधा प्रदान करती है।
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पाठ्यक्रम का महत्व

पाठ्यक्रम शिक्षा की महत्वपूर्ण एक घटक है जो छात्रों को विशेष ज्ञान और कौशल प्रदान करता है। यह उन्हें अपने व्यावसायिक या शैक्षिक क्षेत्र में सफलता की ओर ले जाता है।

पाठ्यक्रम छात्रों को नए विचारों, विचारधाराओं और अवधारणाओं से परिचित कराता है। यह उन्हें अपने दिमाग की सीमाओं को पार करने की क्षमता प्रदान करता है और उन्हें नए और उन्नत समस्याओं का सामना करने की क्षमता देता है।

पाठ्यक्रम छात्रों को समय प्रबंधन, संघटना, समस्या समाधान, सहयोग, संचार और नेतृत्व जैसे महत्वपूर्ण कौशल प्रदान करता है। यह उन्हें व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन में सफलता की ओर ले जाता है।

पाठ्यक्रम की आवश्यकता

पाठ्यक्रम शिक्षा की आवश्यकता है क्योंकि यह छात्रों को विशेष ज्ञान और कौशल प्रदान करता है जो उन्हें उनके व्यावसायिक या शैक्षिक क्षेत्र में सफलता की ओर ले जाता है।

पाठ्यक्रम छात्रों को नए विचारों, विचारधाराओं और अवधारणाओं से परिचित कराता है जो उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में सक्षम बनाता है। यह उन्हें नए और उन्नत समस्याओं का सामना करने की क्षमता प्रदान करता है।

पाठ्यक्रम छात्रों को समय प्रबंधन, संघटना, समस्या समाधान, सहयोग, संचार और नेतृत्व जैसे महत्वपूर्ण कौशल प्रदान करता है जो उन्हें व्यावसायिक और व्यक्तिगत जीवन में सफलता की ओर ले जाता है।

इसलिए, पाठ्यक्रम छात्रों के लिए आवश्यक है क्योंकि यह उन्हें नए और उन्नत दुनिया में सफलता की ओर ले जाता है।

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Ravi Kumar is a content creator at Sarkari Diary, dedicated to providing clear and helpful study material for B.Ed students across India.

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